बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना सोमवार को भारत के दौरे पर आ रही हैं। शेख हसीना ने भारत के दौरे से ठीक पहले न्यूज़ एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में कोरोना काल के दौरान दिए गए सहयोग के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया।
शेख हसीना ने कहा कि कुछ मतभेद हो सकते हैं लेकिन सभी मुद्दों को बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दोनों देश पहले भी ऐसा कर चुके हैं।
शेख हसीना ने एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि बांग्लादेश की विदेश नीति सभी के साथ दोस्ती करने की और किसी से भी दुश्मनी नहीं करने की है। उन्होंने कहा कि उनका फोकस लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का है और भारत और बांग्लादेश का एक ही दुश्मन है और वह गरीबी है।
उन्होंने कहा कि वह भारत-चीन के मुद्दों में हस्तक्षेप नहीं करेंगी। उन्होंने कहा कि वह अपने देश का विकास चाहती हैं और चूंकि भारत हमारा पड़ोसी है, इसलिए हमारे बीच बहुत अच्छे संबंध हैं।
याद दिलाना होगा कि साल 2020 के दिसंबर में भारत और बांग्लादेश ने 7 द्विपक्षीय करारों पर दस्तखत किए थे। इन द्विपक्षीय करारों में पश्चिम बंगाल की हल्दीबाड़ी से बांग्लादेश के चिलाहाटी तक की रेल लाइन को दुरुस्त करने और उसे बहाल करने, भारत के द्वारा बांग्लादेश को हाइड्रोकार्बन, कपड़ा और कृषि के क्षेत्र में मदद करने जैसे कई करार शामिल थे।
इस दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्री एक-दूसरे से वर्चुअल बैठक में मुखातिब भी हुए थे।
1971 का युद्ध
बता दें कि 1971 में भारतीय सेना ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश के अंदर घुस कर पाकिस्तानी फ़ौज को वहां से खदेड़ दिया था। 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की ज़ोरदार शिकस्त हुई थी और उसके 90 हज़ार से ज़्यादा सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था। इसके बाद 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश अस्तित्व में आया था।
शेख हसीना शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी हैं। शेख मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के संस्थापक थे और अप्रैल 1971 से अगस्त 1975 तक राष्ट्रपति और बाद में बांग्लादेश के प्रधानमंत्री रहे थे।
शेख हसीना की अगुआई वाली आवामी लीग को 2018 में दिसंबर में हुए आम चुनावों में बड़ी जीत मिली थी।