बजरंग पूनिया ने की पद्मश्री पुरस्कार पीएम को लौटाने की घोषणा

08:35 pm Dec 22, 2023 | सत्य ब्यूरो

बजरंग पूनिया ने अब धमाका किया है। उन्होंने पीएम मोदी को पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का फ़ैसला किया। पीएम के आवास पर जाने नहीं दिया गया तो उन्होंने वह पुरस्कार सड़क किनारे रख दिया। इससे पहले बजरंग पूनिया ने इसको लेकर प्रधानमंत्री मोदी को ख़त लिखा है। बृजभूषण शरण सिंह के वफादार के चुनाव जीतने के बाद साक्षी मलिक के बाद यह दूसरा धमाका है। साक्षी ने भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह के क़रीबी संजय सिंह के जीतने से दुखी होकर कुश्ती छोड़ने की घोषणा कर दी है। बजरंग पूनिया ने ट्विटर पर पीएम मोदी के नाम लिखे ख़त को जारी किया है और कहा है कि यही मेरा बयान है। इसमें उन्होंने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के लगे आरोपों से लेकर महिला पहलवानों के प्रदर्शन, दिल्ली पुलिस द्वारा उनको खदेड़े जाने जैसे मामलों का ज़िक्र किया है। 

पीएम मोदी को संबोधित ख़त में बजरंग पूनिया ने लिखा है, '...जब किसी कार्यक्रम में जाते थे और मंच संचालक हमें पद्मश्री, खेलरत्न और अर्जुन अवार्डी पहलवान बताकर हमारा परिचय करवाता था तो लोग बड़े चाव से तालियाँ पीटते थे। अब कोई ऐसे बुलाएगा तो मुझे घिन्न आएगी, क्योंकि इतने सम्मान होने के बावजूद एक सम्मानित जीवन जो हर महिला पहलवान जीना चाहती है, उससे उन्हें वंचित कर दिया गया।'

बजरंग पूनिया ने पीएम मोदी को महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के मामले को याद दिलाते हुए कहा है, 'आपको पता होगा कि इसी साल जनवरी महीने में देश की महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ पर काबिज बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। जब उन महिला पहलवानों ने अपना आंदोलन शुरू किया तो मैं भी उसमें शामिल हो गया था। आंदोलित पहलवान जनवरी में अपने घर लौट गए, जब उन्हें सरकार ने ठोस कार्रवाई की बात कही। लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी जब बृजभूषण पर एफ़आईआर तक नहीं की तब हम पहलवानों ने अप्रैल महीने में दोबारा सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया ताकि दिल्ली पुलिस कम से कम बृजभूषण सिंह पर एफ़आईआर दर्ज करे, लेकिन फिर बात नहीं बनी तो हमें कोर्ट में जाकर एफ़आईआर दर्ज करवानी पड़ी।'  

बजरंग पूनिया ने कहा है, 'जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी जो अप्रैल तक आते-आते 7 रह गई थी। यानी इन तीन महीनों में अपनी ताक़त के दम पर बृजभूषण सिंह ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया।' उन्होंने आगे कहा है कि आंदोलन 40 दिन चला और इतने दिनों में एक और महिला पहलवान पीछे हट गई।' उन्होंने कहा,

हमसब पर बहुत दबाव आ रहा था, हमारे प्रदर्शन स्थल को तहस नहस कर दिया गया, हमें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया गया और हमारे प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी गई।


बजरंग पूनिया, कुश्ती खिलाड़ी

उन्होंने कहा कि हमें जब कुछ नहीं समझ आ रहा था तो हमने अपने मेडल गंगा में बहाने की सोची। उन्होंने कहा कि हमारे कोच और किसानों ने हमें ऐसा नहीं करने के लिए मना लिया। पूनिया ने ख़त में लिखा है, 'उसी समय आपके एक ज़िम्मेदार मंत्री का फोन आया और हमें कहा गया कि हम वापस आ जाएँ, हमारे साथ न्याय होगा। इसी बीच हमारे गृहमंत्री जी से भी हमारी मुलाक़ात हुई। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे महिला पहलवानों के लिए न्याय में उनका साथ देंगे और कुश्ती फेडरेशन से बृजभूषण, उसके परिवार और उसके गुर्गों को बाहर करेंगे। हमने उनकी बात मानकर सड़कों से अपना आंदोलन ख़त्म कर दिया। कुश्ती संघ का हल सरकार कर देगी और न्याय की लड़ाई न्यायालन में लड़ी जाएगी, ये दो बातें हमें तर्कसंगत लगीं।'

उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन 21 दिसंबर को हुए कुश्ती संघ के चुनाव में बृजभूषण एक बार दोबारा काबिज हो गया है। इसने बयान दिया कि 'दबदबा है और दबदबा रहेगा'। उन्होंने कहा कि महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोपी सरेआम दोबारा कुश्ती का प्रबंधन करने वाली इकाई पर अपना दबदबा होने का दावा कर रहा था। बजरंग ने कहा कि इसी मानसिक दबाव में आकर ओलंपिक पदक विजेता एकमात्र महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास ले लिया।

बजरंग ने लिखा है, ' 2019 में मुझे पद्मश्री से नवाजा गया, खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। जब ये सम्मान मिले तो मैं बहुत खुश हुआ। लगा था कि जीवन सफल हो गया। लेकिन आज उससे कहीं ज़्यादा दुखी हूँ और ये सम्मान मुझे कचोट रहे हैं। कारण सिर्फ़ एक ही है, जिस कुश्ती के लिए ये सम्मान मिले उसमें हमारी साथी महिला पहलवानों को अपनी सुरक्षा के लिए कुश्ती तक छोड़नी पड़ रही है।'

बता दें कि साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ने की घोषणा की है। डब्लूएफआई के नए अध्यक्ष का चुनाव होने और इसमें संजय सिंह के चुने जाने के बाद पहलवान बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। उन्होंने कहा कि बहुत साल लगे हमें हिम्मत जुटाने में तब जाकर हमने रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ लड़ाई शुुरू की थी लेकिन आज जो चुनाव के नतीजे आए हैं उससे हम निराश हैं। उन्होंने कहा कि वह बृजभूषण का राइट हैंड है जो उसे अपने बेटे से भी अधिक प्रिय है और उसका बिजनेस पार्टनर भी है, वह फेडरेशन का अध्यक्ष बन गया। 

संजय कुमार यौन उत्पीड़न के आरोपी निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के वफादार हैं। यह वही बृजभूषण शरण सिंह हैं जिनपर देश की शीर्ष महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के मामले में कार्रवाई करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। पुलिस से घसीटीं गईं। मेडल तक को गंगा में बहाने की नौबत आन पड़ी, लेकिन आखिर में उन्हें ऐसा नहीं करने के लिए मना लिया गया। बड़ी मुश्किल से एफ़आईआर दर्ज हो पाई, लेकिन गिरफ़्तारी नहीं हो पाई। उनको उनकी पार्टी से निकाला तक नहीं गया। ऊपर से वह यह तक चेताते रहे कि 'किसमें हिम्मत है मेरा टिकट काटने की'।

बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला पहलवानों से यौन उत्पीड़न को लेकर दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में कैसरगंज से बीजेपी सांसद बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ और महिला पहलवानों का पीछा करने का आरोप लगाया गया था। दिल्ली पुलिस ने अदालत से कहा है कि आरोपी बृजभूषण सिंह ने महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। दिल्ली पुलिस ने कहा कि ताजिकिस्तान में एक कार्यक्रम के दौरान बृजभूषण सिंह ने एक महिला पहलवान को जबरन गले लगाया और बाद में अपने कृत्य को यह कहकर सही ठहराया कि उन्होंने ऐसा एक पिता की तरह किया। 

महिला पहलवानों द्वारा दिल्ली में दर्ज कराई गई एफ़आईआर में ऐसी ही यौन उत्पीड़न की शिकायतें की गई हैं। एक पीड़ित पहलवान की शिकायत में कहा गया है कि जिस दिन महिला पहलवान ने एक प्रमुख चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता, उन्होंने उसे अपने कमरे में बुलाया, उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध अपने बिस्तर पर बैठाया और उसकी सहमति के बिना उसे जबरदस्ती गले लगाया। इसमें कहा गया है कि इसके बाद भी वर्षों तक, वह यौन उत्पीड़न के निरंतर कृत्य और बार-बार गंदी हरकतें करते रहे।

दूसरी महिला पहलवानों ने भी यौन उत्पीड़न और दुराचार की कई घटनाओं में छेड़छाड़, ग़लत तरीक़े से छूने और शारीरिक संपर्क का आरोप लगाया है। आरोप लगाया गया है कि इस तरह के यौन उत्पीड़न टूर्नामेंट के दौरान, वार्म-अप और यहाँ तक ​​कि नई दिल्ली में रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी डब्ल्यूएफआई के कार्यालय में भी किया गया। उन्होंने कहा है कि साँस जाँचने के बहाने उनकी छाती और नाभि को ग़लत तरीक़े से पकड़ा गया था। 

एक समय पूरे देश को झकझोर देने वाले महिला पहलवानों के ऐसे आरोपों का सामना कर रहे बृजभूषण शरण सिंह को जैसे कुछ फर्क ही नहीं पड़ा! सितंबर महीने में उन्होंने पत्रकारों के सवाल पर चेता दिया था कि उनका टिकट काटने की हिम्मत किसी में नहीं है। उन्होंने कहा था, 'कौन काट रहा है, उसका नाम बताओ। काटोगे आप? ...काटोगे? ....काट पाओ तो काट लेना।'