अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से मुुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव ज़फ़रयाब जिलानी ने असंतोष जाहिर किया है। फ़ैसले के तुरंत बाद बोर्ड ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की। इसमें सुन्नी वक़्फ बोर्ड की ओर से पेश वकील ज़फ़रयाब जिलानी ने कहा कि वे इस पर विचार करेंगे कि वे इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दायर करें या नहीं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला विरोधाभासी है। जिलानी ने यह भी कहा कि फ़ैसले के कुछ पक्ष से देश के धर्मनिरपेक्ष ढाँचे को मज़बूती मिलेगी। हालाँकि, सुन्नी वक़्फ बोर्ड ने फ़ैसले को स्वीकार कर लिया है और कहा है कि वह पुनर्विचार याचिका नहीं दायर करेगा।
विवादित स्थल को रामलला को और मसजिद के लिए मुसलिम पक्ष को दूसरी ज़मीन देने के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर भी जिलानी ने असंतोष जाहिर किया है। कोर्ट से फ़ैसले के तुरंत बाद ज़फ़रयाब जिलानी ने कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन इस फ़ैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे आगे की कार्रवाई के लिए आगे फ़ैसला लेंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ़ बोर्ड की याचिका को भी खारिज कर दिया है।
इसके साथ ही ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लोगों से अपील की है कि वे किसी तरह का प्रदर्शन नहीं करें और शांति व सद्भाव बनाए रखें।
हालाँकि, इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस से पहले और सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद इस मामले में एक याचिकाकर्ता इक़बाल अंसारी ने कहा है कि हम इस फ़ैसले का स्वागत करते हैं। उन्होंने यह भी साफ़ किया कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ वह पुनर्विचार याचिका नहीं दाखिल करेंगे।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर फ़ैसला दे दिया है। इसमें विवादित स्थल रामलला को और मसजिद के लिए मुसलिम पक्ष को दूसरी ज़मीन देने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार तीन महीने में ट्रस्टी बोर्ड गठित करे। मंदिर के ट्रस्टी बोर्ड में निर्मोही अखाड़ा को उचित प्रतिनिधित्व देने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने ज़मीन को तीन हिस्सों में बाँटने का इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले को भी ग़लत बताया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया है कि मंदिर निर्माण के लिए वह 3 महीने के भीतर ट्रस्ट बनाए। कोर्ट ने मुसलिमों को भी अयोध्या में 5 एकड़ दूसरी ज़मीन देने का आदेश दिया है।