अयोध्या विवाद: हिंदू पक्ष- अकबर के वक़्त भी मंदिर के ‘सबूत’
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में छठे दिन की सुनवाई में रामलला विराजमान यानी हिंदू पक्ष की ओर से वकील ने मंदिर के वहाँ मौजूद होने की दलीलें रखीं। उन्होंने कोर्ट के सामने कहा कि अकबर और जहाँगीर के समय भारत आए विदेशी यात्रियों ने अपनी लेखनी में अयोध्या और राम मंदिर का ज़िक्र किया है। इससे एक दिन पहले सुनवाई में कोर्ट ने पूछ था कि यदि राम मंदिर का काफ़ी पहले से अस्तित्व है तो उसके सबूत पेश करें। इसी क्रम में बुधवार को हिंदू पक्ष की ओर से विदेशी यात्रियों का ज़िक्र किया गया। इस मामले में सुनवाई जारी है।
हिंदू पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील सी. एस वैद्यनाथन ने कहा, 'अकबर और जहाँगीर के शासन के दौरान विलियम फ़िंच और विलियम हॉकिन्स जैसे यात्री भारत आए थे और उन्होंने अपनी लेखनी में अयोध्या का ज़िक्र किया है।' इसी बात का ज़िक्र करते हुए वैद्यनाथन ने कहा, 'विलियम फ़ोस्टर ने अर्ली ट्रैवल्स इन इंडिया नाम की किताब प्रकाशित की है जिसमें सात अंग्रेज़ों की भारत यात्रा का वर्णन है। किताब में अयोध्या और राम मंदिर भवन का ज़िक्र किया गया है।'
Advocate C S Vaidyanathan, appearing for a Hindu party, says "Wiliiam Foster published a book 'Early Travels in India' which contains accounts of seven English travellers to India. The books describe Ayodhya and building of Ram temple" https://t.co/6qZ7h0MvQX
— ANI (@ANI) August 14, 2019
स्कंद पुराण का ज़िक्र
इससे पहले रामलला विराजमान के वकील ने पुराण स्कंद पुराण का ज़िक्र भी किया। उन्होंने कहा कि रिवाज है कि सरयू नदी में स्नान करने के बाद रामजन्म भूमि के दर्शन का लाभ मिलता है। इस हिसाब से इसका अस्तित्व काफ़ी पहले से रहा है। हालाँकि इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछ लिया कि पुराण कब लिखा गया था इस पर वैधनाथन ने कहा, यह पुराण वेद व्यास द्वारा महाभारत काल में लिखा गया था। कोई यह नहीं जानता कि यह कितना पुराना है।वैद्यनाथन ने पीठ से कहा, ‘हिंदुओं का विश्वास है कि अयोध्या भगवान राम का जन्म स्थान है और न्यायालय को इसके आगे जाकर यह नहीं देखना चाहिए कि यह कितना तार्किक है।’
बता दें कि अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट की पाँच जजों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। पाँचवें दिन इस मुद्दे पर सुनवाई हुई थी कि अयोध्या में विवादित स्थल पर मंदिर का अस्तित्व था या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने ज़मीन पर कब्ज़े के सबूत पेश करने को कहा था। रामलला विराजमान की ओर से वरिष्ठ वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने दलील रखी थी कि उस जगह पहले से ही राम मंदिर था और उसी पर मसजिद बनाई गई थी।
इस पर वैद्यनाथन ने दलील रखी थी कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाबरी मसजिद के मुख्य गुंबद के नीचे वाले स्थान को भगवान राम का जन्मस्थान माना है। रामलला की ओर से यह भी दावा किया गया कि मुसलिम पक्ष की तरफ़ से विवादित स्थल पर उनका मालिकाना हक़ साबित नहीं किया गया था। इसके बाद कोर्ट ने साफ़ तौर पर पूछा कि आप सुन्नी वक़्फ बोर्ड के दावे को नकार रहे हैं, आप अपने दावे को कैसे साबित करेंगे रामलला के वकील वैद्यनाथन ने मंगलवार को कहा था कि यह ऐतिहासिक तथ्य है कि लोग बाहर से भारत आए थे और उन्होंने मंदिरों को तोड़ा था।
सुप्रीम कोर्ट में 14 अपीलों की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट उन केसों की सुनवाई कर रहा है जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के 30 सितंबर 2010 के फ़ैसले के ख़िलाफ़ 14 अपीलें दायर की गई हैं। हाई कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच समान रूप से विभाजित करने का आदेश दिया था। लेकिन हाई कोर्ट का यह फ़ैसला कई लोगों को पसंद नहीं आया। यही कारण है कि इस मामले के ख़िलाफ़ कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएँ दायर कीं। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मई 2011 में हाई कोर्ट के फ़ैसले पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। इसी मामले में यह सुनवाई चल रही है।
हालाँकि इस दौरान विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता कमेटी बनाई गई थी, लेकिन बाद नहीं बनी यह विफल हो गई थी। मध्यस्थता और बातचीत के ज़रिए अयोध्या विवाद सुलझाने की कोशिशें पहले भी कई बार हुईं हैं।
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 3 अगस्त, 2010 को सुनवाई के बाद सभी पक्षों के वकीलों को बुला कर यह प्रस्ताव रखा था कि बातचीत के ज़रिए मामले को सुलझाने की कोशिश की जाए। लेकिन हिन्दू पक्ष ने बातचीत से मामला सुलझाने की पेशकश को ख़ारिज़ कर दिया था।