आर्थिक मोर्चे पर आ रही लगातार निराशाजनक ख़बरों के बीच ऐसी ही एक और ख़बर आई है। घरेलू यात्री वाहनों की बिक्री सितंबर में 23.69 प्रतिशत घटकर 2,23,317 तक रह गई है, जो एक साल पहले की अवधि में 2,92,660 थी। वाहनों की बिक्री में गिरावट का यह सिलसिला 11 महीने से जारी है।
सोसाइटी ऑफ़ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के द्वारा शुक्रवार को जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2019 में घरेलू कारों की बिक्री 33.4 प्रतिशत घटकर इनकी संख्या 1,31,284 रह गई, जो सितंबर 2018 में 1,97,124 थी। सितंबर में ही मोटरसाइकिल की बिक्री 23.29 प्रतिशत घटकर 10,43,624 रह गई जबकि एक साल पहले 13,60,415 थी।
बता दें कि भारतीय ऑटो उद्योग दो दशकों के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। चालू वित्तीय वर्ष की पहली छमाही के दौरान इसका कामकाज बीते 20 साल में सबसे बुरा रहा है। मंदी की वजह से ही कई ऑटो कंपनियों ने अपने कामकाज में कटौती की है, कुछ ने शिफ़्ट कम कर दी हैं तो कुछ ने कई दिनों तक काम पूरी तरह बंद रखा है।
सियाम ने कहा है कि सितंबर में कुल दोपहिया वाहनों की बिक्री 22.09 प्रतिशत घट गई और 16,56,774 गाड़ियां बिकीं, जबकि यह संख्या एक साल पहले इसी महीने में 21,26,445 थी। सियाम ने कहा है कि सितंबर में कॉमर्शियल वाहनों की बिक्री 39.06 प्रतिशत घटकर 58,419 रही जबकि पिछले साल इसी महीने में यह 95,870 थी।
कार बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुज़ुकी ने 7 और 9 सितंबर को मानेसर और गुड़गाँव संयंत्रों में उत्पादन ठप रखा था। बिक्री कम होने की वजह से कंपनी के पास पहले से ही बहुत सारी गाड़ियाँ पड़ी हैं। मारुति की बिक्री भी अगस्त में घट कर 1,06,413 हो गई थी, जो उसके पिछले महीने की बिक्री से एक-तिहाई कम थी।
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेन्सी मूडीज़ ने साल 2019-2020 के लिए भारत के सकल घरेल उत्पाद की अनुमानित वृद्धि दर घटा कर 5.8 प्रतिशत कर दी है जबकि पहले यह 6.2 प्रतिशत थी। इसकी वजह निवेश और माँग में कमी, ग्रामीण इलाक़ों में मंदी और रोज़गार के मौक़े बनाने में नाकामी को माना जा रहा है।