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अतीक-अशरफ को एक दिन पहले भी मारने की कोशिश हुई थीः रिपोर्ट

अतीक-अशरफ को एक दिन पहले भी मारने की कोशिश हुई थीः रिपोर्ट

पूर्व सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ को एक दिन पहले यानी 14 अप्रैल को भी कोर्ट परिसर में मारने की कोशिश हुई थी। नए तथ्य सामने आने से साफ पता चल रहा है कि यह लापरवाही थी या फिर जानबूझकर की गई लापरवाही थी। इतने दुर्दांत अपराधी का मूवमेंट शूटरों के पास था और पुलिस को हवा तक नहीं थी।

अतीक अशरफ डबल मर्डर में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। इंडिया टुडे को सूत्रों ने बताया कि 14 अप्रैल को भी अतीक अशरफ की हत्या करने की कोशिश की गई थी। नए तथ्य सामने आने से साफ है कि जिस योजनाबद्ध तरीके से अतीक और अशरफ को मारने की योजना बनाई गई थी, उसकी भनक तक यूपी पुलिस को नहीं थी। आमतौर पर किसी बड़े अपराधी को लेकर जब पुलिस इधर-उधर जाती है तो हमेशा आसपास वालों पर नजर रखी जाती है। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। न तो संदिग्ध एक दिन पहले नजर आए और न एक दिन बाद नजर आए। इस तथ्य ने अतीक और उनके भाई के मर्डर के रहस्य को और बढ़ा दिया है कि पुलिस की यह महज लापरवाही थी या जानबूझकर की गई लापरवाही थी।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट में सूत्रों के से कहा गया है कि जिस दिन दोनों को रिमांड पर सुनवाई के लिए प्रयागराज की अदालत में ले जाया गया था, उसी दिन शूटरों ने अतीक और अशरफ को खत्म कर दिया होता। हालांकि, तीनों को योजना छोड़नी पड़ी क्योंकि अदालत में भारी सुरक्षा थी।

हत्यारों में से एक सनी सिंह को 2021 में एक गैंगस्टर ने तुर्की में बनी बंदूक मुहैया कराई थी। सनी ने कहा कि गैंगस्टर की उसी साल दिसंबर में मौत हो गई। पुलिस सूत्रों के अनुसार, सभी शूटरों से पूछताछ के बाद, जांचकर्ता उनके बयानों की प्रामाणिकता स्थापित करने के लिए उनका नार्को टेस्ट करा सकते हैं। 

अरुण मौर्य, सनी सिंह और लवलेश तिवारी के रूप में पहचाने गए शूटरों ने 15 अप्रैल को अतीक और उनके भाई की हत्या कर दी थी। 

 - Satya Hindi

तुर्की की पिस्तौल

हमलावरों ने दोनों मृतकों को खत्म करने के लिए ज़िगाना पिस्तौल (तुर्की की एक फर्म द्वारा निर्मित एक अर्ध-स्वचालित पिस्तौल) का इस्तेमाल किया था। पुलिस टीम की मौजूदगी में शूटरों ने महज 22 सेकंड में एक दर्जन से अधिक राउंड फायरिंग की। 

अतीक और अशरफ की गोली मारकर हत्या करने के बाद तीनों आरोपियों को पुलिस ने आसानी से पकड़ लिया और हिरासत में ले लिया।

यूपी पुलिस ने खुलासा किया कि हमलावर पत्रकारों के रूप में सामने आए, उनके पास वीडियो कैमरा, माइक और मीडिया पहचान पत्र थे। एफआईआर के मुताबिक, जैसे ही अतीक अहमद और अशरफ ने मीडिया से बात करनी शुरू की, एक शूटर ने अपना माइक और कैमरा गिरा दिया और अपनी पिस्तौल उठा ली और उन पर फायरिंग कर दी।

अतीक और अशरफ को हत्याओं को लेकर सवाल लगातार उठ रहे हैं। यूपी सरकार और उसकी पुलिस सवालों के कटघरे में है। ये सवाल तभी शुरू हो गए थे जब झांसी में अतीक के बेटे असद अहमद और साथी गुलाम का एनकाउंटर कर दिया गया। इससे पहले अतीक से जुड़े दो लोगों विजय चौधरी और अरबाज का एनकाउंटर किया जा चुका था। इस तरह तीन एनकाउंटरों में अतीक के चार लोग मारे गए। जबकि अतीक और अशरफ की हत्या पुलिस के घेरे में हुई। झांसी एनकाउंटर की ग्राउंड रिपोर्ट ने पुलिस की कहानी को कमजोर कर दिया था।

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