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प्रोफेसर ने लौटाए तनख्वाह में मिले 23.82 लाख रुपए, लेकिन क्यों?

प्रोफेसर ने लौटाए तनख्वाह में मिले 23.82 लाख रुपए, लेकिन क्यों?

मुजफ्फरपुर के नीतीश्वर कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार ने तनख्वाह में मिले 23,82, 228 रुपये वापस कर दिए। इसके पीछे क्या वजह है?

ऐसे वक्त में जब लोग ज्यादा से ज्यादा और ज्यादा जगह से पैसा कमाना चाहते हैं, बिहार के एक शिक्षक ने नायाब मिसाल पेश की है। यह मिसाल पेश करने वाले शिक्षक का नाम डॉ. ललन कुमार है। 

डॉ. ललन कुमार बिहार के मुजफ्फरपुर के नीतीश्वर कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। डॉ. कुमार ने उन्हें तनख्वाह के रूप में मिले लगभग 24 लाख रुपए सिर्फ इसलिए लौटा दिए क्योंकि पिछले 33 महीने में कोई भी छात्र उनकी कक्षा में पढ़ने के लिए नहीं आया। वह हिंदी के शिक्षक हैं। 

डॉ. ललन कुमार ने कहा कि उनकी अंतरात्मा ने उन्हें इस बात की इजाजत नहीं दी कि वह बिना पढ़ाए तनख्वाह लें। उन्होंने कहा कि अगर वह बिना पढ़ाए ही तनख्वाह ले लें तो यह एक तरह से उनकी अकादमिक मौत होगी।

नीतीश्वर कॉलेज की स्थापना स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नीतेश्वर प्रसाद सिंह ने 1970 में की थी। यह कॉलेज भीमराव अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी से संबंद्ध है और यहां पर आर्ट्स और साइंस की अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों की पढ़ाई होती है।

33 साल के डॉ. ललन कुमार ने भीमराव अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को 23,82, 228 लाख रुपये का चेक दिया है। विश्वविद्यालय के कुलपति को लिखे पत्र में डॉ. ललन कुमार ने कहा है कि हिंदी के 131 छात्रों में से किसी ने भी उनकी क्लास अटैंड नहीं की। 

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डॉ. कुमार ने कहा कि अपने नेक इरादों के बावजूद वह अपने कर्तव्य को नहीं निभा सके और ऐसे हालात में उनके लिए 33 महीने की तनख्वाह को स्वीकार करना नैतिक रूप से ठीक नहीं होगा। उन्होंने अपने पत्र की कॉपी राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राज्य के शिक्षा मंत्री, पीआईएल के रूप में पटना हाई कोर्ट, यूजीसी के चेयरमैन, पीएमओ, राष्ट्रपति, केंद्रीय शिक्षा मंत्री सहित कई लोगों को भेजी है।

कलाम ने किया था सम्मानित 

यहां बताना जरूरी होगा कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने डॉ. ललन कुमार को एकेडमिक एक्सीलेंस अवॉर्ड से नवाजा था। उन्हें यह पुरस्कार दिल्ली के हिंदू कॉलेज से फर्स्ट डिवीजन में ग्रेजुएशन पास करने के लिए दिया गया था।

डॉ. ललन कुमार ने दिल्ली स्थित जेएनयू से हिंदी में मास्टर्स की डिग्री ली है और दिल्ली यूनिवर्सिटी से पीएचडी और एम. फिल किया है।

प्रिसिंपल ने उठाया सवाल

जब डॉ. ललन कुमार ने अपनी तनख्वाह लौटाने का चेक दिया तो कॉलेज के प्रबंधक मनोज कुमार ने उनके क़दम पर सवाल उठाया। प्रिंसिपल ने कहा कि उन्होंने ऐसा केवल छात्रों की अनुपस्थिति की वजह से नहीं किया है बल्कि यह पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट में ट्रांसफर लेने के लिए दबाव बनाने का तरीका है। डॉ. ललन कुमार ने पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट में उनका तबादला किए जाने के लिए आवेदन दिया है।

जबकि यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार आरके ठाकुर ने इस कदम की सराहना की। आरके ठाकुर ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि डॉ. ललन कुमार का यह कदम असाधारण है। 

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उन्होंने कहा कि वह इस बारे में कुलपति के साथ चर्चा कर रहे हैं और जल्द ही नीतीश्वर कॉलेज के प्रिंसिपल से छात्रों के गैरहाजिर रहने को लेकर सफाई मांगी जाएगी।

डॉ. ललन कुमार द इंडियन एक्सप्रेस से कहते हैं कि यह उनकी पहली नौकरी है और उन्होंने कभी भी इस कॉलेज में पढ़ाई का माहौल नहीं देखा। जबकि कॉलेज के प्रिंसिपल मनोज कुमार का कहना है कि जैसे ही ललन कुमार ने कॉलेज में बतौर शिक्षक ज्वाइन किया, महामारी आ गई और कॉलेज में ऑनलाइन कक्षाएं चलानी पड़ी। इसके अलावा लगातार कई परीक्षाओं के चलते भी शिक्षण का कामकाज प्रभावित रहा। 

सीख लेंगे शिक्षक? 

निश्चित रूप से डॉ. ललन कुमार ने ऐसी मिसाल पेश की है जिसकी भरपूर सराहना की जानी चाहिए। देश में कई जगहों पर ऐसे भी मामले सुनने को आए हैं जहां पर सरकारी शिक्षक कक्षाओं से या तो गायब रहते हैं या पढ़ाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करते हैं। ऐसे में ललन कुमार ने एक शानदार उदाहरण पेश किया है और निश्चित रूप से इससे स्कूल, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे शिक्षकों को जरूर सीख लेनी चाहिए। 

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