कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद कर्ज़माफ़ी का वायदा पूरा करते हुए इससे जुड़ी फ़ाइल पर दस्तख़त कर दिए। यह एक संवेदनशील विषय और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने प्रचार अभियान में इसे एक मुद्दा बनाया था। उन्होंने कर्ज़माफ़ी का आश्वासन दिया था।कर्ज़माफ़ी के इस वायदे के पूरा होने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी पर एक तरह का नैतिक और राजनीतिक दबाव बढ़ गया। लेकिन मध्य प्रदेश का ख़जाना खाली है और राज्य सरकार पर लगभग पौने दो लाख करोड़ रुपए का कर्ज़ पहले से ही है। ऐसे में इस क़दम से राज्य की आर्थिक स्थिति और ख़राब होगी, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। समझा जाता है कि इस क़दम से आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमला कर सकते हैं।
कई सिख संगठनों ने कमलनाथ के मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने जाने का विरोध इस आधार पर किया था कि उन पर 1984 के सिख विरोधी दंगों में शामिल होने का आरोप है। कमलनाथ ने इससे इनकार किया था। सोमवार को सुबह दिल्ली हाई कोर्ट ने सिख विरोधी दंगों के एक मामले में कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। इसके तुरत बाद सिख संगठनों ने कमलनाथ के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया। कुछ सिख नेताओं ने उन्हे मुख्यमंत्री नहीं बनाने की माँग भी कर दी।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटि के प्रमुख मनजीत सिंह जी. के. ने कहा है कि सिख समुदाय कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने का विरोध करता रहेगा। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस्तीफ़ा देना हो होगा।
भोपाल के जम्बूरी मैदान में हुए शपथग्रहण समारोह को ऐसे पेश करने की कोशिश की गई कि वह विपक्षी दलों की एकजुटता का प्रतीक बन जाए। इसमें कांग्रेस को आंशिक सफलता ही मिली। इस समारोह में नैशनल कॉन्फ्रेंस के फ़ारूक़ अब्दुल्ला, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, तेलगु देशम पार्टी के चंद्रबाबू नायडू समेत कई बड़े नेता मौजूद थे। पर दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने इसमें शिरकत नहीं की। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इससे दूर रहीं, हालांकि उनका एक प्रतिनिधि वहां मौजूद था। इसी तरह बहुजन समाज पार्टी की मायावती भी इसमें मौजूद नहीं थीं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी तो शपथग्रहण समारोह में थे ही, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी इसमें शिरकत की। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इसमें मौजूद थे। चौहान ने नए मुख्यमंत्री को फूलों का गुलदस्ता दिया, उनके साथ तस्वीरें खिचवाई और कहा कि वे ख़ुद अब चौकीदार की भूमिका निभाएंगे।