कोरोना महामारी, रोज़ाना के बढ़ते संक्रमण और मौतों के बीच पाँच विधानसभा चुनावों के वोटों की गिनती शुरू हो गई है। पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और केन्द्र-शासित प्रदेश पुदुचेरी विधानसभा चुनाव के लिए हुई लंबी मतदान प्रक्रिया के बाद अब सबकी निगाहें रविवार को होने वाले मतगणना पर टिकी हुई हैं।
पश्चिम बंगाल के 292, तमिलनाडु की 234, असम की 126, केरल की 140 और पुडुचेरी की 30 सीटों पर चुनाव हुए हैं, जिनके वोटों की गिनती रविवार को होगी।
बंगाल में आठ चरण
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शुक्रवार 26 फरवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कहा था कि 62 दिन लंबे चुनाव कार्यक्रम में तमिलनाडु, केरल और पुदुचेरी में एक ही चरण में सभी सीटों के लिए मतदान होगा, जबकि पश्चिम बंगाल में आठ और असम में तीन चरणों में मतदान होगा। इसकी काफी आलोचना की गई थी।
इसके मुताबिक तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में 6 अप्रैल को वोट गए थे, जबकि पश्चिम बंगाल में मतदान का पहला चरण 27 मार्च को, दूसरा चरण 1 अप्रैल को, तीसरा चरण 6 अप्रैल को, चौथा चरण 10 अप्रैल को, पांचवा चरण 17 अप्रैल को, छठा चरण 22 अप्रैल को, सातवां चरण 26 अप्रैल को और आठवां चरण 29 अप्रैल को संपन्न हुआ।
पुदुचेरी में 30 सदस्यों वाली विधानसभा के लिए तो एक ही चरण में मतदान कराने का औचित्य समझा जा सकता है लेकिन तमिलनाडु में 234 सीटों वाली विधानसभा और केरल की 140 सीटों वाली विधानसभा के लिए भी एक ही चरण में मतदान कराना किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं है, खासकर ऐसी स्थिति में जबकि 126 सीटों वाली असम विधानसभा के लिए तीन चरणों में और 294 सीटों वाली पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए आठ चरणों में मतदान कराया गया।
इतने अधिक चरणों में मतदान तो 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में भी नहीं करवाया गया था, जो कि आबादी और विधानसभा सीटों के साथ ही क्षेत्रफल के लिहाज से भी पश्चिम बंगाल की तुलना में बहुत बड़ा है। 403 सदस्यों वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए 2017 के चुनाव में सात चरणों में मतदान कराया गया था। यही नहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में भी मतदान के सात चरण ही रखे गए थे।
दिशा-निर्देश
इसके साथ लोकसभा की चार और विधानसभा की 12 सीटों के लिये हुए उपचुनाव के मतों की गिनती भी की जाएगी।
केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर को देखते हुए मतगणना केन्द्रों के लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। राज्य चुनाव अधिकारी को इन दिशा-निर्देशों को लागू करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
आरटीपीसीआर या रैपिड एंटिजन जाँच के बिना किसी भी प्रत्याशी या एजेंट को मतगणना कक्ष में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। हालांकि कोविड टीके की दोनों खुराक लेने वाले लोगों को मतगणना कक्ष में जाने की अनुमति होगी। आयोग ने मतगणना केन्द्र के बाहर वोटों की गिनती के समय लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
मतगणना केन्द्र में सुरक्षित दूरी बनाए रखने की उचित व्यवस्था की गई है। सीलबंद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन व मतदाता पुष्टि पर्ची मशीन को भी सेनिटाइज किया जाएगा।
कोविड के लक्षण वाले किसी भी व्यक्ति को मतगणना केन्द्र में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
डाक मत पत्रों की गिनती के लिए अतिरिक्त सहायक चुनाव अधिकारियों को नियुक्त किया जाएगा।
निर्वाचन आयोग ने विजय जुलूसों पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया है। प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए विजयी प्रत्याशी के साथ केवल दो लोग ही जा सकते हैं।
केरल, तमिलनाडु और पुद्दुचेरी विधानसभा चुनाव का मतदान एक ही चरण में छह अप्रैल को कराया गया था। कन्याकुमारी और मालप्पपुरम लोकसभा सीट का उपचुनाव भी छह अप्रैल को हुआ था। असम विधानसभा के लिए तीन चरण में वोट डाले गये थे, जबकि पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में मतदान हुआ।
बंगाल में दो सीटों पर बाद में मतदान
आंध्र प्रदेश की तिरुपति और कर्नाटक में बेलगांव लोकसभा सीट और नौ राज्यों की बारह विधानसभा सीटों का उपचुनाव पश्चिम बंगाल के पाँचवे चरण के मतदान के साथ हुआ था।
पश्चिम बंगाल विधानसभा की 294 सीटों में से 292 सीटों पर मतदान हो चुका है। इस बीच, निर्वाचन आयोग ने समसेरगंज और जांगीपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के चुनाव के लिए नई अधिसूचना जारी की है। इन क्षेत्रों में उम्मीदवारों के निधन से मतदान स्थगित कर दिया गया था। इन सीटों पर 16 मई को वोट डाले जाएंगे। ओडिसा में पीपली विधानसभा सीट का उपचुनाव भी 16 मई को होगा। मतगणना 19 मई को की जाएगी।