असम के नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने कहा है कि उन पर बीजेपी में शामिल होने को लेकर दबाव है। सैकिया का यह बयान इसलिए अहम है क्योंकि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने कुछ दिन पहले कहा था कि असम में एक बार फिर विधानसभा के उपचुनाव हो सकते हैं। उनका इशारा इस ओर था कि विपक्ष के कुछ और विधायक बीजेपी के पाले में आ सकते हैं। बताना होगा कि कांग्रेस से टूटकर कुछ विधायक बीजेपी के पाले में जा चुके हैं।
नेता प्रतिपक्ष जैसे अहम ओहदे पर बैठे शख़्स ने जब दबाव की बात कही है तो यह माना जाना चाहिए कि विपक्ष के कई विधायक इस तरह के दबाव का सामना कर रहे होंगे।
न्यूज़ 18 से बातचीत में सैकिया ने कहा, “मैं दबाव में हूं, यह सच है कि मैं दबाव में हूं लेकिन मैं चुनौतियों का सामना करूंगा। मैं विचारधारा के मुद्दों की वजह से बीजेपी में शामिल नहीं हो सकता। मैं बीजेपी में तभी शामिल होऊंगा, जब वह कांग्रेस की विचारधारा को अपना लेगी।”
हाइजैक करने की कोशिश
सैकिया ने कहा कि बीजेपी असम में लालच देने की राजनीति कर रही है और हमारे विधायकों को हाइजैक करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी विपक्ष के विधायकों के लिए ब्लैकमेल करने की नीति इस्तेमाल करती है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैकिया ने कहा, लेकिन उनकी पार्टी का ऐसा कोई भी विधायक जो कांग्रेस की विचारधारा से जुड़ा है, पार्टी नहीं छोड़ेगा।
जबकि मुख्यमंत्री सरमा के राजनीतिक सचिव जयंत मल्ला बरूआ ने कहा कि विपक्ष के विधायक बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं और कई विधायक हमारे संपर्क में भी हैं।
पूर्वोत्तर में किया विस्तार
बेशक, बीजेपी पूर्वोत्तर में आक्रामक रणनीति के तहत अपना विस्तार कर रही है। मुख्यमंत्री सरमा कुछ साल पहले ही कांग्रेस से बीजेपी में आए थे और उनके आने के बाद बीजेपी ने पूर्वोत्तर के सबसे बड़े राज्य असम में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने के साथ ही यहां के छोटे राज्यों में भी सहयोगी दलों के दम पर सत्ता का स्वाद चखा है।
...विपक्ष नहीं रहेगा
बीजेपी के विधायक रूपज्योति कुर्मी ने न्यूज़ 18 से कहा, “2026 तक असम में विपक्ष नहीं रहेगा। सारे विधायक बीजेपी में शामिल हो सकते हैं या फिर बीजेपी विपक्ष की सभी सीटों पर कब्जा कर लेगी।” कुर्मी ने कहा कि कांग्रेस के तीन विधायक उनके सीधे संपर्क में हैं और वे जल्द से जल्द बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं। कुर्मी भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे।
कुछ ही दिन पहले पांच सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को तीन और उसके सहयोगी दल यूपीपीएल को दो सीटों पर जीत मिली थी जबकि बाक़ी दलों का खाता तक नहीं खुल सका था।
नेता प्रतिपक्ष सैकिया का यह आरोप इसलिए भी सही लगता है क्योंकि बीते सात सालों में अरुणाचल से लेकर उत्तराखंड, गोवा से लेकर गुजरात और मध्य प्रदेश से लेकर कर्नाटक तक में कांग्रेस के कई विधायकों ने पाला बदलकर बीजेपी का हाथ थाम लिया। निश्चित रूप से इन विधायकों को प्रलोभन दिया गया होगा। इन विधायकों को बीजेपी ने टिकट भी दिया और मंत्री भी बनाया। बीजेपी पर सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल कर विपक्षी नेताओं पर दबाव बनाने, उन्हें डराने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में सैकिया के आरोपों को ग़लत नहीं कहा जा सकता।
‘महाजोत’ को मिली थी हार
असम में इस साल अप्रैल में विधानसभा के चुनाव हुए थे। 126 सीटों वाले असम में बीजेपी को 60 सीटों पर जीत मिली थी जबकि कांग्रेस ने ‘महाजोत’ बनाकर चुनाव लड़ा था और फिर भी वह बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई थी।
चुनाव नतीजों में ‘महाजोत’ केवल 50 सीटों पर ही जीत हासिल कर सका था। इसमें से कांग्रेस को 29, एआईयूडीएफ़ को 16, बीपीएफ़ को चार और सीपीआई(एम) को एक सीट पर जीत मिली।
चुनाव के बाद कांग्रेस ने एआईयूडीएफ़ और बीपीएफ़ के साथ गठबंधन तोड़ दिया था। ‘महाजोत’ में एआईयूडीएफ़ कांग्रेस का सबसे बड़ा सहयोगी दल था।
हिंदुत्व के पोस्टर ब्वॉय हैं सरमा
हिमंता बिस्व सरमा ने कांग्रेस में आने के बाद पूर्वोत्तर में बीजेपी के लिए लगातार काम किया है। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा में बीजेपी की सरकार बनाने में भूमिका निभाई है। इसलिए पार्टी ने सर्बानंद सोनोवाल की जगह उन्हें मुख्यमंत्री की गद्दी सौंपी है।
सरमा को हिंदुत्व का पोस्टर ब्वॉय कहा जाता है और वह समुदाय विशेष के प्रति नफ़रत दिखाने वाले बयान देते रहे हैं।