असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने राहुल गांधी के सरनेम को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि 'गांधी जी ने देश को आज़ाद किया और आप लोगों (नेहरू-गांधी परिवार) ने सरनेम को हड़प लिया'। उन्होंने यहाँ तक कहा कि ये लोग 'डुप्लीकेट गांधी' बन गए। वह सवाल करते हैं कि 'आप कौन से फॉर्मूले पर... इंदिरा गांधी, राहुल गांधी, राजीव गांधी, प्रियंका गांधी... कौन सा फ़ॉर्मूले पर गांधी होता है।... इंडिया का जो पहला स्कैम शुरू हुआ वह टाइटल से ही शुरू हुआ।'
असम के मुख्यमंत्री सरमा के इस बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और उनपर जोरदार हमला किया है। कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा है, 'आपका नाम आपके पिता श्री कैलाश नाथ सरमा जी से ही पड़ा ना? वैसे ही राजीव जी का अपने पिता फ़िरोज़ गांधी से पड़ा और वही उनके पोते का भी हुआ। गिरे हुए तो आप बहुत हैं - सड़े हुए भी काफ़ी हैं।'
वैसे, असम के मुख्यमंत्री बीजेपी में पहले शख्स नहीं हैं जिन्होंने गांधी सरनेम को लेकर आरोप लगाया है। खुद प्रधानमंत्री मोदी तक इसको लेकर आरोप लगा चुके हैं। वह भी संसद में। इस साल फरवरी में पीएम मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस का जवाब देते हुए सवाल किया था, 'अगर हम कहीं भी नेहरू का ज़िक्र करने से चूक जाते हैं, तो वे परेशान हो जाते हैं। नेहरू इतने महान व्यक्ति थे, फिर उनमें से कोई भी नेहरू उपनाम का इस्तेमाल क्यों नहीं करता। नेहरू नाम का इस्तेमाल करने में शर्म क्या है।'
प्रधानमंत्री मोदी की इस टिप्पणी के लिए आलोचना की गई थी। सोशल मीडिया पर भी उनके जवाब में कहा गया था कि अपने पिता का सरनेम छोड़कर नाना का सरनेम कौन इस्तेमाल करता है। लोगों ने यह भी याद दिलाया था कि राहुल के दादा का नाम फिरोज गांधी था।
तब राहुल गांधी ने कहा था, 'प्रधानमंत्री सीधे तौर पर मेरा अपमान करते हैं और उनके शब्दों को हटाया नहीं जाता है। लेकिन मेरे अधिकांश भाषण को संपादित कर दिया गया और संसद के रिकॉर्ड में नहीं जाने दिया गया।'
बहरहाल, यह सब होने के बाद भी असम के मुख्यमंत्री ने फिर से राहुल गांधी के सरनेम को लेकर हमला किया। उन्होंने गुवाहाटी में बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, 'उनका पहला घोटाला गांधी की उपाधि से शुरू हुआ। उन्होंने केवल परिवारवाद किया और देश को तोड़ने का काम किया। मैं राहुल गांधी से गांधी की उपाधि छोड़ने का अनुरोध करता हूं।'
वैसे, सरमा अक्सर विवादित बयान देते रहे हैं। इसी साल जुलाई में उन्होंने मुस्लिमों को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने यह दावा करके एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था कि मुस्लिम सब्जी विक्रेता सब्जियों की कीमतें बढ़ा रहे हैं, और अगर 'असमिया लोग' सब्जियां बेचते, तो वे कभी भी 'अपने असमिया लोगों' से अधिक पैसा नहीं लेते। सरमा ने कहा, 'वे कौन लोग हैं जिन्होंने सब्जियों की कीमत इतनी बढ़ा दी है? वे मियां व्यापारी हैं, जो ऊंची कीमत पर सब्जियां बेच रहे हैं।'
उन्होंने पिछले साल नवंबर में गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी की तुलना पूर्व इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन से कर दी थी। उन्होंने राहुल पर तंज कसते हुए कहा था, 'आपका चेहरा सद्दाम हुसैन जैसा क्यों होता जा रहा है।' उन्होंने कहा था, 'मैंने अभी देखा कि उनका चेहरा भी बदल गया है। मैंने कुछ दिन पहले एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि उनके नए लुक में कुछ भी ग़लत नहीं है। लेकिन अगर आपको चेहरा बदलना है तो कम से कम सरदार वल्लभभाई पटेल या जवाहरलाल नेहरू की तरह बनिए। गांधीजी की तरह दिखें तो अच्छा है। लेकिन आपका चेहरा सद्दाम हुसैन जैसा क्यों हो गया है?'
पिछले साल मई में हिमंत बिस्व सरमा ने कहा था कि जो कोई भी मदरसों को बंद करता है और समान नागरिक संहिता की बात करता है, वह वास्तव में भारतीय मुसलमानों का हितैषी है।