कांग्रेस बोली- असम सीएम हटाए जाएँ, परिवार पर ज़मीन घोटाले का आरोप

03:03 pm Dec 20, 2021 | सत्य ब्यूरो

कांग्रेस ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को बर्खास्त करे और उनके परिवार से जुड़े कथित एक जमीन घोटाले की जाँच कराए। पार्टी ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश की देखरेख में विशेष जांच दल द्वारा तय समय में जांच की जाए।

एआईसीसी और असम कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सरमा की पत्नी और रिश्तेदारों से जुड़ी एक कंपनी ने ग़रीब लोगों और संस्थानों के लिए रखी गई सरकारी ज़मीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। इसको लेकर कांग्रेस ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की। 

असम के एआईसीसी प्रभारी जितेंद्र सिंह, राज्य के सांसद रिपुन बोरा, गौरव गोगोई और अब्दुल खालिक और पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कांग्रेस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन कर हिमंत बिस्व सरमा पर ये आरोप लगाए। एक बयान में उन्होंने कहा, 'सरमा अपने परिवार के सदस्यों को करोड़ों की सरकारी ज़मीन अपनी मर्जी से सौंप रहे हैं...।'

कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा पर भू माफिया होने के आरोप लगाए। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार में मंत्री रहते हुए हिमंत बिस्व सरमा ने 100 करोड़ की ज़मीन अपने रिश्तेदारों के नाम कराई है। आरोप लगाते हुए पार्टी ने दस्तावेज़ समेत प्रमाण होने का दावा भी किया है। 

पार्टी ने आरोप लगाया कि सीलिंग प्लस लैंड भूमिहीन के लिए है, लेकिन यह जमीन आरबीएस रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को 8 महीने के भीतर ट्रांसफर की गई। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि कंपनी की फ़ाउंडर उनकी पत्नी रिंकी बिस्व सरमा हैं। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि 16 सितंबर 2019 को हिमंत बिस्व सरमा के बेटे नंदिल बिस्व सरमा के वयस्क होने के 18 दिन बाद ही मीना भुइयां नाम के एक शख्स ने अपने शेयर उन्हें हस्तांतरित कर दिए। आरोप लगाया गया कि वित्तवर्ष 20 तक मुख्यमंत्री के बेटे के पास कंपनी के 23.61 प्रतिशत शेयर थे।

पार्टी ने और भी कई तरह की अनियमितताओं को लेकर आरोप लगाया। कांग्रेस प्रभारी जीतेन्द्र सिंह ने कहा कि असम में 'मुख्यमंत्री टैक्स' वसूला जाता है। पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री को हिमंत बिस्व सरमा को तत्काल मुख्यमंत्री पद से हटा देना चाहिए। गौरव वल्लभ ने कहा कि एक मौजूदा सीएम को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।