बाल विवाह डेटाः असम में गिरफ्तार हर 10 में से 6 मुस्लिम

08:22 am Mar 28, 2023 | सत्य ब्यूरो

बाल विवाह मामले में असम में गिरफ्तार किए गए हर 10 में से 6 मुसलमान हैं। असम विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है। इसके मुताबिक असम के 10 जिलों में सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां हुई हैं।

इंडियन एक्सप्रेस ने बाल विवाह मामले में गुवाहाटी में 35 पुलिस जिलों और पुलिस कमिश्नरों के रिकॉर्ड के माध्यम से जाना और पाया कि गिरफ्तार किए गए 3,141 लोगों को बाल विवाह कानून के तहत बुक किया गया था। यौन अपराध अधिनियम (पॉक्सो) के तहत गिरफ्तार किए गए लोगों में से करीब 62 फीसदी को अदालतों ने जमानत दे दी है। 

रिकॉर्ड के विश्लेषण से पता चला है कि गिरफ्तार किए गए लोगों में से 62.24% मुस्लिम हैं जबकि शेष - 1,186 या 37.76% - हिंदू या अन्य समुदायों के लोग हैं।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पिछले सप्ताह राज्य विधानसभा में गिरफ्तारियों का समुदाय-वार ब्यौरा पेश किया था। विपक्षी विधायकों के आरोपों का जवाब देने के लिए कि कार्रवाई में अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को निशाना बनाया गया। खुद मुख्यमंत्री ने कहा था कि गिरफ्तार किए गए मुसलमानों और हिंदुओं का अनुपात 55:45 था।

गिरफ्तारियों के जिलेवार विश्लेषण से पता चलता है कि गिरफ्तारियों की संख्या के मामले में शीर्ष पांच जिलों में नागांव (224), होजई (219), धुबरी (217), बक्सा (179) और बारपेटा (174) हैं। मिश्रित आबादी वाले निचले असम के जिले बक्सा में, गिरफ्तार लोगों में हिंदू और अन्य 62.64 प्रतिशत हैं। मोटे तौर पर 40 फीसदी गिरफ्तारियां असम के 10 निचले जिलों में की गईं।

सबसे कम गिरफ्तारी वाले पांच जिले जोरहाट (8), पश्चिम कार्बी आंगलोंग (10), डिब्रूगढ़ (11), माजुली (24) और डिब्रूगढ़ (25) हैं। जबकि जोरहाट, डिब्रूगढ़, माजुली और डिब्रूगढ़ ऊपरी असम में हैं। पश्चिम कार्बी आंगलोंग मध्य असम का एक बड़ा आदिवासी जिला है।

जब जनवरी में कार्रवाई की घोषणा की गई, तो सरकार ने कहा कि 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले सभी लोगों पर POCSO अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। आंकड़ों से पता चलता है कि 2,361 मामलों में से 2,289 मामलों में POCSO के प्रावधानों को लागू किया गया था, जिनमें गिरफ्तारी की गई है। यह करीब 97 फीसदी है। धारा 6 (गंभीर यौन हमला) और 17 (उकसाना) - POCSO अधिनियम के तहत गैर-जमानती अपराध के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। बाल विवाह निषेध अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) के तहत भी गिरफ्तारियां की गई हैं।

इस तथ्य के बावजूद कि इतनी बड़ी संख्या में मामलों में POCSO लागू किया गया था, गृह विभाग द्वारा 3,098 लोगों के डेटा से पता चलता है कि 62% प्रतिशत (1,922) को फरवरी के अंत तक जमानत मिल गई थी।

असम के पुलिस महानिदेशक जी पी सिंह ने कहा, “जमानत अदालतों का विशेषाधिकार है। हमने अब तक 889 चार्जशीट जमा की हैं। सभी मामलों में जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल करने का प्रयास किया जा रहा है। पिछले महीने ऐसे चार मामलों में अग्रिम जमानत देते हुए जस्टिस सुमन श्याम ने POCSO आवेदन के कारण जमानत देने के खिलाफ आपत्तियों के जवाब में टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था - POCSO के तहत आप आरोपी पर कुछ भी नहीं जोड़ सकते। यहां पॉक्सो (अपराध) क्या है? सिर्फ इसलिए कि इसमें पॉस्को की धारा लगाई गई है तो जज यह नहीं देखें कि इसमें क्या है।

15 मार्च को असम विधान सभा में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विपक्षी विधायकों के दावों का खंडन किया कि हाईकोर्ट ने इन मामलों में POCSO कानून के इस्तेमाल पर सरकार की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था - गोहाटी हाईकोर्ट ने असम सरकार के खिलाफ कोई भी नकारात्मक टिप्पणी नहीं की है … अगर किसी को जमानत दी जाती है तो हमें कोई समस्या नहीं है लेकिन अभी भी 1,000 अभियुक्त ऐसे हैं जिन्हें अभी तक अदालतों से जमानत नहीं मिली है। यहां तक ​​कि पुलिस ने भी कहा है कि अगर किसी को जमानत दी जाती है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। हमें एक संदेश देना था, हमने दिया है।