ऐसे में जब असम-मिज़ोरम में हिंसक संघर्ष के बाद अब शांति वार्ता प्रगति पर है इस बीच ही केंद्र सरकार ने उत्तर-पूर्वी राज्यों में सीमा विवाद को सैटेलाइट इमेजिंग के माध्यम से राज्यों के बीच सीमा विवाद सुलझाने का फ़ैसला लिया है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सीमाओं के निर्धारण का काम अंतरिक्ष विभाग और उत्तर पूर्वी परिषद की संयुक्त पहल के रूप में गठित नॉर्थ ईस्टर्न स्पेस एप्लीकेशन सेंटर यानी एनईएसएसी को दिया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ महीने पहले उपग्रह इमेजिंग के माध्यम से अंतर-राज्यीय सीमाओं के सीमांकन का विचार रखा था। उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र में अंतर-राज्यीय सीमाओं और जंगलों की मैपिंग और राज्यों के बीच सीमाओं के वैज्ञानिक सीमांकन के साथ आने के लिए एनईएसएसी को कार्य देने का सुझाव दिया था। एनईएसएसी उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करके पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद करता है।
'मिज़ो सांसद के ख़िलाफ़ FIR वापस'
असम-मिज़ोरम के बीच क़रीब हफ़्ते भर से चली आ रही तनातनी के पहली बार कम होने के संकेत हैं। मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथंगा के बाद अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने भी शांति बहाली की पहल की है। हिमंत ने मिज़ोरम से राज्यसभा सांसद के. वनलालवेना के ख़िलाफ़ दर्ज प्राथमिकी को वापस लेने की बात कही है। इससे एक दिन पहले ही मिज़ोरम सरकार ने कहा है कि वह असम के मुख्यमंत्री हिमंत के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को वापस लेगा।
रविवार को भी असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा बात तो वार्ता की कर रहे थे लेकिन इसके साथ उन्होंने यह भी कहा था कि वह असम-मिज़ोरम सीमा विवाद को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएँगे लेकिन अपने अधिकारियों की जाँच की अनुमति नहीं देंगे।
असम-मिज़ोरम के बीच पिछले क़रीब हफ़्ते भर से तब से तनाव चला आ रहा है जब सीमा विवाद में हिंसा हो गई थी। इसमें कम से कम 6 जवानों की मौत हो गई थी। इसी तनातनी के बीच दोनों तरफ़ से एफ़आईआर भी दर्ज कराई गई, असम ने तो अपने राज्य के लोगों को मिज़ोरम जाने पर एडवाइजरी भी जारी कर दी थी और मिज़ोरम से आने वाले सभी वाहनों की जाँच के आदेश दिए थे। दोनों राज्यों ने एक-दूसरे को समन दिया लेकिन वे उसे मानने को तैयार नहीं थे।
लेकिन रविवार को ही मिज़ोरम के मुख्यमंत्री की ओर से सकारात्मक संदेश के बाद दोनों राज्यों के बीच वार्ता की उम्मीद भी जागी थी। इस मामले में अब तक बेहद सख़्त रुख अख्तियार करते रहे असम के मुख्यमंत्री ने भी घुमाफिराकर वार्ता की बात कही थी।
असम के मुख्यमंत्री ने सोमवार को शांति की ओर क़दम बढ़ाया। उन्होंने इसको लेकर ट्वीट किया, 'मैंने मीडिया में माननीय मुख्यमंत्री ज़ोरमथंगा द्वारा दिए गए बयानों को नोट किया है जिसमें उन्होंने सीमा विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने की इच्छा व्यक्त की है। असम हमेशा उत्तर पूर्व की भावना को जीवित रखना चाहता है। हम अपनी सीमाओं पर शांति सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।'
इस ट्वीट के दूसरे हिस्से में उन्होंने कहा, 'इसी सद्भावना को आगे बढ़ाने के लिए मैंने मिज़ोरम से माननीय राज्यसभा सांसद के. वनलालवेना के ख़िलाफ़ प्राथमिकी वापस लेने के लिए असम पुलिस को निर्देश दिया है। हालाँकि अन्य आरोपी पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ केस जारी रहेगा।'
बता दें कि मिज़ोरम के कोलासिब ज़िले के वेरेंगेटे में पुलिस ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और छह पुलिस अफ़सरों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई थी तो असम के कछार में मिज़ोरम पुलिस के आला अफ़सरों और राज्यसभा के एक सांसद के ख़िलाफ़ भी केस दर्ज किया गया था।
एक दिन पहले मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथंगा ने कहा था, 'केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री से बातचीत के बाद असम-मिज़ोरम सीमा विवाद सुलझाने के लिए अर्थपूर्ण बातचीत करने को हम सहमत हो गए हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि दोनों राज्यों के बीच तनाव कम करने के लिए नए सिरे से बातचीत शुरू हो गई है। ज़ोरमथंगा ने कहा कि तनाव बढ़ने की किसी भी संभावित स्थिति को देखते हुए वह मिज़ोरम के लोगों से सोशल मीडिया पर संवेदनशील चीजें पोस्ट करने से बचने का आग्रह करते हैं।
दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के ताज़ा बयान तो शांति बहाली के संकेत देते हैं, लेकिन यह कहना कठिन है कि असम-मिज़ोरम सीमा विवाद ख़त्म ही हो जाएगा। क़रीब डेढ़ सौ साल पुराना विवाद जाहिर तौर पर ट्विटर पर सद्भावना ट्वीट से ही हल नहीं हो सकते हैं, लेकिन एक अच्छा संकेत यह है कि वार्ता के लिए दोनों पक्ष तैयार हैं।
हिमंत ने अहं का मुद्दा बना दिया: मेघालय सांसद
असम मिज़ोरम विवाद का ज़िक्र करते हुए मेघालय से कांग्रेस के लोकसभा सांसद विंसेंट पाला ने कहा है कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने इसे अहंकार का मुद्दा बना दिया है। उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था और केंद्र को इस मुद्दे को हल करने के लिए कहा था। शुक्रवार को लिखे पत्र में उन्होंने कहा था कि अंतरराज्यीय सीमा संघर्ष की घटनाएँ न केवल बढ़ रही हैं, बल्कि असम में बीजेपी सरकार के तहत इसने एक आक्रामक रूप ले लिया है। सांसद ने कहा कि त्रिपुरा और मणिपुर को छोड़कर, पूर्वोत्तर के अन्य सभी राज्यों का असम के साथ सीमा विवाद है। उन्होंने कहा कि इसने पिछले कुछ वर्षों में भूमि, वन संसाधनों के साथ-साथ जातीय संघर्षों को भी जन्म दिया है।