क्या आपने ऐसा सुना है कि जिस बूथ पर जितने वोट हों, उससे ज़्यादा पड़ गए हों। कभी-कभी 1 -2 वोट ज़्यादा पड़ने की बात निर्वाचन के काम में लगे अफ़सरों की लापरवाही के कारण सामने आती है लेकिन असम में तो गज़ब का वाकया हुआ है।
असम के दिमा हसाओ जिले में स्थित एक बूथ पर कुल 90 मतदाता थे लेकिन यहां वोट पड़ गए 171। इसका मतलब साफ है कि सिर्फ़ भयंकर लापरवाही नहीं जानबूझकर गड़बड़ी की गई है।
यह बूथ हैफलॉंग निर्वाचन क्षेत्र में पड़ता है और इस पर दूसरे चरण में 1 अप्रैल को 74 फ़ीसदी मतदान हुआ था। यह बूथ हैफलॉंग के 107(A) खोटलिर एलपी स्कूल में बनाया गया था। असम में तीसरे और अंतिम चरण का मतदान 6 अप्रैल को है। असम के साथ ही पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी के नतीजे 6 मई को आएंगे।
हालांकि यह मामला सामने आते ही मशीनरी हरक़त में आई और उसने इस बूथ पर निर्वाचन के काम में लगे 5 अफ़सरों को सस्पेंड कर दिया और फिर से वोटिंग कराने का आदेश दिया।
जिस गांव के ये मतदाता थे वहां के मुखिया ने निर्वाचन आयोग से आई वोटर लिस्ट को स्वीकार करने से मना कर दिया था और ख़ुद की वोटर लिस्ट से मतदान कराया था। लेकिन ये बात हैरान करने वाली है कि निर्वाचन के काम में लगे पोलिंग अफ़सरों ने मुखिया की इस लिस्ट को क्यों स्वीकार कर लिया और इस ओर किसी ने भी ध्यान क्यों नहीं दिया।
निर्वाचन के काम में लगे अफ़सरों को इसकी शिकायत ऊपर तक करनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और मतदान होने दिया। ऐसा क्यों हुआ इसकी भी जांच की जानी चाहिए। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि किसी दूसरी जगह ऐसा नहीं हो सकता।
गाड़ी में मिली थी ईवीएम
कुछ दिन पहले असम के करीमगंज में बीजेपी उम्मीदवार कृष्णेंदु पॉल की निजी गाड़ी में ईवीएम मिली थी। इस मामले में खासा बवाल होने के बाद चुनाव आयोग ने सख़्त कार्रवाई करते हुए 4 पोलिंग अफ़सरों को सस्पेंड कर दिया था। पाथरकांडी से उम्मीदवार कृष्णेंदु पॉल की निजी गाड़ी में ईवीएम मिलने के वीडियो को पत्रकार अतानु भूयान ने ट्वीट किया था। चुनाव आयोग ने 149 नंबर के पोलिंग स्टेशन पर फिर से मतदान कराने का आदेश दिया था।
ईवीएम मिलने पर वहां विपक्षी नेताओं का जमावड़ा लग गया था। पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में गोलियां चलानी पड़ीं और लाठीचार्ज भी करना पड़ा था। यह घटना असम विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण के मतदान वाले दिन यानी 1 अप्रैल को हुई थी।