असम : स्थानीय लोगों व पुलिस में झड़प, दो नागरिक मरे
असम के दरांग ज़िले में अतिक्रमण हटाने गई पुलिस के साथ स्थानीय लोगों की झड़प में दो नागरिकों की मौत हो गई है और नौ पुलिस कर्मी घायल हो गए हैं।
दंगारोधी वर्दी में लाठियों व बंदूकों से लैस पुलिस कर्मियों ने लोगों को खदेड़-खदेड़ कर मारा और गोलियाँ चलाईं।
सोशल मीडिया पर चल रहे वीडियो में दिखता है कि प्रदर्शन कर रहे एक नागरिक को बड़ी संख्या में पुलिस वालों ने घेर कर मारा, जब वह बेदम होकर ज़मीन पर गिर पड़ा तो मौके पर मौजूद और तसवीरें खींच रहे एक कैमरामैन ने उस आदमी के ऊपर कूद कर उसे बुरी तरह पीटा।
राज्य सरकार ने कहा है कि हाई कोर्ट के एक रिटायर्ड जज इस हिंसा की जाँच करेंगे।
क्या कहना है पुलिस का?
दरांग के पुलिस सुपरिटेंडेंट ने 'एनडीटीवी' से कहा कि स्थानीय लोगों ने अतिक्रमण हटाओ अभियान का विरोध किया और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया।
एसपी सुशांत बिस्वा सरमा ने कहा, "हमारे नौ पुलिसकर्मी घायल हो गए। दो नागरिक भी घायल हो गए, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अब स्थिति सामान्य हो गई है।"
पुलिस की ओर से गोलियाँ चलाने के मुद्दे पर बिस्व सरमा ने कहा, "क्षेत्र बड़ा है। मैं दूसरी तरफ था। मैं स्थिति का पता लगाऊँगा और आकलन करूँगा।"
बता दें कि सोमवार से ही इलाके में तनाव है क्योंकि 800 परिवारों को बेदखल कर दिया गया है।
दरांग ज़िले में मौजूद ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन के सलाहकार आइनुद्दीन अहमद ने बीबीसी से कहा,"आज सुबह करीब पाँच हज़ार से भी अधिक लोग सरकार द्वारा किए जा रहे बेदखली अभियान के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के लिए जमा हुए थे। प्रशासन के अधिकारी जेसीबी से लोगों के घर तोड़ रहे थे। इस बीच दोनों पक्षों में कहासुनी के बाद झड़प हुई और पुलिस ने फायरिंग कर दी।"
सरकार का अभियान
असम सरकार के एक आदेश के बाद 20 सितंबर को दरांग ज़िले के सिपाझार में प्रशासन ने एक अभियान चलाकर लगभग 4,500 बीघा भूमि पर क़ब्ज़ा करने वाले कम से कम 800 परिवारों को बेदखल कर दिया था।
करीब दो सौ परिवारों के ख़िलाफ़ गुरुवार सुबह फिर बेदखली अभियान चलाया गया था और तभी गोलीबारी की यह वारदात हुई।
क्या कहा राहुल गांधी ने?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस पर असम सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि 'असम राज्य की ओर से लगाई गई आग में झुलस रहा है।' उन्होंने कहा, "मैं राज्य के भाई-बहनों के साथ हूँ, भारत की किसी संतान से यह व्यवहार नहीं होना चाहिए।"
Assam is on state-sponsored fire.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 23, 2021
I stand in solidarity with our brothers and sisters in the state- no children of India deserve this. pic.twitter.com/syo4BTIXKH
क्या कहना है मुख्यमंत्री का?
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने पुलिस का बचाव करते हुए कहा कि उन्हें अतिक्रमण खाली कराने की ज़िम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने कहा, "वे अपनी ड्यूटी निभा रहे थे, जहाँ तक मुझे जानकारी है, लोगों ने पुलिस वालों पर लाठियों से हमला कर दिया।"
असम सरकार ने 'अवैध अतिक्रमण' के नाम पर जिन सैकड़ों लोगों के ख़िलाफ़ बेदखली अभियान चलाया है, वे सारे मुसलमान हैं। सरकारी ज़मीन खाली कराने के बाद सैकड़ों लोगों ने नदी के किनारे शरण ले रखी है।
बता दें कि दरांग और उसके आसपास के ज़िलों में बांग्ला बोलने वाले मुसलमानों की अच्छी खासी तादाद है। समझा जाता है कि ये वे लोग हैं, जिनके पूर्वज बहुत पहले ही मौजूदा बांग्लादेश से यहां रोजी-रोटी की तलाश में आए और यहीं बस गए।