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हिमाचल के बाद असम में कांग्रेस को झटका, कार्यकारी अध्यक्ष ने छोड़ा साथ

हिमाचल के बाद असम में कांग्रेस को झटका, कार्यकारी अध्यक्ष ने छोड़ा साथ

हिमाचल प्रदेश में विधायकों के पाला बदलने से संकट में आई कांग्रेस अभी उबर भी नहीं पाई है कि अब असम में उसके लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है। जानिए, असम कांग्रेस में क्या चल रहा है।

कांग्रेस को अब असम में झटका लगा है। पार्टी के असम के कार्यकारी अध्यक्ष राणा गोस्वामी ने पद छोड़ दिया है। उनके बीजेपी में शामिल होने की संभावना है। कांग्रेस अभी हिमाचल के झटके से पूरी तरह उबरी भी नहीं है जहाँ उसके विधायकों ने पाला बदलकर बीजेपी समर्थित उम्मीदवार को वोट दे दिया और एक समय तो लगने लगा था कि सुक्खू सरकार पर ख़तरा मँडराने लगा है। इससे पहले पार्टी को महाराष्ट्र में भी झटका लगा था। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा जैसे नेता कांग्रेस छोड़कर बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टी में शामिल हो चुके हैं।

बहरहाल, दो सप्ताह की अवधि में असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी अपने तीन कार्यकारी अध्यक्षों में से दो को खो चुकी है। जोरहाट के पूर्व विधायक राणा गोस्वामी ने अब भाजपा में शामिल होने के संकेत दिए हैं। बीजेपी शासित असम में कांग्रेस को पिछले महीने राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के राज्य से गुजरने के बाद से कई झटकों का सामना करना पड़ रहा है।

राणा गोस्वामी असम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की तैयारी में सबसे आगे रहे थे। राहुल की यात्रा के लिए मार्ग से भटकने को लेकर मामला दर्ज होने के बाद कुछ दिन पहले पुलिस ने उनसे पूछताछ की थी।

जोरहाट के पूर्व विधायक राणा गोस्वामी ने बुधवार को कांग्रेस को लिखे पत्र में अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने लिखा, 'मैं सविनय निवेदन करता हूं कि मैं असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सक्रिय सदस्य के रूप में अपना इस्तीफा दे रहा हूं।' उन्होंने असम कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा को पत्र लिखकर एपीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में अपना इस्तीफा दे दिया।

दो दिन पहले गोस्वामी ने विभिन्न राजनीतिक कारणों का हवाला देते हुए ऊपरी असम के कांग्रेस के संगठनात्मक प्रभारी के पद से इस्तीफा दे दिया था। बोरा ने तब गोस्वामी के कदम को कम महत्व देते हुए संवाददाताओं से कहा था कि उन्हें विश्वास नहीं है कि गोस्वामी पार्टी छोड़ देंगे।

बोरा ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा लोगों को प्रभावित करने वाले मुख्य मुद्दों को उठाने के बजाय मीडिया को व्यस्त रखने के लिए कांग्रेस के भीतर कथित दरार को बढ़ा रही है।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार बोरा ने कहा, 'हमने (गोस्वामी और मैंने) 30 साल तक एक साथ राजनीति की है। मैंने कल भी उनसे (गोस्वामी) बात की और मेरी समझ यह है कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी को लगभग तीन दशक दिए हैं और पार्टी ने उन्हें बहुत सम्मान दिया है।

इस महीने की शुरुआत में कांग्रेस के एक अन्य कार्यकारी अध्यक्ष कमलाख्या डे पुरकायस्थ ने इस्तीफा दे दिया था और राज्य में भाजपा सरकार को अपना समर्थन दिया था। उनके साथ कांग्रेस के साथी विधायक बसंत दास भी शामिल हुए। उन्हें छोड़कर, कांग्रेस के पास अब 126 सदस्यीय विधानसभा में केवल 23 विधायक हैं।

2021 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी नेतृत्व ने तीन एपीसीसी कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए थे- पूर्व एआईसीसी सचिव गोस्वामी, उत्तरी करीमगंज विधायक कमलाख्या डे पुरकायस्थ और सरुखेत्री विधायक जाकिर हुसैन सिकदर। 

कांग्रेस को ये लगातार झटके भाजपा के बढ़ते दबाव के बीच मिले हैं, जो दावा कर रही है कि लगभग सभी कांग्रेस विधायक सत्तारूढ़ खेमे के संपर्क में हैं।

सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने खुद मंगलवार को पत्रकारों से कहा कि 2026 के राज्य विधानसभा चुनाव होने तक रकीबुल हुसैन, रेकीबुद्दीन अहमद, जाकिर हुसैन सिकदर और नुरुल हुदा जैसे सिर्फ़ कुछ विधायक ही कांग्रेस के साथ रह जाएँगे।

गोस्वामी के बाहर निकलने से लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। पार्टी को मंगलवार को हिमाचल में राज्यसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा और अब वह हिमाचल प्रदेश में अपनी सरकार गिराए जाने की संभावना से जूझ रही है। वह उत्तर भारत का एकमात्र राज्य है जहाँ वह सत्ता में है।

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