विश्व शर्मा ने क्यों कहा, कांग्रेस असम में कायम करेगी बाबर का राज
भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर क्या एक बार फिर मुसलमान हैं? क्या उग्र हिन्दुत्व की राजनीति करने वाली पार्टी असम विधानसभा चुनाव के पहले सांप्रदायिक आधार पर समाज का ध्रुवीकरण करना चाहती है ताकि उसे अधिक से अधिक हिन्दू वोट मिले? क्या बीजेपी को यह लगने लगा है कि एनआरसी का कार्ड असम में नहीं चला और इस आधार पर उसे हिन्दुओं का वोट नहीं मिलेगा?
'बाबर का राज'
ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि रविवार को गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में असम के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि कांग्रेस की अगुआई में बने क्षेत्रीय दलों के मोर्चे का एकमात्र मक़सद राज्य में 'बाबर के राज' को स्थापित करना है।
हिमंत विश्व शर्मा ने एक सार्वजनिक सभा में गृह मंत्री की मौजूदगी में मंच से कहा,
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"बदरुद्दीन अज़मल, कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों का एकमात्र उद्येश्य राज्य में बाबर का राज स्थापित करना है। लेकिन जब तक यहाँ बीजेपी के हनुमान हैं, हम राम के आदर्शों को लेकर आगे बढ़ेंगे।"
हिमंत विश्व शर्मा, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री, असम
अज़मल को धमकी?
स्वास्थ्य मंत्री ने धमकाने के अंदाज में कहा कि 'जब तक बीजेपी जीवित है, अज़मल दिसपुर के 10 किलोमीटर के दायरे में दाखिल नहीं हो पाएंगे।'
बता दें कि असम के विपक्षी दलों ने इस साल होने वाले चुनाव के लिए एक साझा मोर्चे का गठन किया है। इसमें ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआईएम, सीपीआईएमएल और आंचलिक गण मोर्चा शामिल हैं।
असम के कोकराझाड़ ज़िले में बीटीआर समझौते के एक साल पूरे होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने चरमपंथियों के साथ कई समझौते किए, पर वह किसी पर टिकी नहीं रही और समझौतों की शर्तों को पूरा नहीं किया।
अमित शाह ने भी कांग्रेस और अज़मल पर चोट करते हुए उन्हें राज्य में घुसपैठ के लिए ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा,
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"क्या बदरुद्दीन अज़मल और कांग्रेस राज्य में होने वाली घुसपैठ को रोक सकते हैं वे ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि इससे उनका वोट बैंक बढ़ता है। सिर्फ नरेंद्र मोदी की सरकार ही असम को घुसपैठियों से मुक्त करा सकती है।"
अमित शाह, गृह मंत्री
मजबूत स्थिति में मुसलमान
हिमंत विश्व शर्मा और अमित शाह के बयानों के साफ राजनीतिक निहितार्थ हैं।
एक मोटे अनुमान के मुताबिक असम के 3.50 करोड़ में से मुसलमानों की आबादी 1.30 करोड़ यानी लगभग 37 प्रतिशत है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य के 27 में से 9 ज़िले मुसलिम-बहुल हैं।
असम के बरपेटा, धुबड़ी, करीमगंज, गोआलपाड़ा, बनगोईगाँव, हैलाकांडी और नगाँव में मुसलिमों की आबादी 38.5 प्रतिशत तो मोरीगावँ में 47.6 और दरांग में 35.5 प्रतिशत मुसलमान हैं।
राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से 6 सीटें मुसलिम-बहुल हैं। ये सीटें हैं- धुबड़ी, बरपेटा, नगाँव, कालियाबोर, करीमगंज और सिलचर, लेकिन 10 सीटों पर मुसलमान निर्णायक स्थिति में हैं।
राज्य की 126 विधानसभा सीटों में से कम से कम 70 सीटों में मुसलमान निर्णायक भूमिका में हैं। ऐसी स्थिति में बीजेपी वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती है ताकि वह हिन्दुओं का अधिक से अधिक वोट उसे मिल जाए और वह ज़्यादा से ज्यादा सीटें जीत ले।
घुसपैठियों के बहाने मुसलमानों पर निशाना
इस वजह से हिमंत विश्व शर्मा का बयान बहुत अहम है। बीजेपी इस ध्रुवीकरण पर ज़ोर अभी से ही दे रही है। बीजेपी के इस ध्रुवीकरण कोशिश की एक वजह यह भी है कि उसका एनआरसी कार्ड नहीं चल पाया। एनआरसी की जो अंतिम सूची बनी है, उसके बाद जो लोग छूट गए हैं, उनमें हिन्दुओं की तादाद अधिक है। उसके बाद से ही वह इस पर पीछे हटने लगी है। ऐसे में हिन्दू-मुसलिम विभाजन उसके काम आएगा, ऐसा उसे लगता है।
इसी तरह जब अमित शाह घुसपैठियों की बात करते हैं तो वे एक तरह से मुसलमानों की ओर ही इशारा करते हैं क्यों कि यह धारणा बनी हुई है कि बांग्लादेश से असम आने वाले लोगों में मुसलमान अधिक हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के समय अमित शाह ने इस घुसपैठियों को 'दीमक' क़रार दिया था, जो अंदर ही अंदर असम को खोखला कर रहा है।
हिमंत विश्व शर्मा और अमित शाह दोनों के निशाने पर मुसलमान ही थे, एक ने खुल कर कहा, दूसरे ने संकेतों में कहा।