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आप विपक्ष के साथ है या नहीं; हरियाणा में पदाधिकारियों की घोषणाा क्यों?

आप विपक्ष के साथ है या नहीं; हरियाणा में पदाधिकारियों की घोषणाा क्यों?

क्या आम आदमी पार्टी विपक्षी एकता के साथ नहीं जाएगी? आख़िर एक के बाद एक झटके क्यों दे रही है? जानिए, इसने हरियाणा में पदाधिकारी घोषित कर क्या संकेत दिए हैं।

आम आदमी पार्टी ने पहले विपक्षी एकता से अलग होने की धमकी दी। फिर उसने बीजेपी द्वारा लाई जाने वाली समान नागरिक संहिता के सैद्धांतिक समर्थन की बात कही। अब इसने हरियाणा में अपने नये पदाधिकारियों की घोषणा की है। यानी पार्टी हरियाणा में अपना विस्तार कर रही है और वह चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। जबकि विपक्षी एकता के लिए जुटी पार्टियों ने अन्य राज्यों में विस्तार रोकने का संकल्प लिया था। तो सवाल है कि क्या आम आदमी पार्टी विपक्षी एकता के संकल्प के साथ नहीं चलना चाहती?

दरअसल, अन्य राज्यों में अलग-अलग पार्टियों के विस्तार को रोकने के संयुक्त विपक्ष के संकल्प के ख़िलाफ़ आप ने हरियाणा के लिए 20 पदाधिकारियों की एक सूची की घोषणा की है। हरियाणा में कांग्रेस सबसे प्रमुख विपक्षी पार्टी है। अब जाहिर है अगले चुनाव में यदि आप भी उतरेगी तो वोटों का बँटवारा होगा। लेकिन विपक्षी एकता की बैठक में वोटों के बँटवारे को रोकने की रणनीति अपनाई गई है।

23 जून को पटना में हुई विपक्ष की बैठक में भाजपा के खिलाफ आमने-सामने की लड़ाई की विपक्ष की रणनीति प्रस्तावित की गई। इसके तहत केवल एक विपक्षी उम्मीदवार भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ेगा, जिससे विपक्षी वोटों को एकजुट करने में मदद मिलेगी।

लेकिन लगता है कि आप इससे सहमत नहीं दिखती है। जबकि, एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि यह आप ही थी जिसने कहा था कि पार्टियों को व्यापक विपक्षी एकता के हित में विस्तार मोड में नहीं जाना चाहिए।

इसके अलावा आम आदमी पार्टी यानी आप ने समान नागरिक संहिता को अपना सैद्धांतिक समर्थन दिया है। हालाँकि, इसके साथ ही इसने एक शर्त भी जोड़ दी है और कहा है कि सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।

आप के राष्ट्रीय महासचिव संदीप पाठक ने कहा है, 'सैद्धांतिक रूप से हम समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हैं क्योंकि अनुच्छेद 44 भी कहता है कि देश में यूसीसी होना चाहिए। हालांकि, इसे सभी के साथ व्यापक परामर्श के बाद लागू किया जाना चाहिए। हमारा मानना है कि सभी धर्मों के साथ व्यापक परामर्श होना चाहिए। राजनीतिक दलों और संगठनों को एक आम सहमति बनानी चाहिए।' 

आम आदमी पार्टी का यह बयान तब आया है जब समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी को लागू करने की बात अब प्रधानमंत्री मोदी ने भी की है। यूसीसी पर जोर देते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत दो कानूनों के साथ नहीं चल सकता, जबकि भारत का संविधान सभी के लिए समानता की बात करता है। उन्होंने पूछा कि परिवार के अलग-अलग सदस्यों पर अलग-अलग नियम कैसे लागू हो सकते हैं।

यूसीसी से अलग आप विपक्षी एकता से हटने की चेतावनी देती रही है। आप चाहती है कि कांग्रेस दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग से जुड़े केंद्र के अध्यादेश की आलोचना करे। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब सीएम भगवंत मान विपक्षी एकता की बैठक में शामिल हुए थे, लेकिन उसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए थे। बैठक से निकलते ही अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप ने विपक्षी एकता से अलग हटने की चेतावनी दे दी थी।

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