भारतीय जनता पार्टी के नेता अवैज्ञानिक सोच और ऊल-जलूल बयानों के लिए बीच-बीच में सुर्खियों में आते रहते हैं। इस लंबी फ़ेहरिस्त में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ का भी नाम जुड़ गया है। उन्होंने मंगलवार को कोलकाता में कहा कि अर्जुन के बाण परमाणु हथियार से लैस होते थे। मजे की बात यह है कि उन्होंने विज्ञान मेले के उद्घाटन के मौके पर यह बात कही। वाह!
बिड़ला साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल म्यूज़ियम में एक कार्यक्रम के दौरान जगदीप धनखड़ ने कहा :
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‘हवाई जहाज़ की खोज 1910 या 1911 में हुई। लेकिन यदि आप पुराने ग्रंथों को देखें तो पाएंगे कि रामायण में हमारे पास उड़न खटोला था। और, महाभारत में ऐसी स्थिति है कि संजय ने सारा हाल सुनाया और उसने युद्ध के मैदान से ऐसा नहीं किया था। अर्जुन के पास ऐसे बाण थे, जो परमाणु हथियार से लैस थे।’
जगदीप धनखड़, राज्यपाल, पश्चिम बंगाल
''मूर्खतापूर्ण बयान!'
साहा इंस्टीच्यूट ऑफ़ न्यूक्लीयर फ़ीजिक्स के निदेशक बिक्रम सिन्हा ने इस बयान को ‘ग़ैर ज़िम्मेदाराना, मूर्खतापूर्ण और अप्रासंगिक’ क़रार दिया। उन्होंने कहा : ‘राज्यपाल अपना दिमाग खो चुके हैं। वे पहले थोड़ा इतिहास पढ़ें और यह जानें कि भारत में परमाणु हथियारों का विकास कैसे हुआ। तब वे यह समझ पाएंगे कि पश्चिम बंगाल की जनता को इस तरह की बेबुनियाद बातों से बेवकूफ़ नहीं बनाया जा सकता है।’
बिक्रम सिन्हा ने इसके आगे कहा कि ‘पश्चिम बंगाल में रहने वाले मध्यवर्ग और निम्नवर्ग के लोग भी इतना पढ़े लिखे है कि वे यह जानते हैं कि उस समय परमाणु शक्ति की खोज नहीं हुई थी।’
उदाहरण और भी हैं
एक केंद्रीय सरकार के एक ऊँचे पद पर तैनात वैज्ञानिक ने राज्यपाल की इस टिप्पणी पर कहा, ‘क्या पुराण काल में भी उड़न तश्तरियाँ थीं, उस समय भी परमाणु हथियार थे दरअसल इस मुद्दे पर इस समय बहस करना ही दुखद और मजाकिया है।’लेकिन इस तरह की अवैज्ञानिक बातें करने वाले अकेले नेता धनखड़ नहीं हैं। महाभारत के जिस संजय की बात उन्होंने की है, उस पर उसी तरह की बात त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने कहा :
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‘संजय अंधा था, पर उसने युद्ध भूमि का पूरा हाल धृतराष्ट्र को सुनाया था। यह इंटरनेट की वजह से हुआ, उस समय सैटेलाइट भी हुआ करते थे।’
बिप्लब देब, मुख्यमंत्री, त्रिपुरा
पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा था कि शोध से यह पता चला है कि गाय के दूध में सोना होता है।
'गाय ऑक्सीजन छोड़ती है!'
बीजेपी में घोष के अलावा कई और ऐसे नेता हैं जो इस तरह के उल-जूलूल बयान देते रहे हैं। इस साल जुलाई में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि कि गाय सांस लेते समय तो ऑक्सीजन लेती है ही, वह ऑक्सीजन छोड़ती भी है। रावत ने यह भी कहा था कि गाय को सहलाने से सांस से जुड़े रोग ठीक हो जाते हैं और गाय के पास रहने से टीबी ठीक हो जाती है।मारक शक्ति!
कुछ महीने पहले भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की मौत के पीछे विपक्ष का हाथ है और वह कोई ‘मारक शक्ति’ का उपयोग कर रहा है। इससे पहले प्रज्ञा ठाकुर अपने श्राप से शहीद एटीएस चीफ़ हेमंत करकरे की मौत होने का भी दावा कर चुकी हैं।अंडा खाने से नरभक्षी!
कुछ दिन पहले ही मध्य प्रदेश के बीजेपी नेता गोपाल भार्गव ने कहा था कि बच्चों के अंडा खाने से उनके नरभक्षी हो जाने का ख़तरा है। जबकि कमलनाथ सरकार ने कुपोषण से निजात दिलाने के लिये राज्य के आंगनबाड़ी स्कूलों में बच्चों को अंडा खिलाने का फ़ैसला किया है।
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा था कि भारतीय शास्त्रों में गुरुत्वाकर्षण का जिक्र न्यूटन के बताने से भी पहले से है।
बीजेपी नेताओं के ऐसे बयानों की लंबी फेहरिस्त है। लेकिन यह समझ नहीं आता कि इस तरह के बयान वे क्यों देते हैं। बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी है, केंद्र में उनके नेतृत्व में एनडीए की सरकार चल रही है और कई राज्यों में वह सरकार चला रही है। लेकिन आख़िर वह ऐसे नेताओं के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती जो इस तरह के उल-जूलूल बयान देते हैं।
ऐसे नेताओं से क्या उम्मीद की जानी चाहिए कि वे युवा पीढ़ी को क्या सीख देंगे। अगर ऐसे लोग राज्य सरकार में या केंद्र में किसी अहम पद पर आयेंगे और वे इस तरह की उल-जूलूल बातों को करना जारी रखेंगे तो इससे हमारे देश की दुनिया के सामने क्या छवि बनेगी। निश्चित रूप से यह बेहद गंभीर बात है।