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आँध्र प्रदेश सरकार ने क्यों लगाया सड़क पर रैली, सभाओं पर प्रतिबंध?

आँध्र प्रदेश सरकार ने क्यों लगाया सड़क पर रैली, सभाओं पर प्रतिबंध?

आँध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के कार्यक्रमों के बाद राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है। उनके कार्यक्रमों में भगदड़ के बाद राज्य सरकार ने सड़क पर होने वाली रैलियों, सभाओं को लेकर एक आदेश निकाला है।

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के कार्यक्रमों में भगदड़ मचने के कुछ दिनों बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने सड़कों पर सभा और जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया है। हाल ही में नायडू के दो कार्यक्रमों में राज्य में कुल 11 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें से कंडुकुरू भगदड़ में आठ लोगों की मौत हो गई थी। उसके चार दिन बाद 1 जनवरी को, अमरावती के पास नायडू द्वारा आयोजित एक उपहार-वितरण कार्यक्रम में तीन महिलाओं की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे।

अब इसी बीच सरकार ने ऐसे कार्यक्रमों को लेकर अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना में 28 दिसंबर को तेलुगु देशम पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की एक सभा के दौरान कंडुकुरू भगदड़ का उल्लेख है। 

आंध्र प्रदेश में साल 2024 के मई में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा के चुनाव होने हैं और उससे ठीक पहले चंद्रबाबू नायडू कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए पूरे राज्य में यात्रा निकाल रहे हैं। इस वजह से चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस में तनातनी चल रही है। 

टीडीपी जहाँ इस कार्यक्रम से अपना जनाधार मज़बूत करने के प्रयास में है वहीं उन कार्यक्रमों में भगदड़ मचने को सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस मुद्दा बना रही है। उन भगदड़ों में मौतों के लिए टीडीपी ने वाईएसआर कांग्रेस सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है क्योंकि 'सरकार ने घटनाओं में पर्याप्त पुलिस तैनात नहीं की थी'। जगन सरकार ने इसका विरोध करते हुए आरोप लगाया कि कार्यक्रम संकरी सड़कों पर आयोजित किए गए ताकि ड्रोन शॉट्स से भारी भीड़ दिखाया जा सके।

आंध्र प्रदेश के गृह विभाग के प्रधान सचिव हरीश कुमार गुप्ता ने पुलिस अधिनियम, 1861 के तहत अब सड़कों पर रैलियों और सभाओं को लेकर आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि ऐसी सड़कों पर जनसभाएँ आम जनता के लिए भारी असुविधा का कारण बनती हैं और ऐसी जनसभाओं का आयोजन भी चोटों और मौतों का कारण साबित हुआ है। आदेश में कंडुकुरु की घटना का ज़िक्र किया गया है।

सरकार के आदेश में कहा गया है कि संकरी सड़कें होने, निकासी के कई रास्ते नहीं होने और अचानक भीड़ बढ़ने से भीड़ को नियंत्रित करने में कठिनाई होती है। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार आदेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट राजमार्गों पर बैठकों की अनुमति नहीं दी जाएगी और न ही नगरपालिका और पंचायत सड़कों पर ऐसे आयोजन किए जा सकते हैं। आदेश में कहा गया है कि केवल दुर्लभ और असाधारण परिस्थितियों में और लिखित में दर्ज कारणों के बाद ही ऐसी बैठकों की अनुमति दी जा सकती है।

राज्य में 2024 के लिए होने वाले चुनाव के लिए टीडीपी जोर-शोर से जुटी हुई है। चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि अगर लोग उनकी पार्टी को नहीं चुनते हैं तो 2024 का विधानसभा चुनाव उनके लिए अंतिम चुनाव होगा।

नायडू ने वाईएसआर कांग्रेस के मुखिया और मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के ख़िलाफ़ नवंबर में यात्राएँ शुरू की थीं। इस दौरान वह जगन सरकार की कथित विफलताओं को मुद्दा बना रहे हैं। 

अगले साल जनवरी में नारा लोकेश राज्य में 4000 किलोमीटर लंबी पदयात्रा भी शुरू करेंगे। इसके जरिए टीडीपी युवा कार्यकर्ताओं को पार्टी से जोड़ने की कोशिश करेगी। यह यात्रा 27 जनवरी को शुरू होगी और 400 दिन तक चलेगी।

कुछ दिन पहले वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी के कार्यकर्ताओं के बीच पलनाडु जिले में हिंसक झड़प हुई थी और इसमें दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता घायल हुए थे। हालात इतने बिगड़ गए थे कि पुलिस को इलाके में धारा 144 लागू करनी पड़ी थी। 

टीडीपी ने आरोप लगाया था कि उसके पार्टी दफ्तर में तोड़फोड़ की गई और उसके नेताओं की गाड़ियों को तोड़ दिया गया। उसके समर्थकों की कुछ दुकानों को भी आग के हवाले कर दिया गया लेकिन पुलिस ने वाईएसआर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। 

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