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अंकिता भंडारी: पढ़ाई छोड़ नौकरी की, सैलरी मिलने से पहले हत्या

अंकिता भंडारी: पढ़ाई छोड़ नौकरी की, सैलरी मिलने से पहले हत्या

उत्तराखंड की अंकिता भंडारी की हत्या के मामले में एसआईटी आरोपियों को रिमांड पर ले सकती है। जानिए, अंकिता ने कब से वहाँ काम करना शुरू किया था और उसकी क्या मजबूरी थी।

19 वर्षीय अंकिता भंडारी 12वीं पास थीं। कॉलेज जाना चाहती थीं। उनके परिवार में इतनी आमदनी नहीं थी और इसलिए उन्होंने कुछ काम करने का फ़ैसला किया। काम शुरू भी किया, लेकिन वह अपनी पहली कमाई की सैलरी भी नहीं ले सकी थीं कि उनकी हत्या कर दी गई। 

अंकिता के परिवार वालों का कहना है कि उन्होंने 28 अगस्त को उस रिसॉर्ट को ज्वाइन किया था जो बीजेपी नेता के बेटा का है। वह रिसॉर्ट अंकिता के डोभ श्रीकोट गांव से क़रीब 130 किलोमीटर दूर है। उनके परिवार वालों का कहना है कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से उनकी पढ़ाई बीच में छूट गई थी और उन्होंने रुपये कमाने के लिए घर से इतनी दूर जाकर रिसेप्शनिस्ट की नौकरी करने का फ़ैसला किया था।

अंकिता के परिवार की स्थिति क्या थी, यह जानने से पहले यह जान लें कि अंकिता हत्याकांड में हुआ क्या है। ऋषिकेश के एक रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करने वाली 19 वर्षीय अंकिता भंडारी की कथित तौर पर रिसॉर्ट का मालिक और बीजेपी नेता के बेटे ने हत्या कर दी थी। रिसॉर्ट से लापता होने के छह दिन बाद शनिवार को पुलिस ने अंकिता का शव एक नहर से बरामद किया। अब बीजेपी से निष्कासित नेता के बेटे समेत तीन लोगों को मौत के मामले में गिरफ्तार किया गया है।

गिरफ़्तार लोगों में राज्य के पूर्व मंत्री विनोद आर्य का बेटा पुलकित आर्य शामिल है। पुलकित ने कथित तौर पर एक विवाद के बाद अंकिता को नहर में धकेलने की बात कबूल की थी। रिसॉर्ट मैनेजर सौरभ भास्कर और अंकित नाम के एक अन्य व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया गया है। अंकिता के परिवार ने रविवार को उनका अंतिम संस्कार कर दिया है। 

रिपोर्ट के अनुसार अंकिता एक पूर्व सुरक्षा गार्ड और एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की बेटी थीं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने 12वीं पास कर ली थी और वह कॉलेज जाने की इच्छुक थीं। लेकिन फिर जब उनके पिता ने गार्ड की नौकरी छोड़ दी तो उन्होंने पिछले महीने के अंत में एक रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में नौकरी करने का फ़ैसला किया। अंकिता के परिवार के सदस्यों ने ही अख़बार को यह जानकारी दी है।

अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, वीरेंद्र के बड़े भाई राजेंद्र भंडारी की पत्नी लीलावती ने कहा, 'अंकिता को अपने परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण पौड़ी के भगत राम स्कूल से इंटरमीडिएट के बाद अपनी शिक्षा छोड़नी पड़ी और फिर उसने काम करना शुरू कर दिया। अंकिता के पिता वीरेंद्र भंडारी चौरास बांध पर निजी सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करते थे, लेकिन कुछ साल पहले नौकरी छोड़ दी थी। परिवार में एकमात्र कमाने वाली सदस्य उसकी माँ सोनी भंडारी हैं, जो एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में काम करती हैं। उसका बड़ा भाई सचिन दिल्ली में पढ़ रहा है।'

लीलावती ने कहा, 'परिवार की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी और इसीलिए नौकरी की पेशकश के बाद उसे गाँव छोड़कर रिसॉर्ट में शिफ्ट होना पड़ा। हमें यकीन नहीं है कि उससे कैसे संपर्क किया गया था, लेकिन 28 अगस्त को रिसॉर्ट की एक कार से उसे ले जाया गया। रिसॉर्ट में उसे एक कमरा दिया गया था और वहीं रहती थी। रिसेप्शनिस्ट की नौकरी के लिए उसे 10,000 रुपये प्रति माह के वेतन की पेशकश की गई थी, लेकिन हमें यह नहीं पता था कि वे उसे अपना पहला वेतन पाने से पहले ही मार देंगे।' 

उन्होंने कहा कि वह आगे पढ़ने के लिए उत्सुक थी, और हम निराश थे जब उसे परिवार की देखभाल के लिए अपनी शिक्षा छोड़नी पड़ी, लेकिन हमने यह भी सोचा कि शायद वह जो कर रही है उसमें उसका भविष्य होगा। 

रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि पुलिस को अब ऐसे सबूत मिले हैं जो बताते हैं कि आरोपी कथित तौर पर रिसॉर्ट में कुछ मेहमानों को 'विशेष सेवाएं' प्रदान करने के लिए अंकिता पर दबाव डाल रहे थे और जब उसने विरोध किया तो उसे मार दिया गया।

डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि पुलिस ने अंकिता और जम्मू में रहने वाली एक दोस्त के बीच एक वाट्सऐप चैट बरामद की है। वाट्सऐप चैट में भी ऐसे-ऐसे संदेश मिले हैं जिससे रिसॉर्ट के मालिक पर सवाल उठ रहे हैं।

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