अनिल देशमुख पहुँचे सुप्रीम कोर्ट, फिर ईडी में पेश नहीं हुए
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी द्वारा की जाने वाली किसी भी संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने अदालत से मनी लॉन्ड्रिंग केस में उनके ख़िलाफ़ चल रही जाँच में किसी भी कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की है। प्रवर्तन निदेशालय ने देशमुख को शनिवार को नोटिस जारी कर उन्हें 5 जुलाई यानी सोमवार को पेश होने के लिए कहा था, लेकिन वह पेश नहीं हुए। ईडी देशमुख को तीन बार पूछताछ के लिए समन भेज चुकी है लेकिन देशमुख अपनी सेहत का हवाला देकर बचते रहे हैं।
लगातार तीसरी बार ईडी द्वारा समन भेजने के बाद अनिल देशमुख ईडी द्वारा किसी भी कार्रवाई से संरक्षण प्राप्त करने के लिए रविवार को सुप्रीम कोर्ट पहुँचे।
अनिल देशमुख के वकील इंद्रपाल सिंह ने ‘सत्य हिंदी’ को बताया कि अनिल देशमुख के ख़िलाफ़ ईडी राजनीतिक भेदभाव के तहत कार्रवाई कर रही है और इसी से बचने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इंद्रपाल का कहना है कि देशमुख पहले ही ईडी के समन का जवाब दे चुके हैं जिसमें वह अपना बयान ऑडियो वीडियो के माध्यम से देने को तैयार हो गए हैं तो ईडी उन्हें बेवजह कोरोना काल में अपने दफ्तर में क्यों बुलाना चाह रही है।
इंद्रपाल ने आगे यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने अपनी याचिका में इस बात का भी ज़िक्र किया है। देशमुख के बेटे ऋषिकेश देशमुख को भी ईडी ने समन जारी किया हुआ है जिसमें उन्हें 6 जुलाई को बुलाया गया है।
क्या है मामला?
दरअसल अनिल देशमुख पर पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने 100 करोड़ रुपये की वसूली का आरोप लगाया था। इस मामले की जाँच सीबीआई भी कर रही है।
सीबीआई की जांच में पैसों के कथित लेनदेन के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी देशमुख के ख़िलाफ़ मनी लाउंन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
ईडी की जांच में पता लगा था कि अनिल देशमुख को मुंबई के बार मालिकों ने 4 करोड़ की रक़म दी थी। यह रक़म दिसंबर 2020 से फ़रवरी 2021 के बीच बार मालिकों से जुटाई गई थी। जिसके तहत अब ईडी देशमुख से पूछताछ करना चाहती है।
इससे पहले ईडी ने अनिल देशमुख के नागपुर और उनके सचिवों के मुंबई स्थित परिसरों पर छापेमारी की थी। प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल देशमुख और उनके दो सचिवों के ख़िलाफ़ पिछले महीने मनी लाउंन्ड्रिंग एक्ट के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया था। ईडी ने यह मामला सीबीआई की प्राथमिक जांच में मिली जानकारी के बाद दर्ज किया था। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों का कहना था कि संजीव पलांडे और कुंदन शिंदे ने ईडी की पूछताछ में कुबूल किया है कि उन्होंने मुंबई के कुछ बार वालों से उगाही के रूप में कुछ रक़म ली थी। पलांडे और शिंदे ने ईडी के अफसरों को यह भी बताया था कि बार वालों से ली गई यह रक़म अनिल देशमुख के ट्रस्ट को फर्जी खातों के ज़रिये दी गई थी। यही कारण है कि ईडी के अफसरों ने पलांडे और शिंदे को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था।