मोदी के पीएम बनने के बाद मुस्लिमों-ईसाइयों पर ज्यादा हमले हुएः एंजेला मर्केल
पूर्व जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल की हाल ही में प्रकाशित पुस्तक फ्रीडम: मेमॉयर्स 1951-2021 के अनुसार, उन्होंने यह चिंता व्यक्त की थी कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से भारत में "अन्य धर्मों के लोगों मुख्य रूप से मुसलमानों और ईसाइयों, पर हिंदू राष्ट्रवादियों के हमले बढ़ गए हैं।" उनका कहना है कि उन्होंने मोदी को अपनी इस चिंता से अवगत कराया था।
मर्केल ने लिखा है, जब उन्होंने इस मुद्दे को मोदी के सामने उठाया, तो मर्केल के मुताबिक "मोदी ने इसका जोरदार खंडन किया और इस बात पर जोर दिया कि भारत धार्मिक सहनशील देश है और रहेगा।" उनके इनकार का पूर्व जर्मन चांसलर ने कड़ा विरोध किया और कहा, "दुर्भाग्य से, तथ्य कुछ और ही कहते हैं।" वह आगे कहती हैं कि उनकी चिंताएं अभी भी बनी हुई हैं - धार्मिक स्वतंत्रता, आख़िरकार, हर लोकतंत्र का एक प्रमुख अंग है।" मर्केल ने अप्रैल 2015 में जर्मनी में मोदी के साथ अपनी शुरुआती मुलाकात को याद करते हुए कहा, "मोदी को विजुअल इफेक्ट्स (वीडियो, फोटो) पसंद थे।"
मोदी ने अपने "चुनाव अभियानों का वर्णन किया जिसमें उन्होंने एक स्टूडियो में भाषण दिया था और अपनी छवि को 50 से अधिक विभिन्न स्थानों पर लाइव पेश किया था, जहां हर प्रोग्राम में हजारों लोग उन्हें सुन रहे थे।" अपने 2014 के आम चुनाव अभियान के दौरान, मोदी ने इसका इस्तेमाल किया था।
मनमोहन सिंह के बारे में पूर्व जर्मन चांसलर पूर्व प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के साथ अपनी मुलाकात के बारे में भी बात करती हैं। वह बताती हैं कि मनमोहन सिंह "देश के पहले गैर-हिंदू प्रधान मंत्री थे" और उनका "प्रमुख मकसद भारत के 1.2 अरब लोगों में से दो-तिहाई लोगों के जीवन स्तर में सुधार करना था जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहते थे।" सिंह व्यापक अंतरराष्ट्रीय अनुभव वाले एक योग्य अर्थशास्त्री थे। यह आंकड़ा 800 मिलियन लोगों के बराबर था, जो जर्मनी की कुल जनसंख्या का 10 गुना है।
एंजेला मर्केल ने डॉ मनमोहन सिंह के बारे में लिखा- "मैंने उनके साथ अपनी चर्चाओं से हमारे बारे में, अमीर देशों की बढ़ती चिंताओं के बारे में और अधिक सीखा। उनके अनुसार, हमने सोचा था कि वे हमारे मुद्दों में बहुत दिलतस्पी लेंगे, लेकिन हम उन पर उतना ध्यान देने के लिए तैयार नहीं थे ।“ मर्केल लिखती हैं- "मैं उनकी (डॉ मनमोहन सिंह) बात समझ गई, और उभरते देशों के सामने आने वाली चुनौतियों का अधिक बारीकी से अध्ययन करना शुरू कर दिया।" यानी डॉ मनमोहन सिंह ने जर्मनी की पूर्व चांसलर मर्केल से कहा कि अमीर देश भारत जैसे गरीब देशों की मदद के बारे में बहुत नहीं सोचते।
डॉ मनमोहन सिंह ने मर्केल को अपने देश की सांस्कृतिक समृद्धि के बारे में बताया, जो 5,000 वर्षों से अधिक के इतिहास वाला एक उपमहाद्वीप है। अकेले भारतीय संविधान के तहत 22 आधिकारिक भाषाओं को मान्यता दी गई है। इसकी विविधता देश की एकजुटता में योगदान देती है। इस संबंध में भारत अपने सदस्य राष्ट्रों में से एक की तुलना में समग्र रूप से यूरोपीय संघ जैसा है। सिंह और उनकी पहली मुलाकात 2006 में हुई थी।