एनटीआर, वाईएसआर पर फिल्मों से आंध्र में सियासी घमासान

12:13 pm Feb 14, 2019 | अरविंद यादव - सत्य हिन्दी

राजनेताओं के जीवन पर बन रही फ़िल्में दक्षिण भारत में चर्चा और विवाद का विषय बनी हुई हैं। जहाँ देश भर में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर बनी फ़िल्म 'दि एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' को लेकर राजनीतिक गहमागहमी हैं वहीं आंध्रप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री और अपने जमाने के सुपरस्टार एन. टी. रामा राव (एनटीआर) पर बन रहीं दो फ़िल्मों को लेकर बवाल मचा हुआ है। एक फ़िल्म एनटीआर के बेटे और फ़िल्म स्टार बालकृष्णा बना रहे हैं तो दूसरी राम गोपाल वर्मा। 'बाहुबली' की तरह बालकृष्णा की फ़िल्म दो भागों में आएगी। पहले भाग में जहां एनटीआर के फ़िल्मी सफ़र को दिखाया जाएगा, वहीं दूसरे भाग में एनटीआर के राजनीतिक जीवन को। पहले भाग का नाम है 'एनटीआर कथानायकुडु' और दूसरे भाग का नाम है 'एनटीआर महानायकुडु' है। 

इस फिल्म में नामचीन कलाकार अलग-अलग किरदार निभा रहे हैं। ख़ुद बालकृष्णा एनटीआर के किरदार में बड़े पर्दे पर दिखाई देंगे। विद्या बालन एनटीआर की पत्नी बसवा तारकम की भूमिका में होंगी। 'बाहुबली' में खलनायक का किरदार निभाने वाले दग्गुबाटी राणा आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के रूप में नज़र आएंगे। चंद्रबाबू  दिवंगत एनटीआर के दामाद हैं। फ़िल्म में प्रकाश राज, सचिन खेड़ेकर, श्रिया शरण, रकुलप्रीत सिंह, ब्रह्मानंदम जैसे मशहूर कलाकार अलग-अलग किरदार निभाते नजर आएंगे। फ़िल्म का पहला भाग जनवरी 9 को रिलीज़ हो रहा है। दूसरा भाग फ़रवरी में रिलीज होगा।

तेलगु स्वाभिमान

एनटीआर ने 'तेलगु स्वाभिमान' का नारा देकर साल 1983 में कांग्रेस के ख़िलाफ़ तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) बनाई थी और राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस विरोधी पार्टियों को एक मंच पर लाकर राष्ट्रीय मोर्चा बनाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। एनटीआर पर बनी यह फ़िल्म अब ठीक चुनाव से पहले बड़े पर्दे पर आ रही और टीडीपी कांग्रेस के ख़िलाफ़ नहीं बल्कि उसके साथ है। हक़ीक़त तो यह है कि चंद्रबाबू नायडू सभी बीजेपी विरोधी पार्टियों को कांग्रेस के नेतृत्व वाले मोर्चे में शामिल करवाने की कोशिश में हैं। राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा भी ज़ोरों पर है कि एनटीआर पर फिल्म के ज़रिए टीडीपी एक बार फिर 'तेलुगु स्वाभिमान' के मुद्दे को भुनाना चाहती है। सभी जानते हैं कि आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न दिए जाने से नाराज टीडीपी बीजेपी के नेतृत्व वाले नैशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी एनडीए से बाहर आ गई थी। चंद्रबाबू नायडू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वादख़िलाफ़ी का आरोप लगा रहे हैं और उन्हें सत्ता से हटाने तक चैन की सांस न लेने का प्रण ले चुके हैं। मोदी के खिलाफ नायडू 'तेलुगु स्वाभिमान' के मुद्दे को राजीतिक हथियार बनना चाहते हैं और ऐसे में एनटीआर पर बनी फिल्म का राजनीतिक महत्व बढ़ जाता है। टीडीपी की विरोधी वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं को शक है को फ़िल्म को ऐसे बनाया गया है कि उससे टीडीपी अपने जनाधार को मजबूत कर सके।

चार साल तक सत्ता में रहने के बाद बीजेपी से अलग हुई टीडीपी केंद्र पर हमला करने के लिए तेलगु स्वाभिमान का मुद्दा उठा रही है और राज्य की उपेक्षा के आरोप लगा रही है। एनटीआर सबसे बड़े और सही ऑइकॉन होंगे, इसलिए भी कि वे चंद्रबाबू नायडू के ससुर थे और टीडीपी के संस्थापक भी।

सभी जानते हैं कि आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न दिए जाने से नाराज टीडीपी बीजेपी के नेतृत्व वाले नैशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी एनडीए से बाहर आ गई थी। चंद्रबाबू नायडू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वादख़िलाफ़ी का आरोप लगा रहे हैं और उन्हें सत्ता से हटाने तक चैन की सांस न लेने का प्रण ले चुके हैं। मोदी के खिलाफ नायडू 'तेलुगु स्वाभिमान' के मुद्दे को राजीतिक हथियार बनना चाहते हैं और ऐसे में एनटीआर पर बनी फिल्म का राजनीतिक महत्व बढ़ जाता है। टीडीपी की विरोधी वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं को शक है को फ़िल्म को ऐसे बनाया गया है कि उससे टीडीपी अपने जनाधार को मजबूत कर सके।

राजनीतिक तूफ़ान

दूसरी तरफ रामगोपाल वर्मा की फिल्म ने भी नया  राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। वर्मा की फिल्म का नाम एनटीआर'स पार्वती है। वर्मा का कहना है कि उनकी फ़िल्म में बड़े कलाकार नहीं है, लेकिन उनकी सच्चाई है। वर्मा दावा कर रहे हैं कि उनकी फ़िल्म 1995 में एनटीआर के खिलाफ हुई राजनीतिक साजिश का पर्दाफाश करेगी। इसी दावे से टीडीपी में हड़कंप मचा हुआ है। 1995 में मुख्यमंत्री एनटीआर के खिलाफ जो बगावत हुई थी, उसके सूत्रधार चंद्रबाबू थे। ससुर एनटीआर को हटाकर बाग़ी दामाद चंद्रबाबू मुख्यमंत्री बने थे। उस समय चंद्रबाबू ने एनटीआर की दूसरी पत्नी लक्ष्मी पार्वती पर ख़ुद मुख्यमंत्री बनने की कोशिश करने का आरोप लगाकर बगावत की थी। लक्ष्मी पार्वती का आरोप है कि उनके नाम का इस्तेमाल कर टीडीपी के विधायकों को एनटीआर के ख़िलाफ़ बग़ावत के लिए उकसाया गया और यह सब मुख्यमंत्री बनने के लिए चंद्रबाबू की चाल थी। 

अब वर्मा भी यही कह रहे हैं कि वे एनटीआर के ख़िलाफ़ बग़ावत की सच्चाई को उजागर करेंगें। टीडीपी को शक है कि वर्मा की फ़िल्म में चंद्रबाबू को खलनायक के रूप में पेश किया जाएगा। यह शक उस समय और मजबूत हो गया, जब फ़िल्म के एक गाने में परोक्ष रूप से चंद्रबाबू को 'साजिश' के सूत्रधार के तौर पर पेश किया गया। कुछ टीडीपी नेताओं का आरोप है कि वाईएसआर कांग्रेस की फंडिंग से ही वर्मा ने यह फिल्म बनाई है। यह फिल्म भी जनवरी 2019 में चुनाव से ठीक पहले रिलीज होगी। इन दोनों फिल्मों को तेलुगु दर्शक किस नजर से देखेंगे? इस सवाल का जवाब फ़िल्मों के रिलीज़ होने पर पता चल जाएगा, लेकिन फिलहाल इन फिल्मों को लेकर शहर और गांव की गलियों लेकर राजनीतिक गलियारे में भी चर्चाएं हो रही हैं। लोगों में अपने-अपने मत हैं, अभिमत हैं। 

रामगोपाल वर्मा पर यह आरोप लग रहा है कि वे एनटीआर पर बनने वाली फ़िल्म से चंद्रबाबू नायडू को मिलने वाले सियासी फ़ायदे को काटने के लिए ही फ़िल्म बना रहे हैं। आरोप यह भी है कि वाईएसआर कांग्रेस उस फ़िल्म में पैसे लगा रही है।

कांग्रेस नेता पर बनी फ़िल्म

चुनाव से पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. वाई.एस. राजशेखर रेड्डी पर बनी फ़िल्म भी रिलीज़ होगी। इस फिल्म में वाईएसआर की भूमिका मलयालम फिल्मों के सुपरस्टार ममूटी निभा रहे हैं। इस फिल्म में वाईएसआर की उस 'पद यात्रा' को महत्व दिया गया है जिसकी वजह से 2004 में कांग्रेस आंध्रप्रदेश में चुनाव जीती थी और वाईएसआर मुख्यमंत्री बने थे।

बाईएसआर फ़िल्म का पोस्टर

 चर्चा है कि फिल्म 'एनटीआर' की टक्कर में फिल्म 'वाईएसआर' बनवाई गई है।  जहां 'एनटीआर' के पीछे टीडीपी की मेहनत है तो  'वाईएसआर' के पीछे वाईएसआर कांग्रेस की मेहनत। आंध्रप्रदेश में इस बार के चुनाव में टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है, और जहां टीडीपी के नेता चंद्रबाबू एनटीआर के दामाद हैं तो वहीं वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगन मोहन रेड्डी वाईएसआर के बेटे हैं।