चुनाव से पहले आनंद शर्मा ने हिमाचल कांग्रेस का पद क्यों छोड़ा?
पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की संचालन समिति की अध्यक्षता से इस्तीफा दे दिया है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे एक पत्र में आनंद शर्मा ने लिखा है कि 'आत्म-सम्मान से समझौता नहीं'। उस पत्र में उन्होंने कहा है कि 'प्रमुख बैठकों में आमंत्रित नहीं किया गया था।'
कांग्रेस को एक तरह से झटका देने वाली आनंद शर्मा के इस्तीफ़े की यह ख़बर तब आई है जब इसी साल राज्य में विधासभा के चुनाव होने वाले हैं। कांग्रेस यह उम्मीद लगाए बैठी है कि वह बीजेपी को सत्ता से इस बार बदेखल कर सकती है। लेकिन चुनाव से ऐन पहले ही पार्टी को झटका लगा है।
आनंद शर्मा के इस इस्तीफे से कुछ दिन पहले ही जम्मू कश्मीर कांग्रेस में भी बड़ी रार की ख़बर आई थी। इस केंद्र शासित प्रदेश से आने वाले बड़े कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने वहाँ की कांग्रेस प्रचार कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफ़े से कुछ घंटे पहले ही प्रचार कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था। आजाद ने इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की राजनीतिक मामलों की कमेटी के सदस्य का पद भी छोड़ दिया था।
गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा दोनों ही जी-23 के नेता हैं। यह वही जी-23 गुट है जिसने साल 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी नेतृत्व के कामकाज को लेकर गंभीर सवाल उठाए थे। जी-23 गुट के प्रमुख नेताओं में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, शशि थरूर आदि शामिल हैं। इनमें से कपिल सिब्बल तो पार्टी ही छोड़कर अब बाहर जा चुके हैं।
बहरहाल, आनंद शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष से कहा है कि परामर्श प्रक्रिया में उनकी उपेक्षा की गई है। हालाँकि, हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की संचालन समिति की अध्यक्षता से इस्तीफा देने के बाद भी शर्मा ने सोनिया गांधी से कहा है कि वह राज्य में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करना जारी रखेंगे।
आनंद शर्मा ने पहली बार 1982 में विधानसभा चुनाव लड़ा था और 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा उन्हें राज्यसभा का टिकट दिया गया था। तब से वह राज्यसभा सदस्य हैं और पार्टी में कई प्रमुख पदों पर रहे हैं।
गुलाम नबी आज़ाद ने भी पहले आनंद शर्मा की तरह ही आरोप लगाए थे। द इंडियन एक्सप्रेस ने तब सूत्रों के हवाले से ख़बर दी थी कि आजाद के एक करीबी ने कहा कि आजाद का अपमान हुआ क्योंकि वह सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राजनीतिक मामलों की कमेटी के सदस्य हैं और केंद्र शासित प्रदेश की किसी कमेटी में उन्हें शामिल करना बेहद अजीब था।
रिपोर्ट के अनुसार उनके क़रीबी ने कहा था कि आजाद चार प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडल में रह चुके हैं और 7 साल तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुलाम नबी आजाद पिछले 37 साल से कांग्रेस में फैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी सीडब्ल्यूसी के सदस्य हैं और कई राज्यों में पार्टी के प्रभारी भी रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके बाद एआईसीसी में बैठे लोग उन्हें एक केंद्र शासित प्रदेश की प्रचार कमेटी का अध्यक्ष बना रहे हैं।