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गुजरात वाले अमूल की कर्नाटक में एंट्री से तूफ़ान, बीजेपी निशाने पर क्यों?

गुजरात वाले अमूल की कर्नाटक में एंट्री से तूफ़ान, बीजेपी निशाने पर क्यों?

कर्नाटक में चुनाव से पहले क्या बीजेपी को झटका लगेगा? गुजरात की कंपनी अमूल के कर्नाटक में प्रवेश का आख़िर राज्य में विरोध क्यों हो रहा है? क्या इस राजनीतिक घमासान से बीजेपी को नुक़सान होगा?

गुजरात आधारित दूध उत्पादक कंपनी अमूल के एक ट्वीट के बाद चुनाव वाले राज्य कर्नाटक में घमासान मचा है। वैसे तो यह ट्वीट 4 दिन पहले का है, लेकिन अब इसने काफ़ी ज़्यादा तूल पकड़ लिया है। इस पर राजनीतिक घमासान भी होने लगा है। कर्नाटक में दूध उत्पादकों से लेकर बेंगलुरु के होटल एसोसिएशन तक ने उस ट्वीट का विरोध किया है। राज्य में चुनाव से पहले यह सत्ताधारी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है।

दरअसल, अमूल ने ट्वीट किया है, 'बेंगलुरु में दूध और दही के साथ ताजगी की नई लहर आ रही है। अधिक जानकारी जल्द ही आ रही है।'

इसके साथ ही घोषणा की गई कि गुजरात स्थित अमूल बेंगलुरु में ऑनलाइन डिलीवरी शुरू करेगा। अमूल के कर्नाटक में पहुँचने का सीधा मतलब होगा कि राज्य के अपने डेयरी ब्रांड, नंदिनी से उसकी प्रतिस्पर्द्धा होगी। यही वजह है कि नंदिनी ब्रांड के साथ जुड़े लोग आशंकित हैं। इसके बाद अटकलें लगाई जाने लगीं कि नंदिनी ब्रांड बनाने वाली कर्नाटक मिल्क फेडरेशन यानी केएमएफ और गुजरात के आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड यानी अमूल के बीच विलय होगा। पिछले चार दिनों से ट्विटर पर हलचल मची है। राज्य में दूध उत्पादन से जुड़े लोगों ने विरोध शुरू किया। अब तो होटल संघ ने भी इसका विरोध किया है। यह राजनीतिक मुद्दा भी बन गया है।

कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं ने बीजेपी पर ख़राब योजना और साजिश का आरोप लगाया है। इसने कहा है कि इससे राज्य का अपना ब्रांड ख़त्म होगा। उन्होंने सहकारिता मंत्री अमित शाह से कर्नाटक में एक जनमत संग्रह कराने के लिए कहा है कि क्या अमूल को दक्षिणी राज्य के बाजार में प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

ब्रुहत बेंगलुरु होटल एसोसिएशन ने राजधानी के होटलों से स्थानीय ब्रांड नंदिनी के उत्पादों का उपयोग करने का आग्रह किया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष पी सी राव ने सभी होटल मालिकों को निर्देश दिया है कि वे कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के प्रसिद्ध डेयरी ब्रांड नंदिनी और राज्य के डेयरी किसानों को उनके उत्पादों का उपयोग करके समर्थन दें।

राव ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'हम पूरी तरह से अमूल के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन केवल कर्नाटक के बाजार में दूध और दही उत्पादों को बेचने के उनके कदम का विरोध कर रहे हैं, जो हमारे स्थानीय नंदिनी ब्रांड को ख़तरे में डाल सकता है। अमूल का पहले से ही भारत भर में एक बड़ा बाजार है। नंदिनी के दूध और दही उत्पादों का उपयोग करके डेयरी किसानों, विशेषकर महिलाओं के हितों की रक्षा करना एसोसिएशन की सामाजिक जिम्मेदारी है।'

उन्होंने कहा है कि नंदिनी के दही और दूध उत्पादों का उपयोग करने और अमूल के उत्पादों का बहिष्कार करने के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एसोसिएशन इस सप्ताह होटल मालिकों के साथ एक बैठक भी करेगा।

जेडीएस के एच डी कुमारस्वामी और विपक्ष के नेता सिद्धारमैया जैसे विपक्षी नेताओं ने 'राज्य के गौरव', नंदिनी ब्रांड को नष्ट करने के लिए बीजेपी पर हमला किया है।

कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है, 'सभी कन्नडिगों को केएमएफ के हड़पने का एकमत से विरोध करना होगा, जिसे देश के किसानों के कल्याण के लिए बनाया गया है। सभी कन्नडिगों को अमूल उत्पादों को नहीं खरीदने का संकल्प लेना चाहिए।'

उन्होंने कहा है कि राज्य की सीमाओं के भीतर घुसपैठ कर हिंदी थोपने और भूमि राजद्रोह के अलावा अब भाजपा सरकार केएमएफ को बंद करके किसानों को धोखा देने जा रही है, जो लाखों लोगों की आजीविका है।

कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार ने कहा कि किसी बाहरी ब्रांड की जरूरत नहीं है क्योंकि नंदिनी अमूल से 'बेहतर' ब्रांड है।

जेडीएस ने भी कथित तौर पर नंदिनी ब्रांड पर कब्जा करने की कोशिश करने के लिए अमूल की खिंचाई की है। 

इधर सफ़ाई में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शनिवार को कहा कि अमूल पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए और नंदिनी देश में नंबर एक ब्रांड बन जाएगी। उन्होंने कहा, 'नंदिनी के उत्पाद दूसरे राज्यों में बेचे जाते हैं और प्रतिस्पर्धी बाजार में अमूल से आगे निकलने के लिए सभी कदम उठाए जाएंगे।'

बता दें कि हाल ही में दही के पैकेट पर हिंदी में दही लिखे जाने को लेकर विवाद हुआ था। दरअसल, भारत के खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण के हिंदी में लिखने के आदेश को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और दुग्ध उत्पादकों ने गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने के प्रयास के रूप में देखा।

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने पहले तमिलनाडु में दुग्ध उत्पादकों के संघ को निर्देश जारी किया था, जिसमें उन्हें अपने दही के पैकेट के लेबल को अंग्रेजी में 'Curd' और तमिल में 'थायिर' से हिंदी में 'दही' में बदलने के लिए कहा था। यह निर्देश मक्खन और पनीर जैसे अन्य डेयरी उत्पादों पर भी लागू होता। जैसे ही इस पर विवाद हुआ भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने ट्वीट किया कि वह निर्देश वापस ले रहा है।

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