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क्या है ऑपरेशन ब्लूस्टार? 35वीं बरसी आज, पंजाब में सुरक्षा कड़ी

क्या है ऑपरेशन ब्लूस्टार? 35वीं बरसी आज, पंजाब में सुरक्षा कड़ी

ऑपरेशन ब्लूस्टार की 35वीं बरसी के चलते अमृतसर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। शहर में 3000 से ज़्यादा सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। 

ऑपरेशन ब्लूस्टार की 35वीं बरसी (6 जून) के चलते अमृतसर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। शहर में 3000 से ज़्यादा सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं और पूरे पंजाब में भी पुलिस अलर्ट पर है। पुलिस संवेदनशील इलाक़ों पर नज़र रख रही है। ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी से पहले शहर के कई इलाक़ों में फ़्लैग मार्च भी किया गया और सीसीटीवी कैमरों के जरिए शहर की निगरानी की जा रही है। आइए समझते हैं कि ऑपरेशन ब्लू स्टार क्या था और सेना को इसे क्यों करना पड़ा था।

खालिस्तान बनाने की चली थी मुहिम

1980 के दशक में पंजाब को भारत से अलग किए जाने यानी एक अलग देश (खालिस्तान) बनाने का आंदोलन जोरों पर था। इसके लिए चरमपंथी जरनैल सिंह भिंडरावाला और अन्य के नेतृत्व में आंदोलन चल रहा था। तब कट्टरपंथी नेताओं के द्वारा सिखों से कहा जाता था कि खालिस्तान बनाने के लिए उन्हें भारत के साथ संघर्ष करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। भिंडरावाला और अन्य चरमपंथियों ने स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया था और बड़ी संख्या में वहाँ गोला-बारूद इकट्ठा कर लिया था।

स्वर्ण मंदिर से सिख चरमपंथियों को बाहर निकालने के लिए ही ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के आदेश पर सेना ने 3 से 8 जून 1984 तक यह ऑपरेशन चलाया था।

सेना ने चरमपंथियों पर टैंकों से गोलाबारी की लेकिन चरमपंथियों ने भी जमकर जवाब दिया। सेना को आख़िरकार स्वर्ण मंदिर को खाली कराने में सफलता मिली। इस ऑपरेशन में बहुत ज़्यादा ख़ून-ख़राबा हुआ और स्वर्ण मंदिर को ख़ासा नुक़सान हुआ। ऑपरेशन ब्लू स्टार में भारतीय सेना के 83 सैनिक मारे गए थे और 248 घायल हुए थे। इसके अलावा सैकड़ों लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई थी। इस घटना से सिख समुदाय में बेहद नाराज़गी थी जिसकी क़ीमत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी को अपने सिख अंगरक्षकों के हाथों जान देकर चुकानी पड़ी थी। इसके बाद पूरे देश में सिख विरोधी दंगे हुए थे। 

खालिस्तान बनाने के मुद्दे को लेकर पंजाब लंबे समय तक लाशों की मंडी बना रहा और पंजाब बड़ी मुश्किल से आतंकवाद के दंश से बाहर निकल पाया। लेकिन एक बार फिर पंजाब को 1980 के दशक में ले जाने की साज़िश हो रही है।

पिछले 2 सालों में पंजाब में एक बार फिर खालिस्तान के मुद्दे को जिंदा करने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए हिंदू व सिखों के बीच टकराव पैदा करने में जुटे सिख कट्टरपंथी लगातार नापाक हरक़तों को अंजाम दे रहे हैं। बीते 2 सालों में हिंदू संगठनों से जुड़े कई नेताओं की हत्या की जा चुकी है।

पंजाब को अशांत करने की थी साज़िश

हाल ही में यह ख़ुलासा हुआ है कि ऑपरेशन ब्‍लू स्‍टार की बरसी पर पंजाब का माहौल खराब करने और बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देने की पाकिस्तान में साज़िश रची जा रही थी। अमृतसर के एसएसपी विक्रमजीत दुग्गल ने बताया था कि पाकिस्तान में रह रहे खालिस्‍तानी आतंकियों के इशारे पर अमृतसर में हैंड ग्रेनेड पहुँचाए गए। भारत-पाक सीमा पर सक्रिय तस्कर और खालिस्तान समर्थक पंजाब का माहौल ख़राब करना चाहते हैं।

पिछले हफ़्ते ही आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के दो आतंकवादियों को पुलिस ने अमृतसर और फिरोजपुर से गिरफ़्तार किया था। ये दोनों आतंकवादी ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर बड़े हमले की तैयारी में थे। बताया जाता है कि इन्हें पाकिस्तान की ख़ुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद मिल रही थी।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी हाल ही में आशंका जताई थी कि आईएसआई और कट्टरपंथी सिख समूह भारत के ख़िलाफ़ आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए करतारपुर गलियारे का दुरुपयोग कर सकते हैं।

पंजाब के कट्टरपंथी नेता, आईएसआई और कनाडा-ब्रिटेन में बैठकर भारत के ख़िलाफ़ आतंकवादी साज़िशें रचने में जुटे आतंकवादी संगठन, ये सभी पंजाब में अलगाववाद को बढ़ावा देना चाहते हैं। उनकी कोशिश राज्य में धर्म के आधार पर लोगों को बाँटने की है। यह भी ख़बरें सामने आती हैं कि आईएसआई बब्बर खालसा इंटरनेशनल की मदद करती रही है। लेकिन पंजाब सरकार का कहना है कि चरमपंथ को किसी भी सूरत में सिर उठाने नहीं दिया जाएगा और पंजाब का अमन, चैन ख़राब करने की कोशिश करने वालों से कड़ाई से निपटा जाएगा। 

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