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<i></i>अमृतपाल सिंह को आईएसआई ने खड़ा किया? 

अमृतपाल सिंह को आईएसआई ने खड़ा किया? 

पंजाब पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार किए गए पांच लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया गया है। इनमें से चार को असम के डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया है।

पंजाब पुलिस के आईजी सुकचैन सिंह गिल ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि खालिस्तान समर्थक और 'वारिस पंजाब डे' का प्रमुख अमृतपाल सिंह अब भी फरार है। जबकि उसके समर्थकों खालिस्तानी कार्यकर्ताओं पर 18 मार्च से शुरू हुई कार्रवाई में अब तक 114 लोगों को गिरफ्तार किया गया जा चुका है।

आईजी का यह बयान कि अमृतपाल के फरार होने के 48 घंटों बाद आया है। पंजाब पुलिस पिछले दो दिनों से जालंधर में अमृतपाल सिंह को पकड़ने के प्रयास कर रही है।

इस बीच पंजाब पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार किए गए पांच लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया गया है। इनमें से चार को असम के डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया है। पांचवां व्यक्ति जिसके ऊपर एनएसए लगाया गया है अमृतपाल का करीबी रिश्तेदार हरजीत सिंह है। आईजी सुकचैन सिंह गिल ने कहा कि अमृतपाल की गिरफ्तारी के बाद उस पर एनएसए के तहत भी मामला दर्ज किया जा सकता है। 

गिल ने कहा कि एनएसए में पकड़े गये लोगों को रिमांड में लेने के लिए अदालत में पेश करने की आवश्यकता नहीं है। पकड़े गये लोगों की स्थिति का तीन सप्ताह बाद फिर से आकलन किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि हमें अमृतपाल की विदेशी फंडिंग के अलावा पाकिस्तान की आईएसआई के शामिल होने का भी संदेह है। आरोपी पैसे जुटाने के लिए हवाला का भी इस्तेमाल कर रहे थे। हमारे पास सबूत हैं कि आरोपी अमृतपाल करीबी सहयोगियों के साथ मिलकर 'आनंदपुर खालसा फौज' (एकेएफ) भी बना रहा था।

मीडिया से बात करते हुए गिल ने बताया कि अमृतपाल और उसके सहयोगियों के खिलाफ अब तक छह एफआईआर दर्ज की गई हैं। जिनमें अवैध हथियार रखने के अलावा पुलिस के काम में बाधा पैदा करना, समाज में वैमनस्य पैदा करना और पुलिस पर हमला करना शामिल है। पुलिस को अमृतपाल द्वारा इस्तेमाल किए गए वाहनों में से एक से वॉकी-टॉकी भी मिला है।

गिल ने पंजाब की स्थिति को लेकर जोर देकर कहा कि पंजाब में स्थिति पूरी तरह से सामान्य है। अमृतपाल की घेराबंदी और तलाशी अभियान सफल रहा है।

हालांकि उन्होंने पंजाब के पत्रकारों के ट्विटर हैंडलों को निलंबित किये जाने के सवाल पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने दावा किया कि यह सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया जा सकता था। उन्होंने कहा, 'कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कुछ कदम जरूरी हैं. समय-समय पर उनकी समीक्षा की जाती है।

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