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जम्मू कश्मीर- पहले परिसीमन, फिर चुनाव व राज्य का दर्जा बहाल होगा: अमित शाह

जम्मू कश्मीर- पहले परिसीमन, फिर चुनाव व राज्य का दर्जा बहाल होगा: अमित शाह

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने वाली मोदी सरकार के गृह मंत्री अमित शाह अब जल्द ही राज्य के दर्जे की बहाली की बात क्यों कह रहे हैं?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में पहले परिसीमन होगा, उसके बाद चुनाव होंगे और फिर राज्य का दर्जा बहाल होगा। जम्मू कश्मीर के दौरे पर पहुँचे गृह मंत्री ने इसकी घोषणा की। संसद ने 2019 में अनुच्छेद 370 में फेरबदल कर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया था। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यह एक 'अस्थायी' प्रावधान है। उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा किसी समय बहाल किया जाएगा

अब गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर बयान दिया है। श्रीनगर में उन्होंने कहा, 'हमें परिसीमन क्यों रोकना चाहिए? कोई उसे नहीं रोकेगा। परिसीमन होगा, उसके बाद चुनाव और फिर राज्य का दर्जा बहाल होगा। मैं कश्मीरी युवाओं से दोस्ती करना चाहता हूँ।'

कहा जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर के परिसीमन का काम अगले साल शुरू होने की संभावना है। अमित शाह ने जिस परिसीमन की बात की वह दरअसल एक विधानसभा या लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं का पुनर्निर्धारण है। यह किसी राज्य, केंद्र शासित प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर जनसांख्यिकीय परिवर्तनों को दिखाने के लिए किया जाता है। 

इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री शाह ने जब दिल्ली में कश्मीर के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाक़ात की थी तब दोनों नेताओं ने जोर देकर कहा था कि परिसीमन जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए ताकि राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए क़दम उठाए जा सकें।

शनिवार को युवा क्लबों के सदस्यों को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का फ़ैसला अब 'अपरिवर्तनीय' है। बता दें कि अनुच्छेद 370 को रद्द करने का 5 अगस्त, 2019 को बड़ा क़दम उठाया गया था। कश्मीर में महीनों तक कर्फ्यू लगा हुआ था और अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद दुनिया का सबसे लंबा इंटरनेट शटडाउन हुआ था। 

अमित शाह ने कहा कि कर्फ्यू और इंटरनेट बंद होने से कश्मीरी युवाओं को बचा लिया गया है, अगर कर्फ्यू नहीं होता, तो मुझे नहीं पता होता कि कितने लोगों की जान जाती।

अमित शाह ने पूछा, 'कर्फ्यू क्यों है, इंटरनेट बंद क्यों है, इस बारे में बहुत आलोचना हुई थी। मैं जवाब दूँगा। पहले मैं एक सवाल पूछना चाहता हूँ। 70 साल तक, तीन परिवारों ने यहाँ शासन किया। कश्मीर में 40,000 लोग क्यों मारे गए? क्या आपके पास कोई जवाब है?'

गृह मंत्री ने दावा किया, 'आतंकवाद कम हो गया है, पथराव अब दिखाई नहीं दे रहा है। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूँ कि जो लोग जम्मू-कश्मीर में शांति भंग करना चाहते हैं, उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी। यहाँ के विकास में कोई बाधा नहीं डाल सकता। यह हमारी प्रतिबद्धता है।'

अमित शाह ने कहा कि राज्य के विशेष दर्जे को ख़त्म करने से कश्मीर की कहानी आतंकवाद से विकास में बदल गई है। उन्होंने कहा, 'दो साल पहले, कश्मीर से ख़बरें आतंकवाद और पथराव के बारे में थीं। आज यह विकास, शिक्षा, कौशल विकास, युवा जुड़ाव के बारे में है।'

 - Satya Hindi

हालाँकि, गृह मंत्री का घाटी का दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब जम्मू कश्मीर में टारगेट किलिंग के मामले बढ़ गए हैं। ऐसी हत्याओं के मद्देनज़र केंद्र को एक बड़ी सुरक्षा चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। टारगेट किलिंग की वजह से प्रवासी मज़दूरों और कश्मीरी पंडितों का फिर से पलायन शुरू हो गया है। हाल ही में पुंछ में चल रहे आतंकवाद विरोधी अभियान में दो अधिकारियों सहित नौ सैनिकों की जान चली गई है। ख़ुद अमित शाह के कश्मीर दौरे से पहले कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। 

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