भारत में मौजूदा समय में सबसे बड़ा संकट क्या है? इस सवाल का जवाब नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने दिया है। उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि इस समय भारत के सामने सबसे बड़ा संकट 'राष्ट्र के पतन' का है। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि वह देश में असाधारण विभाजन देख रहे हैं। उन्होंने हालिया गिरफ़्तारियों के तौर-तरीक़ों पर सवाल उठाए। इसके साथ ही नफ़रत के माहौल और उदयपुर कांड को लेकर चिंता जताई।
देश की मौजूदा स्थिति और माहौल को लेकर अमर्त्य सेन की यह टिप्पणी गुरुवार को कोलकाता में आई। वह अमर्त्य सेन अनुसंधान केंद्र के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे।
कार्यक्रम में सेन ने कहा कि जिस चीज ने उन्हें सबसे ज़्यादा डरा दिया, वह यह है कि देश में अभी उन्होंने विभाजन देखा है। उन्होंने कहा कि यह भी असाधारण है कि औपनिवेशिक कानूनों का इस्तेमाल लोगों को सलाखों के पीछे डालने के लिए किया जा रहा है। हालाँकि इसके साथ उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन समझा जाता है कि एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ़्तारी के मामले में उनकी यह प्रतिक्रिया आई है।
उन्होंने कहा कि इन सबका मुक़ाबला करने के लिए केवल सहनशीलता पर्याप्त नहीं होगी। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने कहा, 'भारत में सहिष्णु होने की एक अंतर्निहित संस्कृति है, लेकिन समय की मांग है कि हिंदुओं और मुसलमानों को एक साथ काम करना चाहिए।'
अमर्त्य सेन की यह टिप्पणी पैगंबर मुहम्मद साहब के बारे में बीजेपी के दो नेताओं की टिप्पणियों के बाद कई राज्यों में प्रदर्शन, हिंसा और तीखी बहस के बाद आई है। सेन ने विवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत एक असाधारण स्थिति से गुजर रहा है।
इस मामले में काफी दबाव पड़ने के बाद बीजेपी ने उस टिप्पणी के सिलसिले में एक राजनेता को निष्कासित कर दिया है और दूसरे को निलंबित कर दिया है। विवादास्पद टिप्पणियों का समर्थन करने वाली एक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए उदयपुर में एक दर्जी की हत्या भी कर दी गई।
सेन ने कहा कि भारत केवल हिंदू संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाला देश नहीं है, बल्कि मुसलिम संस्कृति भी देश के जीवंत इतिहास का हिस्सा थी। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि एक समूह के रूप में हिंदू ताजमहल का श्रेय लेने में सक्षम हो सकते हैं। शाहजहाँ के सबसे बड़े बेटे दारा शिकोह ने 50 उपनिषदों का मूल संस्कृत से फारसी में अनुवाद किया और इससे दुनिया को हिंदू धर्मग्रंथों, हिंदू संस्कृति और हिंदू परंपराओं के बारे में जानने में मदद मिली। रविशंकर और अली अकबर खान के राग और संगीत भी जादू पैदा करने में विभिन्न धर्मों के लोगों के सहयोग के प्रमाण हैं।'
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री ने कहा कि आज के भारत में इस तरह के सहयोगात्मक कार्य ज़रूरी हैं जहां सहिष्णुता की बात करने से ही विखंडन के ख़तरों का समाधान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भारत में सहिष्णुता की एक अंतर्निहित संस्कृति थी क्योंकि 'यहूदी, ईसाई और पारसी सदियों से हमारे साथ रहे थे'।
सेन ने लोकतंत्र में न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, 'भारतीय न्यायपालिका अक्सर विखंडन के ख़तरों की अनदेखी करती है, जो डरावना है। एक सुरक्षित भविष्य के लिए न्यायपालिका, विधायिका और नौकरशाही के बीच संतुलन ज़रूरी है, जो भारत में गायब है।' उन्होंने इतिहास के पुनर्लेखन और मिटाने पर हालिया बहस को लेकर भी टिप्पणी की और इस पर चिंता जताई।