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अपनी पार्टी बनाएंगे अमरिंदर, किसान आंदोलन हल हुआ तो बीजेपी से करेंगे गठबंधन

अपनी पार्टी बनाएंगे अमरिंदर, किसान आंदोलन हल हुआ तो बीजेपी से करेंगे गठबंधन

पंजाब के विधानसभा चुनाव पर किसान आंदोलन का असर होगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता। 

पंजाब की राजनीति के तजुर्बेकार नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह अपनी नई पार्टी बनाकर चुनाव मैदान में उतरेंगे। नवजोत सिंह सिद्धू की लगातार बयानबाज़ी और उसके बाद बने हालात की वजह से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने वाले अमरिंदर का यह एलान काफी अहम है क्योंकि इससे पंजाब चुनाव में कांग्रेस की जीत की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है। 

अमरिंदर के अगले क़दम को लेकर काफी दिनों से अटकलें लगाई जा रही थीं। 

अमरिंदर ने यह भी कहा है कि अगर किसान आंदोलन का मसला हल हो जाता है तो वह बीजेपी के साथ गठबंधन भी करेंगे। अमरिंदर की बीते दिनों गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात हुई थी और यह माना जा रहा था कि वह ऐसा कोई एलान कर सकते हैं। 

किसान आंदोलन आया आड़े 

अमरिंदर के बीजेपी में शामिल होने की चर्चाएं भी तेज़ थीं, शायद वह बीजेपी में शामिल हो भी जाते लेकिन किसान आंदोलन इसमें आड़े आ गया। मौजूदा सूरत-ए-हाल में पंजाब में कोई भी अनुभवी राजनेता या राजनीतिक दल किसान आंदोलन के चलते बीजेपी से हाथ मिलाना नहीं चाहता। 

अमरिंदर लंबे वक़्त से सियासत में हैं। कई बार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और 9 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। पंजाब एक बॉर्डर स्टेट है, हमारे मुल्क़ की लंबी सीमा पाकिस्तान से लगती है। सेना में कैप्टन रहे होने की वजह से अमरिंदर सुरक्षा से जुड़े मसलों को भी बेहतर ढंग से समझते हैं। 

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सिद्धू बन रहे मुसीबत 

अमरिंदर ने जब इस्तीफ़ा दिया था तो उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि उन्हें बिना बताए बार-बार विधायकों की बैठक बुलाई जा रही है। कांग्रेस नेतृत्व ने अमरिंदर की जगह पर दलित सिख समुदाय से आने वाले चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया है। लेकिन उसकी परेशानी बड़बोले नेता नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर है। 

जब से चन्नी मुख्यमंत्री बने हैं, सिद्धू के तेवर सातवें आसमान पर हैं। वह प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे चुके हैं। हाईकमान उन्हें मनाने की लगातार कोशिश कर रहा है लेकिन सिद्धू आए दिन कोई न कोई विवाद खड़ा कर ही देते हैं। निश्चित रूप से पंजाब के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को उनका यह रवैया काफी महंगा पड़ सकता है। 

अमरिंदर सिंह का कहना है कि वह बिखरे हुए अकाली समूहों जैसे ढींढसा और ब्रहमपुरा गुटों के साथ भी गठबंधन कर सकते हैं। उन्होंने अपने इरादे जाहिर करते हुए कहा कि वे तब तक आराम से नहीं बैठेंगे, जब तक वे अपने राज्य और इसके लोगों का भविष्य सुरक्षित नहीं कर लेते।

परगट ने बोला हमला

अमरिंदर सिंह के इस एलान पर पंजाब के कैबिनेट मंत्री परगट सिंह ने उन पर हमला बोला है। परगट सिंह ने कहा है कि उन्होंने यह पहले ही कहा था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की बीजेपी और अकाली दल के साथ मिलीभगत है और उन्हें अपना एजेंडा बीजेपी से मिलता था। नवजोत सिंह सिद्धू के क़रीबी परगट सिंह लगातार कैप्टन का विरोध करते रहे थे। अमरिंदर के हटने के बाद परगट सिंह को चन्नी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। 

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ख़त्म होगा किसान आंदोलन?

बीजेपी और मोदी सरकार भी चाहते हैं कि किसान आंदोलन का कोई हल जल्दी निकले। क्योंकि बीजेपी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के चुनाव में इसके असर को लेकर काफी चिंता है। इसके अलावा हरियाणा में यह आंदोलन गहरी जड़ें जमा चुका है और पंजाब में बीजेपी के ख़ुद को मज़बूत करने के सपने को भी किसान आंदोलन ने तहस-नहस कर दिया है। ऐसे में हो सकता है कि पांच राज्यों के चुनाव से पहले केंद्र सरकार और किसानों के बीच में किसी तरह का कोई समझौता हो जाए क्योंकि बीजेपी इतना बड़ा सियासी ख़तरा मोल नहीं लेना चाहेगी। 

देखना होगा कि अमरिंदर सिंह कितनी मजबूती से विधानसभा का चुनाव लड़ पाते हैं और इसका कितना असर कांग्रेस पर पड़ेगा। क्योंकि कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने की स्थिति में कुछ लोग अमरिंदर का हाथ पकड़ सकते हैं। लेकिन कांग्रेस के लिए अमरिंदर से ज़्यादा बड़ी मुसीबत नवजोत सिंह सिद्धू साबित हो सकते हैं। 

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