नवजोत सिंह सिद्धू को उनकी इच्छा के अनुसार पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने के बावजूद राज्य ईकाई का अंतरकलह ख़त्म नहीं हुआ है। इसे इससे समझा जा सकता है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मंगलवार को मुलाक़ात कर सिद्धू की शिकायत की है।
उन्होंने कहा कि अपनी ही पार्टी की ओर से राज्य सरकार की खुलेआम आलोचना अच्छी बात नहीं है और इससे सरकार चलाने में दिक्क़त होती है।
मुख्यमंत्री की सोनिया गांधी से यह मुलाक़ात ऐसे समय हुई है जब कुछ दिनों में ही पंजाब सरकार में बदलाव की संभावना है।
क्या कहा सिद्धू ने?
अमरिंदर सिंह की नाराज़गी समझी जा सकती है। नवजोत सिद्धू ने मंगलवार को ही एक ट्वीट कर अपनी ही पार्टी की सरकार की आलोचना सार्वजनिक रूप से कर दी।उन्होंने 2018 के ड्रग्स मामले में अकाली दल के नेता विक्रम मजीठिया और दूसरे लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं करने को लेकर मुख्यमंत्री की आलोचना की।
पंजाब कांग्रेस प्रमुख ने कहा,
“
ड्रग कारेाबार के दोषियों को सज़ा दिलाना कांग्रेस के 18 प्वाइंट एजेंडे की प्राथमिकता रही है। मजीठिया पर क्या कार्रवाई की गई? यदि और देर हुई तो हम रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव रखेंगे।
नवजोत सिंह सिद्धू, अध्यक्ष, पंजाब कांग्रेस
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के तुरन्त बाद सिद्धू के बयानों से ऐसा लगता था कि दोनों पक्षों में सुलह सफाई हो गई है और अंतरकलह ख़त्म हो गया।
सिद्धू ने कैप्टन का नाम लिए बग़ैर कहा था,
“
जो मेरा विरोध करते हैं, वो मुझे बेहतर बनाते हैं। जो मुझे आशीर्वाद देते हैं, वो मेरा सुरक्षा कवच हैं। मैं सबका आशीर्वाद लेकर और सबको साथ लेकर चलूंगा।
नवजोत सिंह सिद्धू, अध्यक्ष, पंजाब कांग्रेस
सिद्धू ने यह जताने की कोशिश भी की थी कि जो हुआ, पीछे छूट गया। उन्होंने कहा था कि 'मेरी लड़ाई कोई मुद्दा नहीं है। दिल्ली में बैठे किसान, डॉक्टरों और नर्सों की समस्याएं असली मुद्दे हैं। हमें मुद्दों को सुलझाना है। तभी हम भगवान के सामने सच्चे हैं।'
पहले भाषण में सिद्धू ने कहा था कि मैं मुख्यमंत्री के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करूंगा। मुझमें कोई अहंकार नहीं है। कांग्रेस आज एकजुट है।'
पर हालिया ट्वीट से साफ है कि ऐसा नहीं है और सिद्धू अपनी ही पार्टी की सरकार के लिए परेशानियाँ खड़ी करते रहेंगे।