दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल पर कथित किडनी रैकेट की रिपोर्ट द टेलीग्राफ लंदन ने प्रकाशित की है। एएनआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने अवैध किडनी रैकेट के लिए दिल्ली के निजी अस्पताल को जिम्मेदार ठहराने वाली एक मीडिया रिपोर्ट के संबंध में राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) के निदेशक को एक पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि इसकी जांच कराई जाए।
एएनआई के मुताबिक डीजीएचएस ने लिखा है- "एक मीडिया रिपोर्ट में अवैध किडनी रैकेट चलाने में अपोलो अस्पताल, दिल्ली और डॉ. संदीप गुलेरिया की संलिप्तता का आरोप लगाया गया है, जिसमें म्यांमार के गरीब लोगों को लाभ के लिए अपने अंग बेचने के लिए लुभाया जा रहा है। रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि ऐसी गतिविधियां हो सकती हैं कमजोर व्यक्तियों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए गंभीर खतरा पैदा हो रहा है। मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम (THOTA), 1994 अध्याय IV, धारा 13 (3) (iv) के अनुसार, सचिव (स्वास्थ्य), दिल्ली सरकार मामले की जांच कराए।"
केंद्र सरकार की संस्था ने आगे लिखा है- "इस संबंध में, आपसे अनुरोध है कि कृपया मामले की जांच कराएं, THOTA, 1994 के प्रावधान के अनुसार उचित कार्रवाई करें और एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करें।"
द टेलीग्राफ ने 3 दिसंबर की रिपोर्ट में आरोप लगाया कि "म्यांमार के हताश युवा ग्रामीणों" को "लाभ के लिए अपने अंग बेचने के लिए लुभाया जा रहा है।" रिपोर्ट के अनुसार, लोगों को दिल्ली के अस्पताल में "प्लेन से लाया जा रहा है" और उन्हें "अमीर बर्मी रोगियों को अपनी किडनी दान करने के लिए भुगतान किया जा रहा है।"
इंद्रप्रस्थ मेडिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईएमसीएल) ने मंगलवार को "किडनी के बदले पैसे" रैकेट में शामिल होने के "बिल्कुल झूठे" आरोपों का खंडन किया। उस खंडन को विदेशी रॉयटर्स समाचार एजेंसी ने भी जारी किया था।
आईएमसीएल देश के सबसे बड़े अस्पताल समूहों में से एक अपोलो हॉस्पिटल्स का हिस्सा है।
द टेलीग्राफ लंदन के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए आईएमसीएल के प्रवक्ता ने कहा, "हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मीडिया में आईएमसीएल के खिलाफ लगाए गए आरोप बिल्कुल झूठे, गलत जानकारी वाले और भ्रामक हैं। सभी तथ्य संबंधित पत्रकार के साथ विस्तार से साझा किए गए थे।" प्रवक्ता ने कहा, "आईएमसीएल प्रत्यारोपण प्रक्रियाओं के लिए हर कानूनी और नैतिक आवश्यकता का अनुपालन करता है, जिसमें सरकार द्वारा निर्धारित सभी दिशानिर्देशों के साथ-साथ हमारी अपनी व्यापक आंतरिक प्रक्रियाएं भी शामिल हैं।"
यहां यह बताना जरूरी है कि भारत के मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम के तहत, पति-पत्नी, भाई-बहन, माता-पिता और पोते-पोतियां जैसे करीबी रिश्तेदार ही अंग दान कर सकते हैं। अधिनियम के तहत मानवीय कारणों के मामलों को छोड़कर, अजनबियों से दान प्रतिबंधित है।
अपोलो के प्रवक्ता ने दावा किया कि "हम एक फॉर्म मरीज से भरवाते हैं। यह फॉर्म विदेशी सरकार से प्रमाणित होता है कि दाता और प्राप्तकर्ता वास्तव में संबंधित हैं। इंद्रप्रस्थ अपोलो में भारत सरकार द्वारा नियुक्त प्रत्यारोपण प्राधिकरण समिति हर मामले में मरीज के दस्तावेजों की समीक्षा करती है और दाता और प्राप्तकर्ता का इंटरव्यू लेती है। आगे फिर इसका सत्यापन किया जाता है।'' प्रवक्ता ने कहा, ''संबंधित देश के संबंधित दूतावास के पास दस्तावेज हैं। रोगियों और दाताओं को कई मेडिकल परीक्षणों से गुजरना पड़ता है।''
आईएमसीएल के प्रवक्ता ने कहा- "इस तरह कई अन्य कदम प्रत्यारोपण प्रक्रिया के लिए किसी भी अनुपालन जरूरतों से कहीं अधिक हैं और यह तय करते हैं कि दाता और प्राप्तकर्ता वास्तव में लागू कानूनों के अनुसार रिश्तेदार हैं। आईएमसीएल नैतिकता के उच्चतम मानकों के लिए प्रतिबद्ध है और सर्वोत्तम स्वास्थ्य देखभाल लाने के अपने मिशन को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।"
भारत में किडनी रैकेट के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। 2022 में ऐसे ही एक खुलासे में दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड के कई डॉक्टर इस किडनी रैकेट में पकड़े जा चुके हैं। मई में आंध्र प्रदेश में भी किडनी रैकेट का मामला खुला था। अभी पिछले महीने दिल्ली के बत्रा अस्पताल में भी किडनी दान करने वाला रैकेट दिल्ली पुलिस ने पकड़ा था। बत्रा अस्पताल के मामले का भंडाफोड़ पुणे के एक एमबीए छात्र ने किया था। उसने इसका एक न्यूज चैनल के जरिए स्टिंग किया और तब दिल्ली पुलिस सक्रिय हुई थी।