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गोरखपुर: कानपुर व्यवसायी की मौत मामले में सभी 6 पुलिसकर्मी गिरफ़्तार

गोरखपुर: कानपुर व्यवसायी की मौत मामले में सभी 6 पुलिसकर्मी गिरफ़्तार

गोरखपुर के होटल में कानपुर व्यवसायी मनीष गुप्ता की मौत के मामले में क्या न्याय मिला? जानिए, उत्तर प्रदेश पुलिस ने अब तक क्या कार्रवाई की है।

कानपुर के व्यवसायी मनीष गुप्ता की मौत के मामले में सभी छह आरोपी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। शनिवार को एक पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी हुई है और इसके साथ ही यूपी पुलिस ने कहा है कि अब सभी आरोपी पुलिस गिरफ़्त में हैं। 

पिछले महीने गोरखपुर के एक होटल में देर रात पुलिस छापेमारी के बाद मनीष गुप्ता की मौत हो गई थी। मनीष अपने दोस्तों से मिलने गए थे। उनके परिवार ने आरोप लगाया था कि एक वरिष्ठ निरीक्षक के नेतृत्व में छह पुलिसकर्मियों ने उनके होटल के कमरे में घुसकर गुप्ता के साथ मारपीट की। पुलिस ने कथित तौर पर उन्हें अस्पताल ले जाने में भी देरी की थी।

इस मामले ने राजनीतिक तौर पर काफ़ी तूल पकड़ा था। योगी आदित्यनाथ सरकार पर निष्क्रियता का आरोप लगाया गया था, जबकि पुलिस ने इस मामले में शुरुआती बयान में दुर्घटना से मौत होना बताया था। 

उत्तर प्रदेश पुलिस का इस मामले में कहना था कि गोरखपुर के उस होटल के एक कमरे में तीन युवक संदिग्ध, अलग-अलग शहरों से आए थे। इस सूचना पर पुलिस ने होटल मैनेजर को साथ में लेकर कमरे की चेकिंग करने गई जहाँ पर हड़बड़ाहट में एक युवक की कमरे में गिरने से चोट लग गई। पुलिन ने कहा था कि 'दुर्घटनावश हुई इस घटना से होटल मैनेजर को साथ लेकर युवक को अस्पताल में भर्ती कराया। बीआरडी में इलाज के दौरान उस युवक की मृत्यु हो गई। पुलिस ने तत्काल परिजनों को सूचित किया।'

जबकि मनीष गुप्ता की पत्‍नी मीनाक्षी और पिता नंद किशोर गुप्‍ता ने पुलिस पर बेरहमी से पिटाई करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि रात में मनीष ने उन्‍हें फोन कर कहा था कि होटल के कमरे में पहुँची पुलिस ने उन्हें पीटा है, जिससे वे घायल हो गए हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि मौत की जानकारी उन्हें रात में नहीं, बल्कि सुबह दी गई। 

विपक्षी नेताओं द्वारा इस मामले में योगी सरकार की कड़ी आलोचना की गई। इसके बाद छह पुलिसकर्मियों को तुरंत निलंबित कर दिया गया था।

इस बीच इस मामले ने इस कारण और तूल पकड़ा क्योंकि प्रशासन के रवैये पर सवाल खड़ा हुआ। एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें दिख रहा था कि उच्चाधिकारी कथित तौर पर मनीष गुप्ता के परिवार को मुक़दमा लड़ने से हतोत्साहित कर रहे थे। 

उस वीडियो को सोशल मीडिया पर विपक्षी दलों के नेताओं ने साझा किया था। समाजवादी पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर वीडियो शेयर कर लिखा था कि 'मनीष गुप्ता की पुलिस द्वारा हत्या किए जाने पर डीएम और एसएसपी परिजनों को एफ़आईआर दर्ज नहीं कराने की सलाह दे रहे हैं'। इसने यह भी लिखा है कि पूरे मामले को सरकार दबाने का प्रयास कर रही है। वीडियो में कथित तौर पर गोरखपुर के ज़िला मजिस्ट्रेट विजय किरण आनंद और पुलिस प्रमुख विपिन टाडा दिखे थे। 

बता दें कि मनीष गुप्ता की ऑटोप्सी रिपोर्ट से पता चला है कि उन्हें कई चोटें आईं, जिनमें उनके सिर के बीच में सूजन, कोहनी के जोड़ के ऊपर एक कट और ऊपरी होंठ पर चोटें शामिल हैं।

यह मामला तब ठंडा पड़ा था जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मनीष गुप्ता के परिवार वालों से मुलाक़ात की और उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिया। मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही मृतक व्यापारी के बेटे की शिक्षा, उनके घर के किसी एक आदमी को सरकारी नौकरी देने और इस मामले को आगे की जाँच के लिए कानपुर भेजने का आश्वासन भी दिया। मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी ने मुख्यमंत्री से मुलाक़ात के बाद पत्रकारों से कहा था कि योगी आदित्यनाथ ने एक गार्जियन की तरह उनकी बातें सुनीं और उन्हें न्याय दिलाने का वचन दिया। मीनाक्षी ने कहा था कि मुख्यमंत्री ने दस लाख रुपए की राहत का भरोसा दिया है।

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