पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय को राज्य सरकार से परामर्श किए बग़ैर ही केंद्र में तबादला करने और उसके बाद उनके ख़िलाफ़ कारण बताओ नोटिस जारी करने से कई रिटायर आईएएस अफ़सर गुस्से में हैं।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के चोटी के कई रिटायर अफ़सरों ने इस पर नाराज़गी और चिंता जताई है। उन्होंने इसे 'बेतुका', 'क़ानून के ख़िलाफ़' और 'परेशान करने वाला' फ़ैसला क़रार दिया है।
भारत सरकार के पूर्व कैबिनेट सचिव के. एम. चंद्रशेखर ने साफ शब्दों में कहा है कि आलापन बंद्योपाध्याय का तबादला राजनीतिक कारणों से और बग़ैर सोच विचार के उठाया गया कदम है जो देशहित में नहीं लिया गया है।
ज़बरन डेपुटेशन नहीं
उन्होंने आईएएस काडर रूल्स (1954) के नियम संख्या 61 के हवाले से कहा है कि आईएस अधिकारी राज्य काडर का होता है, जिसे राज्य सरकार की सहमति से केंद्र सरकार या उसकी एजेन्सी या निकाय में 'डेपुटेशन' पर भेजा जा सकता है। राज्य से केंद्र में 'डेपुटेशन' पर भेजा जा सकता है, केंद्र से राज्य में नहीं।
उनका कहना है कि यह डेपुटेशन होता है, जिसके लिए राज्य सरकार से परामर्श किया जाना ज़रूरी है। राज्य और केंद्र में असहमति होने पर केंद्र की बात ही सर्वोपरि होती है, पर राज्य सरकार से पूछना ज़रूरी है।
चंद्रशेखर ने 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' में छपे एक लेख में कहा है कि आलापन बंद्योपाध्याय के मामले में केंद्र ने तो कोई परामर्श किया ही नहीं था, इसलिए डेपुटेशन का फ़ैसला ग़लत था।
किस पद पर ज्वाइन करते?
चंद्रशेखर का यह भी कहना है कि जिन लोगों ने केंद्र में निचले स्तर पर काम नहीं किया हो उन्हें संयुक्त सचिव से निचले स्तर के पैनल में नहीं डाला जाता है। आलापन राज्य सरकार में मुख्य सचिव थे, तो क्या केंद्र में उन्हें इससे निचले स्तर पर ज्वाइन करने को कहा जाता? चंद्रशेखर कहते है कि,
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यदि किसी अफ़सर को इच्छा के ख़िलाफ़ निचले पद पर ज्वाइन कराया जाता है तो यह दंडात्मक कार्रवाई ही होती है और बग़ैर विधिवत जाँच के दंड देना संविधान की धारा 311 का उल्लंघन है।
के. एम. चंद्रशेखर, पूर्व कैबिनेट सचिव, भारत सरकार
चंद्रशेखर पूछते हैं कि क्या केंद्र सरकार ने बंद्योपाध्याय को 24 से 28 मई के बीच ही किसी पैनल पर डाल दिया था? लेकिन केंद्र ने इसका कोई संकेत तो दिया नहीं है।
ग़ैर-क़ानूनी?
इसके अलावा पूर्व कैबिनेट सचिव बी. के. चतुर्वेदी, कार्मिक विभाग के पूर्व सचिव सत्यानंद मिश्रा और पूर्व गृह सचिव जी. के. पिल्लई ने भी आलापन बंद्योपाद्याय के तबादले को 'अभूतपूर्व', 'मनमर्जी से उठाया गया' 'बेतुका' और 'ग़ैर-क़ानूनी' कदम बताया है।पूर्व गृह सचिव जी. के. पिल्लई ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'भारत के आज़ाद इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि सचिव स्तर के एक अफ़सर का तबादला उसके रिटायर करने के दिन किया गया है। किसी ने आजतक नहीं सुना है कि सचिव स्तर के अफ़सर को सुबह 10 बजे ज्वाइन करने को कहा गया हो। ज्वाइन करने के लिए यात्रा में लगने वाले समय के अलावा छह दिन का समय दिया जाता है।'
पिल्लई ने कारण बताओ नोटिस को भी अटपटा बताया है। उन्होंने कहा,
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एक बैठक में मौजूद नहीं रहने पर कारण बताओ नोटिस! आजतक ऐसा नहीं हुआ था।
जी. के. पिल्लई, पूर्व गृह सचिव, भारत सरकार