पृथ्वीराज चौहान गुर्जर थे या राजपूत, फिल्म को लेकर विवाद
अभिनेता अक्षय कुमार की आने वाली फिल्म पृथ्वीराज को लेकर राजस्थान में जातीय तनाव बढ़ रहा है।
अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा ने दावा किया है कि पृथ्वीराज चौहान गुर्जर थे और इसलिए उन्हें फिल्म में राजपूत सम्राट के बजाय गुर्जर सम्राट के तौर पर दिखाया जाना चाहिए।
महासभा की ओर से चेतावनी दी गई है कि अगर पृथ्वीराज चौहान को राजपूत सम्राट के तौर पर दिखाया गया तो फिल्म को रिलीज नहीं होने दिया जाएगा।
महासभा की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष मनीष भार्गव पिछले साल इस मामले में फिल्म के प्रोड्यूसर्स से मिले थे और उन्हें ऐतिहासिक दस्तावेज भी दिखाए थे।
गुर्जर होने के दावे
20 मई को जयपुर में हुई प्रेस कांफ्रेंस में अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा ने पृथ्वीराज चौहान के गुर्जर होने के तमाम दावे पेश किए।
उन्होंने कश्मीरी कवि जयनक के द्वारा लिखा गया एक संस्कृत पाठ जिसे 'पृथ्वीराजविजयमहाकाव्य' कहा जाता है, को सामने रखा। महासभा ने कहा कि इस पाठ में पृथ्वीराज चौहान के गुर्जर जाति से होने को लेकर कई संदर्भ हैं। महासभा ने कहा कि जयनक 1191-21 के दौरान पृथ्वीराज चौहान के दरबार में काम करते थे।
महासभा की ओर से चंद बरदाई के द्वारा लिखे गये महाकाव्य पृथ्वीराज रासो को भी सामने रखा गया। महासभा ने कहा कि पृथ्वीराज रासो में लिखा गया है कि पृथ्वीराज चौहान के पिता का नाम सोमेश्वर था और वे गुर्जर थे।
गुर्जर महासभा के प्रतिनिधियों ने कहा कि उन्होंने सीबीएसई और इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च में आरटीआई दाखिल कर पृथ्वीराज चौहान के राजपूत जाति से होने के दावों के बारे में जानकारी मांगी लेकिन उन्हें कोई सही जवाब नहीं मिला।
गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग गुर्जर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने पृथ्वीराज फिल्म के निर्माताओं व लेखक-निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी को नोटिस भी भेजा था लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
महासभा ने कहा कि वह इस मामले को दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में कई मंचों पर उठा चुकी है।
गुर्जर नेताओं ने चेताया
गुर्जर नेताओं का कहना है कि वे इस मामले में दो जातियों के बीच किसी तरह की दुश्मनी को नहीं बढ़ाना चाहते लेकिन अगर पृथ्वीराज चौहान को सही रूप में नहीं दिखाया गया तो वे लोग प्रदर्शन करेंगे। गुर्जर नेताओं ने कहा कि करणी सेना की तरह जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक 22 राज्यों में उनका भी संगठन है।
राजपूत नेताओं का दावा
जबकि दूसरी ओर राजपूतों के संगठन करणी सेना का कहना है कि पृथ्वीराज चौहान राजपूत ही थे। श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय संयोजक अजीत सिंह ममडोली का कहना है कि पृथ्वीराज चौहान एक राजपूत राजा थे और इतिहास की किताबों में भी इस बात को लिखा गया है लेकिन बेवजह एक नया विवाद खड़ा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राजपूत और गुर्जर समुदाय के बीच विवाद को खड़ा करने में कुछ राजनीतिक ताकतें काम कर रही हैं।
टाइटल बदलने की मांग
करणी सेना ने इस फिल्म का टाइटल बदले जाने की मांग की है। करणी सेना ने कहा है कि फिल्म का टाइटल सम्राट पृथ्वीराज चौहान होना चाहिए। करणी सेना ने चेताया है कि अगर फिल्म का टाइटल नहीं बदला गया तो राजस्थान में फिल्म को रिलीज नहीं होने दिया जाएगा।
करणी सेना का उत्पात
करणी सेना पहली बार तब चर्चा में आई थी जब साल 2008 में उसने फिल्म जोधा अकबर के खिलाफ प्रदर्शन किया था। लगातार विरोध प्रदर्शन के बाद साल 2014 में राजस्थान में इस फिल्म को बैन करना पड़ा था। 2017 में करणी सेना ने फिल्म पद्मावत के खिलाफ भी प्रदर्शन किया था। इसके बाद 2019 में करणी सेना ने कंगना रनौत की फिल्म मणिकर्णिका के खिलाफ भी मोर्चा खोला था।
यह फिल्म यशराज फिल्म्स के बैनर तले बनी है और 3 जून को इसे रिलीज किया जाना है। साल 2017 में मिस वर्ल्ड रहीं मानुषी छिल्लर इस फिल्म से अपने करियर की शुरुआत कर रही हैं।
सम्राट मिहिर भोज को लेकर विवाद
गुर्जर और राजपूत समुदाय के बीच कुछ महीने पहले ही सम्राट मिहिर भोज को लेकर जबरदस्त विवाद हुआ था। तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्रेटर नोएडा में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण किया था। सम्राट मिहिर भोज को दोनों समुदाय अपना-अपना राजा बताते रहे हैं।
राजस्थान में गुर्जर और राजपूत दोनों ही ताकतवर समुदाय हैं और इन समुदायों के लोग अगर एक बार फिर से आमने-सामने आते हैं तो निश्चित तौर पर राजस्थान ही नहीं बल्कि दिल्ली-एनसीआर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी जातीय तनाव बढ़ सकता है।