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अक्षय कुमार गोमूत्र क्यों पीते हैं, वैज्ञानिकों ने क्या कोई फ़ायदे बताए हैं?

अक्षय कुमार गोमूत्र क्यों पीते हैं, वैज्ञानिकों ने क्या कोई फ़ायदे बताए हैं?

अक्षय कुमार इनटू द वाइल्ड कार्यक्रम में बेयर ग्रिल्स के साथ नज़र आएँगे। इसमें जारी किए गए ट्रेलर में उन्होंने कहा है कि मैं रोज़ गोमूत्र पीता हूँ। 

अभिनेता अक्षय कुमार हर रोज़ गोमूत्र पीते हैं। उन्होंने ख़ुद यह स्वीकार किया है। इस ख़बर के आने के बाद गोमूत्र फिर से चर्चा में है। कोरोना संक्रमण फैला था तब मार्च में भी यह चर्चा में रहा था। चर्चा में क्या रहा था, सीधे-सीधे कहें तो विवादों में रहा था। लेकिन फ़िलहाल यह विवाद में तो नहीं है, लेकिन इसकी ख़बर चौंकाती ज़रूर है। चौंकाती इसलिए है क्योंकि गोमूत्र के फ़ायदे-नुक़सान पर अक्सर विवाद होता रहा है और अक्षय कुमार जैसे शारीरिक रूप से तंदुरुस्त व्यक्ति को कथित रूप से बीमारियाँ दूर करने वाले गोमूत्र की ज़रूरत क्यों पड़ी। 

गोमूत्र को लेकर जब-जब भी विवाद हुआ शायद ही कभी अक्षय कुमार ने उस पर कुछ कहा हो। लेकिन अब गोमूत्र पीने की बात भी उन्होंने एक कार्यक्रम में स्वीकारी। दरअसल अक्षय कुमार बेयर ग्रिल्स के पॉपुलर एडवेंचर शो 'इनटू द वाइल्ड' में नज़र आएँगे। इसी कार्यक्रम के प्रमोशन को लेकर बेयर ग्रिल्स ने इंस्टाग्राम पर लाइव चैट शो रखा था। इसमें जंगल में एडवेंचर को लेकर बात की जा रही थी। अक्षय कुमार स्कॉटलैंट में हुमा क़ुरैशी और लारा दत्ता भूपति के साथ आने वाली फ़िल्म 'बेलबॉटम' की शूटिंग कर रहे हैं। हुमा भी कार्यक्रम में जुड़ी थीं।

कार्यक्रम के दौरान हुमा ने 'एलिफ़ैंट पूप टी' के बारे में सवाल पूछा। हाथी द्वारा निगली गयी कॉफ़ी बिन्स जब गोबर के साथ बाहर आती है तो उसी से 'एलिफ़ैंट पूप टी' बनाई जाती है। हुमा पूछती हैं कि 'इनटू द वाइल्ड' की शूटिंग के दौरान वह 'एलिफ़ैंट पूप टी' पीने की हिम्मत कैसे कर पाए इसी के जवाब में अक्षय कुमार ने कहा- 'मैं चिंतित नहीं था। मैं इतना ज़्यादा उत्सुक था कि चिंता हो भी नहीं सकती थी। आयुर्वेदिक कारणों से मैं हर रोज़ गोमूत्र पीता हूँ, इसलिए मुझे कोई दिक्कत नहीं थी।' हालाँकि, अक्षय कुमार ने यह साफ़ नहीं किया कि किसी आयुर्वेदिक वैद्य ने या एलोपैथिक डॉक्टर ने उन्हें ऐसा करने की सलाह दी थी या नहीं। 

 - Satya Hindi

बेयर ग्रिल्स और अक्षय कुमार। फ़ोटो साभार: इंस्टाग्राम/अक्षय कुमार

अक्षय कुमार उन बेयर ग्रिल्स के साथ कार्यक्रम में थे जिन्होंने दुनिया भर में बड़े-बड़े लोगों के साथ जंगल में  'इनटू द वाइल्ड' कार्यक्रम के लिए शूटिंग की है। इसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपित बराक ओबामा भी शामिल हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुपरस्टार रजनीकांत के साथ भी बेयर ग्रिल्स कार्यक्रम कर चुके हैं। जब प्रधानमंत्री मोदी के साथ बेयर ग्रिल्स शूटिंग कर रहे थे उसी दिन भारत में पुलवामा में सेना पर बड़ा आतंकी हमला हुआ था और इस वजह से उसको लेकर ख़ूब चर्चा हुई थी। लेकिन अब अक्षय कुमार के इस कार्यक्रम की चर्चा इसलिए हो रही है कि उन्होंने गोमूत्र पीने की बात स्वीकार की है। 

इतने बड़े स्टार के गोमूत्र पीने की बात स्वीकार करना अपने आप में बड़ी बात इसलिए हो जाती है क्योंकि गोमूत्र को लेकर भारत में विवाद होता रहा है। कुछ महीने पहले जब कोरोना वायरस ने भारत में पैर पसारना शुरू किया था तब इस गोमूत्र पर काफ़ी विवाद हुआ था और यह देश भर में सुर्खियाँ बना था।

कोलकाता में गोमूत्र पीने के बाद एक शख्स बीमार पड़ गया था और उसकी शिकायत पर गोमूत्र पिलाने का सामूहिक आयोजन करने वाले बीजेपी कार्यकर्ता को 17 मार्च को गिरफ़्तार किया गया था। तब दिल्ली में भी एक समूह ने गोमूत्र पिलाने का ऐसा ही आयोजन किया था, लेकिन विवाद बढ़ने के बाद फिर ऐसे मामले नहीं आए। इसी साल जुलाई में पश्चिम बंगाल बीजेपी के प्रमुख और लोकसभा सांसद दिलीप घोष ने कहा था कि गोमूत्र से कोरोना का इलाज हो सकता है। इन विवाद में यह बात तो निकलकर आयी ही थी कि गोमूत्र के फ़ायदे की अब तक कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है। 

हालाँकि देश भर में कई लोग दावे करते रहे हैं कि गोमूत्र के कई फ़ायदे होते हैं, लेकिन अब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी कोई पुष्टि नहीं हुई है कि गोमूत्र से कोरोना वायरस का इलाज होता हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी साफ़ किया है कि अब तक कोरोना का कोई इलाज ही नहीं ढूँढा जा सका है। भारत सरकार ने भी अब तक इस तरह की कोई पुष्टि नहीं की है। वह भी तब जब इसी सरकार ने जुलाई 2017 में गोमूत्र सहित गाय से जुडे़ पदार्थों और उनके लाभ पर वैज्ञानिक रूप से अनुसंधान करने के लिए 19 सदस्यीय समिति बनाई थी। इस समिति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस और विश्वहिंदू परिषद यानी विहिप के तीन सदस्यों को भी शामिल किया गया था।

कोरोना संक्रमण के दौरान ऐसी रिपोर्टें आईं थी कि गुजरात में गोमूत्र की माँग काफ़ी बढ़ गई थी। 'इकोनॉमिक टाइम्स' की एक अप्रैल की एक रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष और पूर्व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री वल्लभ कथीरिया ने कहा था, 'गोमूत्र और गोमूत्र आर्क की बिक्री कोरोना वायरस के फैलने के बाद राज्य में काफ़ी ज़्यादा बढ़ गई है और हर रोज़ क़रीब 6000 लीटर की ख़पत हो रही है।' 

कथीरिया ने तब कहा था कि 'गोमूत्र पाचन में सुधार करने के अलावा लिम्फोसाइटों को मज़बूत करता है और यह एंटीऑक्सिडेंट है। गोमूत्र बैक्टीरिया को मारता है और निश्चित रूप से कोरोनो वायरस से लड़ने में यह मददगार होगा।'

गोमूत्र से कैंसर के इलाज के दावे भी किए जाते रहे हैं, लेकिन इसकी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है और डॉक्टर इस दावे को पूरी तरह से खारिज करते रहे हैं।

कई सरकारी एजेंसियों ने गोमूत्र पर शोध करने का प्रस्ताव रखा था कि कैसे गोमूत्र के इलाज से डायबिटीज़ या कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज हो जाता है, लेकिन विज्ञान जगत में इसका ज़बरदस्त विरोध हुआ और क़रीब 500 वैज्ञानिकों ने खुला ख़त भी लिखा था। वैज्ञानिकों ने लिखा था कि यह पूरी तरह अवैज्ञानिक है और पूरी तरह से सरकारी पैसे की बर्बादी है, वह भी ऐसे समय में जब दूसरे वैज्ञानिक शोध के लिए पैसे की भारी किल्लत हो। 

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