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क्या बीजेपी मायावती को राष्ट्रपति बनाएगी: अखिलेश यादव 

क्या बीजेपी मायावती को राष्ट्रपति बनाएगी: अखिलेश यादव 

अखिलेश यादव ने यह कहकर मायावती पर तो तंज कसा ही है, बीजेपी से भी सवाल पूछा है। क्या बीजेपी या मायावती की ओर से इस बारे में कोई जवाब आएगा?

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूछा है कि क्या बीजेपी मायावती को राष्ट्रपति बनाएगी। बुधवार को मैनपुरी पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने वोट तो बीजेपी को दे दिया है लेकिन अब इंतजार इस बात का है कि क्या वह पार्टी की मुखिया मायावती को राष्ट्रपति बनाएगी।

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद सपा की ओर से यह आरोप लगाया गया था कि बीएसपी ने अपना सारा वोट बीजेपी को ट्रांसफर करा दिया है। इसे लेकर ही अखिलेश यादव ने मायावती पर यह तंज कसा है।

राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव जुलाई में होना है और इसके लिए एनडीए और यूपीए की ओर से उम्मीदवार कौन होगा इसे लेकर सियासी गणित तैयार की जा रही है। बीजेपी को हालिया 5 में से 4 चुनावी राज्यों में जो कामयाबी मिली है इससे उसके लिए चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार को राष्ट्रपति चुनाव में जीत दिलाना आसान हो सकता है।

यह भी देखा जाना है कि क्या एनडीए रामनाथ कोविंद को फिर से राष्ट्रपति के पद के लिए उम्मीदवार बनाएगा। बीजेपी इस बारे में अपने सहयोगी दलों के साथ भी विचार विमर्श कर आम सहमति बनाने की कोशिश करेगी। इसके अलावा वह विपक्षी दलों जैसे वाईएसआर कांग्रेस और नवीन पटनायक की बीजेडी के साथ भी बातचीत कर सकती है।

कैसे होता है चुनाव?

भारत के राष्ट्रपति का चुनाव 776 सांसदों (543 लोकसभा और 243 राज्यसभा) और 4120 विधायकों के द्वारा किया जाता है। इन विधायकों और सांसदों के वोटों की कुल वैल्यू 10,98,903 होती है और इसमें से बीजेपी के पास आधे से ज्यादा वोट वैल्यू है। हर सांसद के वोट की वैल्यू 708 है जबकि विधायकों के वोटों की वैल्यू हर राज्य में अलग-अलग होती है। 

उत्तर प्रदेश विधानसभा के वोटों की कुल वैल्यू 83,824, पंजाब की 13,572, उत्तराखंड की 4480, गोवा की 800 और मणिपुर की 1080 है।

क्या करेगा विपक्ष?

दूसरी ओर, देखना होगा कि क्या विपक्षी दल राष्ट्रपति चुनाव में कोई संयुक्त उम्मीदवार उतारते हैं या वह कोई दूसरा रुख अपनाते हैं। पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस की हालत बेहद पतली रही है इसलिए राष्ट्रपति के चुनाव में वह अपने किसी उम्मीदवार को मजबूती से खड़ा नहीं कर पाएगी। विपक्षी दलों में टीएमसी, डीएमके, शिवसेना, टीआरएस विपक्षी उम्मीदवार खड़ा करने में अहम रोल निभाएंगे।

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