एनसीपी ने अजीत पवार को विधायक दल के नेता पद से हटाया
महाराष्ट्र में हुए सियासी घटनाक्रम के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने अजीत पवार को पार्टी के विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया है। मुंबई में पार्टी विधायकों की बैठक में जयंत पाटिल को विधायक दल का नया नेता चुना गया है। अजीत पवार ने शनिवार सुबह ही महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, बैठक में 50 विधायक मौजूद रहे और सभी विधायकों को मुंबई के एक होटल में रखा जाएगा।
Top NCP sources: Total 50 MLAs are present in the meeting with NCP Chief Sharad Pawar at YB Chavan Centre in Mumbai. 4 NCP MLAs including Ajit Pawar yet to come for the meeting. They are expected to come for the meeting shortly. All MLAs will be kept at a hotel in Mumbai.
— ANI (@ANI) November 23, 2019
बैठक के बाद एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि 5 विधायकों से संपर्क नहीं हो पाया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की सरकार बनेगी। सुबह भी नवाब मलिक ने कहा था कि हमने अपने सभी विधायकों के हस्ताक्षर लिए थे और इसी का दुरुपयोग शपथ लेने के लिए किया गया। मलिक ने कहा था कि यह सरकार धोखे से बनाई गई है और यह विधानसभा के फ़्लोर पर हार जाएगी। उन्होंने दावा किया था कि पार्टी के सारे विधायक एनसीपी के साथ हैं।
महाराष्ट्र में चल रहे सियासी ड्रामे के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अजीत पवार का एनसीपी तोड़ने का पूरा ‘खेल’ ख़राब हो गया है विधायक धनंजय मुंडे के वापस पार्टी की बैठक में लौटने से यह बात अब चर्चा में है। सुबह से ही यह कहा जा रहा था कि मुंडे के माध्यम से ही यह पूरा ‘खेल’ बीजेपी के नेताओं और अजीत पवार ने रचा था।
सुबह यह ख़बर सामने आई कि अजीत पवार के साथ 22 विधायक पार्टी छोड़कर गए हैं लेकिन बाद में यह संख्या 11 रह गयी और उसमें से भी 8 विधायक शाम तक वापस एनसीपी में आ गए। मुंबई में एनसीपी की बैठक में धनंजय मुंडे, माणिक राव कोकाटे, दिलीप बनकर, सुनील भुसारा, नरहरी झिरवल, राजेंद्र शिंगडे, सुनील टिंगरे, सुनील सेलके वापस आ गए।
महाराष्ट्र में बीजेपी और एनसीपी के अजीत पवार गुट की साझा सरकार बनाने को चुनौती देते हुए शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। शिवसेना ने याचिका में राज्यपाल पर निशाना साधा है और उनकी भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
महाराष्ट्र में चल रहे सियासी नाटक में अब राजनीतिक दलों ने अपने विधायकों को ‘सुरक्षित’ करने का काम शुरू कर दिया है। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही कांग्रेस और शिवसेना ने अपने विधायकों को ख़रीद-फरोख़्त से बचाने के लिए होटलों में शिफ़्ट कर दिया था। अब वही काम फिर से शुरू हो गया है। शनिवार को तेजी से बदले राज्य के राजनीतिक घटनाक्रम में कांग्रेस ने अपने विधायकों को जयपुर शिफ़्ट किया है तो एनसीपी से बग़ावत कर बीजेपी को समर्थन देने वाले कुछ विधायकों को विमान से दिल्ली लाया गया है।
भले ही अजीत पवार ने सुबह 8 बजे शपथ ले ली हो लेकिन शरद पवार को इसकी सूचना सुबह साढ़े 6 बजे मिल गयी थी। पवार को एक विधायक का फोन आया था कि अजीत पवार ने उन्हें राजभवन में बुलाया है। पवार ने स्वयं इस बात का खुलासा किया था। सुबह हुई प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में शरद पवार ने मीडिया के समक्ष 4 विधायकों को पेश भी किया था और उनका बयान भी दिलाया था। सभी विधायक एक जैसी ही बात कह रहे हैं कि उन्हें रात बारह बजे एक होटल में बुलाया गया था और सभी को यह बताया गया कि सुबह राजभवन में शपथ लेने आना है। चार विधायक वापस सुबह ही शरद पवार के पास चले आये। बात में पवार ने जब बयान दिया कि अनुशासन भंग करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी और कहा कि उन्हें विद्रोहियों को हराना आता है, तो इस बयान का असर ही कह सकते हैं कि शाम होते -होते अधिकांश विधायक वापस लौट आये।