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शिवाजी की मूर्ति ढहने पर अजित पवार का मौन विरोध; राउत बोले- इस्तीफा दें

शिवाजी की मूर्ति ढहने पर अजित पवार का मौन विरोध; राउत बोले- इस्तीफा दें

लोकसभा चुनाव के बाद से ही महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन में खटपट के कयास लगाए जाते रहे, लेकिन अब अजित पवार ने मौन विरोध-प्रदर्शन की बात कही। जानिए, ऐसा क्यों।

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले शिंदे की शिवसेना, बीजेपी और अजित पवार की एनसीपी वाले महायुति गठबंधन में खलबली के संकेत मिले हैं। उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट ने छत्रपति शिवाजी की मूर्ति गिरने की घटना की निंदा की है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर मौन विरोध प्रदर्शन किया। उनके इस बयान पर शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राय ने कहा है कि उन्हें इस्तीफा देना चाहिए।

संजय राउत ने कहा कि अजित पवार को विरोध करने के बजाय अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। राउत ने सिंधुदुर्ग में शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने की घटना को लेकर उपमुख्यमंत्री अजित पवार की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें पद पर नहीं रहना चाहिए। 

उनकी यह प्रतिक्रिया उस मामले में आई है जिसमें सिंधुदुर्ग जिले में एक किले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनावरण की गई मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा सोमवार को ढह गई। इस प्रतीमा का अनावरण क़रीब आठ महीने पहले ही किया गया था। इतने कम समय में प्रतीमा ढहने पर बीजेपी और पीएम मोदी विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए हैं। उन्होंने इसके निर्माण में भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण-सामग्री का आरोप लगाया है।

घटना के तुरंत बाद शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा था, "सिंधुदुर्ग में स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति आज ढह गई। मोदी जी ने पिछले साल दिसंबर में इसका उद्घाटन किया था। ठेकेदार कौन था? क्या यह सही है कि यह काम ठाणे के ठेकेदार को दिया गया था? ठेकेदार के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी? ठेकेदार ने ‘खोके सरकार’ को कितना ‘खोके’ दिया?"

महाराष्ट्र के विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा ता, 'छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिर गई है। यह अपमान है। क्या यह सरकार इसमें भी भ्रष्टाचार करेगी? ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।'

विपक्षी नेताओं के ऐसे ही गंभीर आरोपों और राज्य में पड़ते दबावों के बीच अजित खेमे की एनसीपी ने अपना रुख जाहिर किया है और मौन विरोध-प्रदर्शन किया।

राज्य एनसीपी अध्यक्ष सुनील तटकरे ने एक बयान में कहा, 'यह बहुत ही दुखद और दिल दहला देने वाला है कि मालवन में राजकोट किले में स्थापित महान छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिर गई। यह चौंकाने वाला है कि यह मूर्ति (उद्घाटन के बाद) सिर्फ आठ महीने में गिर गई।'

एनटीडीवी की रिपोर्ट के अनुसार बयान में कहा गया है, 'इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि एक अक्षम्य गलती हुई है। इस त्रासदी का विरोध करने और भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सावधानी बरतने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को पूरे राज्य में एक रैली आयोजित की।' 

उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने मौन विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने मांग की कि इस मामले में जो भी दोषी है, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। एनसीपी ने मांग की कि सरकार चौबीसों घंटे काम करे और शिवाजी महाराज के सम्मान में राजकोट किले में एक नई प्रतिमा बनाए। 

सोमवार को प्रतिमा के ढहने से बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। इसमें कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) के विपक्षी गठबंधन ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के इस्तीफे की मांग की। लोक निर्माण विभाग की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि प्रतिमा का निर्माण मानक के अनुसार नहीं किया गया था और संरचना में इस्तेमाल किए गए नट और बोल्ट जंग खाए हुए थे। परियोजना में शामिल दो लोगों - ठेकेदार जयदीप आप्टे और संरचनात्मक सलाहकार चेतन पाटिल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

अजित पवार की एनसीपी द्वारा अपनी सरकार के खिलाफ मौन विरोध-प्रदर्शन को महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी बदलाव के संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है। पिछले चुनाव और इस चुनाव के बीच राज्य के राजनीतिक समीकरणों में बहुत बड़ा बदलाव आया है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से 30 पर जीत हासिल की। ​​अब वह राज्य चुनावों में मजबूत प्रदर्शन को दोहराना चाहेगा। 

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