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दिल्ली: एम्स में नर्सों की हड़ताल समाप्त, काम शुरू

दिल्ली: एम्स में नर्सों की हड़ताल समाप्त, काम शुरू

दिल्ली एम्स में चल रही अनिश्चितकालीन हड़ताल मंगलवार रात को समाप्त हो गई। एम्स की लगभग 5 हज़ार नर्स सोमवार को हड़ताल पर चली गई थीं। 

कोरोना महामारी से जूझ रहे देश में इस वक़्त मरीजों को देखभाल की सख़्त जरूरत है। लेकिन ऐसे ही वक़्त में एम्स की लगभग 5 हज़ार नर्स सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गई हैं। नर्सों की मांग है कि उनके सैलरी स्ट्रक्चर को लेकर स्थिति साफ की जाए। 

एम्स की नर्सिंग यूनियन ने संस्थान के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया को लिखे खत में छठे वेतन आयोग के तहत सैलरी दिए जाने का मुद्दा उठाया है। उनका कहना है कि एम्स प्रशासन और भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय लगातार उनकी मांगों की अनदेखी करता रहा। अंत में उन्हें मजबूर होकर हड़ताल पर जाना पड़ा। 

स्वास्थ्य मंत्रालय का कड़ा रूख़

नर्सों की हड़ताल से परेशान भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सख़्त रूख़ अपनाया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एम्स प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह अदालत के आदेशों का सख़्ती से पालन करवाए। 

आदेश में कहा गया है कि एम्स में नर्सिंग के काम में किसी भी तरह की रुकावट नहीं होनी चाहिए और अगर ऐसा होता है तो इसे महामारी प्रबंधन एक्ट के तहत अपराध माना जाएगा और आईपीसी की धाराओं के तहत  कार्रवाई की जाएगी। 

डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि महामारी के दौरान नर्सों का हड़ताल पर चले जाना ग़लत है। उन्होंने कहा कि नर्सिंग यूनियन की सभी 23 मांगों को एम्स प्रशासन और भारत सरकार ने मान लिया है। उन्होंने कहा कि जहां तक छठे वेतन आयोग के हिसाब से सैलरी देने की मांग है, तो ऐसे वक़्त में इस मांग को उठाना जब देश महामारी से जूझ रहा है, बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। 

 - Satya Hindi

गुलेरिया ने कहा है कि यूनियन के साथ उनकी मांगों को लेकर कई बार बैठक हो चुकी है और उन्हें छठे वेतन आयोग की सिफ़ारिशों को लेकर उनकी ग़लत व्याख्या के बारे में बताया जा चुका है। इसके बाद भी सरकार उनकी मांगों पर विचार करने के लिए तैयार है। उन्होंने अपील की है कि यूनियन हड़ताल को ख़त्म कर दे। 

नर्सिंग यूनियन के हड़ताल पर चले जाने के कारण मरीजों को ख़ासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 

यूनियन के प्रवक्ता ने एनडीटीवी से कहा कि वे लंबे समय से अपनी मांगों को उठा रहे हैं। पिछले साल सरकार ने एक बैठक बुलाकर उनकी मांगों को हल करने का भरोसा दिया था लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है। इसके अलावा कांट्रैक्ट पर कर्मचारियों की भर्ती की जा रही है। 

कोरोना महामारी के पीक पर होने के दौरान जब लोग घरों में बंद थे, तब इन्हीं हेल्थकेयर वर्कर्स ने जान की बाज़ी लगाकर, घंटों तक जुटे रहकर लोगों की जान बचाई थी। ऐसे में आज जब ये अपनी मांगों को लेकर सड़क पर हैं तो सरकार को वह हर संभव कोशिश करनी चाहिए जिससे ये हड़ताल ख़त्म हो। 

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