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कोरोना वायरस का संक्रमण जून-जुलाई में चरम पर हो सकता है: एम्स निदेशक

कोरोना वायरस का संक्रमण जून-जुलाई में चरम पर हो सकता है: एम्स निदेशक

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि 40 दिन की लॉकडाउन की सख़्ती के बावजूद कोरोना वायरस के मामले कम नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि जून-जुलाई में इस वायरस से संक्रमण के मामले शिखर पर हो सकते हैं।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि 40 दिन से ज़्यादा समय तक लॉकडाउन की सख़्ती के बावजूद कोरोना वायरस के मामले कम नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि जून-जुलाई में इस वायरस से संक्रमण के मामले चरम पर हो सकते हैं।

एक इंटरव्यू में डॉ. गुलेरिया ने कहा कि बड़ी चिंता की वजह यह है कि लोगों के संक्रमित होने के मामले अभी तक कम होने शुरू नहीं हुए हैं। इटली और चीन जैसे देशों में एक महीने के लॉकडाउन में संक्रमित लोगों की संख्या कम होने लगी थी लेकिन भारत में 40 दिन बाद भी मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। 'लाइव मिंट' के अनुसार, डॉ. गुलेरिया ने कहा कि भारत को चाहिए कि रेड ज़ोन और हॉटस्पॉट पर ध्यान केंद्रित करे। 

उन्होंने आगे कहा कि हमें स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और सब कुछ को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श के साथ कुछ और समय के लिए लॉकडाउन को जारी रखने की ज़रूरत है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि हॉटस्पॉट और उसके आसपास के क्षेत्रों में कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ और आक्रामक रणनीति की आवश्यकता है। 

हालाँकि लगातार पॉजिटिव मामले बढ़ने का एक कारण तो उन्होंने यह बताया कि हर दिन अब बड़ी संख्या में कोरोना जाँच की जा रही है। टेस्ट किए गए लोगों में से 4-4.5 फ़ीसदी ही पॉजिटिव केस आ रहे हैं। हालाँकि उन्होंने कहा कि यह अंदाज़ा लगाना मुश्किल है कि कब यह वायरस ज़ोर पकड़ेगा, लेकिन जून-जुलाई के आसपास मामले काफ़ी तेज़ी से बढ़ सकते हैं। इसी कारण वह इसके लिए पहले से तैयार रहने के लिए आगाह करते हैं। 

आने वाली स्थिति से निपटने और इसको नियंत्रित करने के सवाल पर डॉ. गुलेरिया कहते हैं कि यदि हम हॉटस्पॉट पर बेहतरी से काम करते हैं तो इस संक्रमण को रोकने में काफ़ी अच्छी स्थिति में होंगे। उन्होंने कहा कि रेड ज़ोन और हॉटस्पॉट क्षेत्रों पर फ़ोकस किए जाने की ज़रूरत है। उन्होंने केरल सरकार द्वारा किए गए काम की तारीफ़ की और कहा कि वहाँ कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने में काफ़ी हद तक सफलता मिली है। उन्होंने उत्तर पूर्वी राज्यों के काम की भी तारीफ़ की। 

बता दें कि भारत में संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 52,952 हो गए हैं जबकि 1,783 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि जब 24 मार्च को पहली बार लॉकडाउन की घोषणा की गई थी तब भारत में कोरोना पीड़ितों की संख्या 519 ही थी। तब 9 लोगों की मौत हुई थी। अब तो हर रोज़ 3000 से 4000 के बीच कोरोना संक्रमण के मामले आ रहे हैं। गुरुवार सुबह ही जारी किए गए आँकड़ों के अनुसार देश में 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के 3,561 मामले सामने आए हैं और 89 लोगों की मौत हुई है। 

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