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अग्निपथ: 'योजना बनाकर किया गया था सिकंदराबाद स्टेशन पर हमला'

अग्निपथ: 'योजना बनाकर किया गया था सिकंदराबाद स्टेशन पर हमला'

अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखने के बजाय उग्र और हिंसक क्यों हो गए?

पुलिस ने कहा है कि अग्निपथ योजना के विरोध में सिकंदराबाद के रेलवे स्टेशन पर हुई हिंसा पूर्व नियोजित थी। शुक्रवार को हुए हिंसक प्रदर्शन में 19 साल के एक शख्स की मौत हो गई और 15 लोग घायल हो गए हैं। प्रदर्शनकारियों के बेकाबू होने के बाद पुलिस को गोली चलानी पड़ी थी। 

प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान रेलवे स्टेशन पर लगे स्टॉल और सरकारी संपत्ति में जमकर तोड़फोड़ की थी और आगजनी की वारदात को भी अंजाम दिया था। उन्होंने रेलवे के दफ्तर में लगे इलेक्ट्रॉनिक व कंप्यूटर उपकरण, पंखे, ट्यूबलाइट आदि को भी जबरदस्त नुकसान पहुंचाया था।

वॉट्सएप ग्रुप बनाया

एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (रेलवे) संदीप शांडिल्य ने कहा है कि रेलवे स्टेशन पर किया गया यह हमला सोच-समझकर किया गया था। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उन्होंने कहा कि हमले में शामिल प्रदर्शनकारियों ने एक वॉट्सएप ग्रुप बनाया था और उसका नाम चलो सिकंदराबाद रखा गया था। 

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उन्होंने बताया कि इस ग्रुप में पूरी योजना बनाई गई थी और सभी प्रदर्शनकारी घटना से पहली वाली रात को रेलवे स्टेशन के आसपास इकट्ठे हुए थे और शुक्रवार सुबह इन्होंने हमला कर दिया। उन्होंने कहा कि स्टेशन पर 50 सुरक्षाकर्मी तैनात थे लेकिन वे 500-1000 की संख्या में आई उग्र भीड़ का मुकाबला नहीं कर सके।

उन्होंने बताया कि तीन ट्रेनों की कई बोगियों में आग लगा दी गई और कई बोगियों की खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए गए और इंजनों में भी तोड़फोड़ की गई। इस दौरान उपद्रवियों ने साउथ सेंट्रल रेलवे के बेहद अहम रूट रिले इंटरलॉकिंग यानी आरआरआई पर भी हमला करने की कोशिश की लेकिन पुलिस और आरपीएफ के जवानों ने आरआरआई को हमले से बचा लिया।

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निश्चित रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और अन्य राज्यों में हुए हिंसक प्रदर्शन बेहद खतरनाक हैं। 

अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात मजबूत ढंग से रखनी चाहिए थी लेकिन बजाय इसके वे उग्र और हिंसक हो गए और इससे सरकारी संपत्ति को जबरदस्त नुकसान पहुंचा।

12 ट्रेनों में लगाई आग 

शुक्रवार को दिनभर चले बवाल में 12 ट्रेनों को आग लगा दी गई। इस वजह से 300 से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित हुई हैं जबकि 214 ट्रेनों को रद्द करना पड़ा है। 11 ट्रेनों को डायवर्ट करना पड़ा और 90 ट्रेनें अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच सकीं।

रेलवे स्टेशनों में तोड़फोड़ 

योजना के विरोध में देश के कई राज्यों में हुए प्रदर्शनों के दौरान रेलवे स्टेशनों में भी जमकर तोड़फोड़ हुई है। 

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