जलवायु परिवर्तन की मार से बर्बाद हुई खेती का असर आम लोगों पर पड़ने लगा है। आम आदमी के लिए सबसे जरूरी आटा आज की तारीख में 30-35 रुपए किलो तक मिल रहा है। जबकि खुदरा बाजार में गेंहू का भाव भी 25 से 28 रुपए किलो तक है। ऐसे में आदमी को मंहगाई का सबसे बड़ा झटका लगा है।
इस मंहगाई के साथ सबसे बड़ी मुसीबत आम आदमी को तब हुई जब सरकार ने सरकार ने गेहूं की कमी को पूरा करने के लिए राशन की दुकानों पर गेंहू की जगह चावल की सप्लाई बढ़ा दी। इससे सबसे ज्यादा असर उतर भारत के लोगों पर पड़ा जहां रोटी मुख्य आहार है। ऐसे में गरीब और निचले तबके के लोगों ने जिनका मुख्य भोजन रोटी था उसके लिए सरकारी राशन की दुकानों पर मिलने वाले चावल को बेचकर गेंहू खरीदने का जुगाड़ किया। लेकिन उसके बाद भी गेंहू उनकी पहुंच से दूर ही रहा क्योंकि बाजार में चावल को बेचने के बाद भी उनको इतना पैसा नहीं मिल रहा था कि वे जरूरत के मुताबिक गेंहू खरीद सकें।
अगली साल की फसल आने में अभी भी दो महीने से ज्यादा का वक्त बचा हुआ है, तब सरकार ने आम आदमी को राहत देने के लिए अपने भंडार से तीस लाख़ टन गेंहू बाजार में बेचने का फैसला किया है। लेकिन यह कितना कारगर होगा इसको देखना जरूरी है।
इंडिया टुडे में छपी एक खबर के मुताबिक उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने बुधवार को एक आधिकारिक बयान में कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) खुले बाजार बिक्री योजना के तहत केंद्रीय पूल से 30 लाख टन गेहूं बाजारों में उतारेगा। भारतीय खाद्य निगम अगले दो महीनों में गेहूं की बिक्री करेगा।
ओएमएसएस (डी) योजना के तहत सरकार इसके लिए कई माध्यम के जरिए अगले दो महीने में बाजार में 30 एलएमटी गेहूं बेचने से इसकी पहुंच बढ़ेगी जिससे गेहूं और आटा की बढ़ती कीमतों पर तत्काल प्रभाव पड़ेगा और बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। सरकार के इस कदम से आम आदमी को राहत मिलने की उम्मीद है।
गेहूं और आटे की लगातार बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली मंत्रियों की समिति ने बुधवार को इस मसले पर बैठक की और खाद्यान्न के बफर स्टॉक की स्थिति पर चर्चा की।
बैठक में गेहूं को बाजार में भेजने के तरीकों पर भी चर्चा की गई। बैठक के बाद तय किया गया कि सरकार एफसीआई के क्षेत्रीय कार्यलयों के माध्यम से ई-टेंडर निकाल इस व्यापार से जुड़े लोगों से बोलियां आमंत्रित करेगी, इसके लिए प्रति खरीददार 3000 हजार टन की सीमा भी लगाई गई है, जिससे इसकी कालाबाजारी को रोका जा सके।
एफसीआई के जरिए राज्य सरकारें भी गेंहू खरीद सकती हैं, उन्हें नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने से छूट प्रदान की गई है। इसके अलावा पीएसयू, सहकारी समितियां संघ, केंद्रीय भंडार, एनसीसीएफ और नैफेड को बिना ई-नीलामी के 2,350 रुपये प्रति 100 किलोग्राम की रियायती दर पर गेहूं की पेशकश की जाएगी। सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि विशेष योजना के तहत बिक्री की शर्त यह है कि गेहूं के खरीदार उसे आटे में बदलकर जनता को 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम के अधिकतम खुदरा मूल्य पर बाजार में बेचेगा। एफसीआई जल्द ही इसकी प्रक्रिया शुरु करेगा।