भारत में कोरोना टीका को लेकर काफ़ी उम्मीदें जग गई हैं और लगता है कि अगले साल तक यह टीका बाज़ार में ज़रूर आ जाएगा। पर यह मानना जल्दबाजी होगी कि इससे तुरन्त समस्या का समाधान निकल आएगा। इसकी वजह यह है कि कम से कम 60-70 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण करना होगा। इसमें समय लगेगा और यह बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा।
मैक्स हेल्थकेअर के डॉक्टर संदीप बुद्धिराजा ने इकोनॉमिक टाइम्स से कहा, 'हर्ड इम्यूनिटी यानी सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए कम से कम 60-70 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण ज़रूरी है और इसमें कम से कम दो साल लग जाएंगे।'
ख़त्म नहीं होगा कोरोना
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद कोरोना पूरी तरह ख़त्म नहीं होगा और यह लंबे समय तक किसी न किसी रूप में थोड़ा बहुत रहेगा और हमें इसके साथ जीना सीखना होगा। डॉक्टर बुद्धिराजा ने कहा कि जिस तरह टीबी अब भी बचा हुआ है, वैसे ही कोरोना भी रहेगा।विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में सबका टीकाकरण करना बहुत मुश्किल होगा। आकाश हेल्थकेअर के डॉक्टर आकाश चौधरी ने इकोनॉमिक टाइम्स से कहा, 'सरकारी रिपोर्टों से पता चलता है कि दो साल तक की उम्र के बच्चों को टीका देने में तमाम कोशिशों के बावजूद 60 प्रतिशत सफलता ही मिली है।'
कितना कामयाब होगा टीका
भारत में कोरोना टीका बन भी गया तो यह कितना प्रभावी होगा, यह भी एक सवाल है। अपोलो टेलीहेल्थकेअर के डॉक्टर के. गणपति ने कोरोना की कामयाबी पर संदेह जताया है। उन्होंने भारत में टेलीमेडिसिन पर काम किया है और 13 सरकारी पैनलों में हैं। पर उन्हें इस टीके पर भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा,
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'दिसंबर 2019 से जून 2020 के बीच कोरोना वायरस का व्यवहार बदल गया है। स्पेन और इटली में पाया गया वायरस भारत के वायरस से अलग है।'
के. गणपति, डॉक्टर, अपोलो टेलीहेल्थकेअर
बता दें कि भारत में दो कोरोना टीकाओं पर ह्यूमन ट्रायल चल रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले दावा किया था कि भारत बायोटेक का टीका 15 अगस्त तक ट्रायल पास कर बाज़ार के लिए तैयार हो जाएगा। लेकिन विशेषज्ञों ने कहा था कि इसमें समय लगेगा और यह 2021 में ही बाज़ार पहुँच पाएगा। अब सरकार भी यह मान रही है कि 2021 के पहले इसके बाज़ार पहुँचने की संभावना नहीं है।
इसके बाद यदि 60 से 70 प्रतिशत लोगों को टीका लगाने में यदि दो साल लग गए तो 2023 तक ही यह काम हो पाएगा। उस पर हाल यह कि वह टीका भी कितना सफल होगा और उसका क्या नतीजा निकलेगा, इस पर संदेह है।