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कांग्रेस शासित हिमाचल में अडानी विल्मर के कार्यालय पर छापा क्यों?

कांग्रेस शासित हिमाचल में अडानी विल्मर के कार्यालय पर छापा क्यों?

एक बड़े घटनाक्रम में हिमाचल प्रदेश के आबकारी और कराधान विभाग ने अडानी विल्मर पर कथित तौर पर छापा मारा है। जानिए कांग्रेस शासित राज्य ने आख़िर यह कार्रवाई क्यों की।

हिमाचल प्रदेश राज्य आबकारी विभाग के अधिकारियों ने बुधवार देर रात परवाणू में अडानी समूह की एक इकाई पर छापा मारा। राज्य विभाग के अधिकारियों ने सोलन स्थित अडानी विल्मर कंपनी की कैरिंग एंड फॉरवर्ड इकाई का निरीक्षण किया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जीएसटी अधिकारियों ने जीएसटी उल्लंघन के आरोपों को लेकर अडानी विल्मर के कार्यालय का दौरा किया है।

यह कार्रवाई तब हुई है जब एक दिन पहले ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संसद में सत्तारूढ़ भाजपा पर अडानी समूह के साथ घनिष्ठ संबंध होने का आरोप लगाया।

अडानी विल्मर अडानी समूह और सिंगापुर स्थित विल्मर के बीच 50:50 का संयुक्त उद्यम है, जिसमें फॉर्च्यून ऑयल इसके प्रमुख उत्पादों में से एक है। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक़, अडानी विल्मर पर जीएसटी जमा नहीं करने के आरोप हैं। इसके अलावा, अधिकारी कथित तौर पर राज्य में संचालन के संबंध में कंपनी के इनपुट टैक्स क्रेडिट दावों के बारे में जानकारी मांग रहे हैं।

अन्य मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में अडानी विल्मर पर छापा पिछले पांच वर्षों से जीएसटी का भुगतान नहीं करने के आरोप में मारा गया है। रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया है कि अधिकारियों ने कार्यालय पर पहुँचकर सभी प्रासंगिक दस्तावेजों की जाँच की। 

अधिकारियों के अनुसार, वे एक रिपोर्ट तैयार करेंगे, जिसके बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

हिमाचल प्रदेश में अडानी समूह वर्तमान में ट्रक ऑपरेटरों के साथ गतिरोध में है, क्योंकि उन्होंने माल ढुलाई दरों में संशोधन के बाद दो सीमेंट संयंत्र बंद कर दिए हैं।

हालाँकि अडानी विल्मर ने हिमाचल में किसी छापे पड़ने से इनकार किया है और कहा है कि यह रूटीन निरीक्षण जैसा था। एएनआई के अनुसार कंपनी ने एक बयान में कहा है, 'अधिकारियों को कंपनी द्वारा किए गए संचालन और व्यवहार में कोई अनियमितता नहीं मिली। नियम 86बी के तहत जीएसटी कानून का हवाला देते हुए नकदी में जीएसटी भुगतान के लिए विशिष्ट चिंताओं पर हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि कंपनी को नकद में कर देयता का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है।'

इसने कहा है, 'हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि यह संबंधित अधिकारियों द्वारा किया गया एक नियमित निरीक्षण था और कोई छापा नहीं था जैसा कि पहले कहा गया था या मीडिया में रिपोर्ट किया गया था।'

यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब कांग्रेस अडानी समूह और प्रधानमंत्री के संबंधों को लेकर हमलावर है। एक दिन पहले ही बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी ने फिर से उन पर 'अडानी का मित्र' होने का आरोप लगाया।

उन्होंने दावा किया कि अडानी विवाद को लेकर सदन में उनके भाषण से पीएम 'हैरान' थे। उन्होंने व्यापारिक समूह के ख़िलाफ़ आरोपों की जाँच नहीं कराने के लिए आलोचना की।

राहुल ने कहा, 'उन्होंने मेरे एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया। इसके अलावा, मैंने कोई जटिल सवाल नहीं पूछा है। मैंने केवल इतना पूछा कि वह (गौतम अडानी) कितनी बार पीएम के साथ गए और कितनी बार मिले।'

मंगलवार को राहुल गांधी ने संसद में अडानी मुद्दे को लेकर सरकार पर जबरदस्त हमला बोला था। राहुल ने कहा था कि देश में एयरपोर्ट से लेकर सेब तक में एक ही शख्स की चर्चा है। राहुल ने कहा था कि आखिर पीएम मोदी का अडानी समूह से क्या लिंक है। राहुल ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कहा, “पहले पीएम मोदी अडानी के विमान में सफर करते थे अब अडानी मोदी जी के विमान में सफर करते हैं। यह मामला पहले गुजरात का था, फिर भारत का हो गया और अब अंतरराष्ट्रीय हो गया है। अडानी ने पिछले 20 सालों में और इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजेपी को कितना पैसा दिया?

उन्होंने पूछा था कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि जो अडानी साल 2014 में 609वें लिस्ट पर थे, वो दूसरे नंबर पर पहुंच गए। राहुल ने प्रधानमंत्री से सवाल पूछते हुए कहा कि आखिर वो कौन सा जादू था, जिसने अडानी को दो नंबर पर पहुंचा दिया। 

राहुल ने कहा था कि पहले अडानी के हवाई जहाज में पीएम जाते थे और अब अडानी पीएम के जहाज में जाते हैं। उन्होंने पूछा कि पीएम बताए कि वो विदेश दौरे पर कितनी बार अडानी के साथ गए।

अमेरिका की निवेश करने वाली कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी की कंपनियों पर एक रिपोर्ट जारी करने के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयर धड़ाम गिरे हैं। 

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