अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की अडानी समूह के कारनामों को खुलासा करने वाली रिपोर्ट के बाहर आने के बाद भारतीय बाजार में घमासान मचा हुआ है। एक तरफ अडानी समूह के शेयर गोता लगा रहे हैं, दूसरी तरफ समूह को कर्ज देने वाले भी परेशान हैं।
रिपोर्ट के आने के बाद से भारतीय शेयर बाजारों ने अभी तक दो सत्रों में कारोबार किया है, जिसमें अडानी समूह के शेयर 22 फीसदी तक गिर चुके हैं। गौतम अडानी की खुद की संपत्ती में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जिसके चलते वह अमीरों का सूची में सातवें नम्बर पर पहुंच चुके हैं।
सबसे ज्यादा चिंता की बात एलआईसी और एसबीआई को लेकर है, जिन्होंने अडानी समूह में भारी निवेश किया हुआ है। देशभर के बैंको ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे सतर्क हैं और माहौल पर नजर बनाए हुए हैं। अभी कुछ भी चिंताजनक नहीं है। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा कि अडानी समूह ने हाल में एसबीआई से कोई फंडिग नहीं जुटाई है, और आगे आने वाले उनके अनुरोधों पर बैंक विवेकपूर्ण निर्णय लेगा।
हिंदुस्तान की खबर के मुताबिक बैंक ऑफ इंडिया के एक अधिकारी ने बताया कि समूह पर पिछले महीने तक के लोन पर समूह का ब्याज भुगतान बरकरार है। अडानी समूह के गिरते शेयरों ने भारतीय संस्थागत निवेशकों में से एक एलआईसी यानी जीवन बीमा निगम (LIC) की भी चिंता बढ़ा दी है। देश के सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी ने अडानी की समूह की कंपनियों ने भारी निवेश किया हुआ है। अडानी की पांच कंपनियों में एलआईसी की 9 फीसदी तक की हिस्सेदारी है। अडानी की कंपनियों में एलआईसी ने करीब 77,268 करोड़ रुपये का निवेश है। अडानी समूह के गिरते शेयरों से एलआईसी को 18 हजार करोड़ रुपये तक का नुकसान हुआ है।
अडानी एंटरप्राइजेज का 20,000 करोड़ रुपये का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) सब्सक्रिप्शन के लिए खुला है। एफपीओ भारतीय उद्योग जगत के इतिहास में सबसे बड़ा है और कंपनी एंकर निवेशकों से पहले ही 5,985 करोड़ रुपये जुटा चुकी है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद कांग्रेस पार्टी ने सेबी और आरबीआई से इस मसले का चांज कराने की मांग करते हुए कहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की गंभीर जांच जानी चाहिए। यह एलआईसी, एसबीआई और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के जरिए समूह में किए गये उदार निवेश माध्यम से देश की वित्तीय प्रणाली को प्रणालीगत जोखिम डालने के मामले को उजागर कर सकता है।
अडानी समूह कोई छोटा और साधारण कंपनी नहीं है, प्रधानमंत्री जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तबसे उनकी समूह के मुखिया गौतम अडानी की नजदीकियां जाहिर हैं।
भारतीय जीवन बीमा कंपनी (एलआईसी) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) जैसे वित्तीय संस्थानों द्वारा अडाणी समूह को अधिक कर्ज देने से वित्तीय स्थिरता और उन करोड़ों भारतीयों पर बहुत ज्यादा असर होगा, जिनकी बचत योजनायें इनके जरिए संचालित होती हैं।
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने भी हिंडनबर्ग के आरोपों पर चिंता जताई और कहा कि अगर यह सही साबित हुआ तो यह करोड़ों भारतीयों के जीवन को बर्बाद कर देगा जो एलआईसी और एसबीआई के जरिये बचत करते हैं।
अडानी समूह के शेयरों में शुक्रवार को भारी गिरावट के बीच, भारत के कुछ प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने यह कहकर निवेशकों की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की कि अडानी समूह में उनका एक्सपोजर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित सीमा के भीतर था।