एबीपी- सी-वोटर सर्वे: बंगाल में टीएमसी की सरकार के आसार
एबीपी- सी-वोटर सर्वे में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी को बढ़त मिलती दिख रही है। सर्वे के अनुसार टीएमसी को 152-168 सीटें मिल सकती हैं। अब यदि इस सर्वे का आँकड़ा चुनाव परिणाम के रूप में तब्दील होता है तो टीएमसी की सरकार बन सकती है। पश्चिम बंगाल की विधानसभा में कुल 294 सीटें हैं और सदन में बहुमत के लिए 148 सीटें चाहिए।
इस सर्वे में यह भी भविष्यवाणी की गई है कि बीजेपी दूसरे स्थान पर रहेगी और उसको 104-120 सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेस और लेफ्ट के गठबंधन को 18-26 सीटें मिल सकती हैं। अन्य को 2 सीटें मिल सकती हैं।
बीजेपी को साल 2016 के चुनाव में सिर्फ तीन सीटें मिली थीं। इस लिहाज से यह बहुत बड़ा उलटफेर है। यह बहुत बड़ा उलटफेर इसलिए भी है कि तृणमूल कांग्रेस को पिछली बार 211 सीटें मिली थीं। इस तरह सत्तारूढ़ दल को क़रीब 50 सीटों का नुक़सान होता दिख रहा है जबकि बीजेपी क़रीब 100 सीटों के फ़ायदे के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बन कर उभर सकती है।
सी-वोटर के इस सर्वे में मतदान प्रतिशत को भी दिखाया गया है कि किस पार्टी को कितने प्रतिशत वोट मिलेंगे। इस सर्वे के अनुसार टीएमसी को सबसे ज़्यादा 42 फ़ीसदी वोट मिल सकते हैं। बीजेपी को 37 फ़ीसदी वोट मिलने के आसार हैं वहीं कांग्रेस-लेफ़्ट के गठबंधन को 13 फ़ीसदी वोट मिलने के आसार हैं। अन्य को 8 फ़ीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं। इस तरह सीटों और वोट प्रतिशत दोनों के मामले में ममता बनर्जी मैदान को जीतती हुई नज़र आ रही हैं।
सर्वे में यह भी कहा गया है कि ममता बनर्जी का जादू अभी भी बरकरार है। यही बात पिछले टाइम्स नाउ के सर्वे में भी सामने आई थी। टाइम्स नाउ- सी वोटर के चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में पाया गया था कि इस राज्य में उसे इस बार 107 सीटें मिल सकती हैं जबकि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को 154 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है। इस सर्वे में कहा गया था कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को 42.2 प्रतिशत, बीजेपी को 37.5 प्रतिशत, कांग्रेस-लेफ्ट के तीसरे मोर्चे को 14.8 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है।
टाइम्स नाउ-सी वोटर के चुनाव-पूर्व सर्वेक्षण में पाया गया है कि लोग राज्य सरकार के कामकाज से बहुत खुश नहीं हैं जबकि केंद्र सरकार के कामकाज से संतुष्ट दिखते हैं। इसी तरह टीएमसी के उठाए मुद्दे बाहरी पार्टी को लोगों ने ज़्यादा तरजीह नहीं दी जबकि बीजेपी के उठाए मुद्दों मसलन 'कट मनी' और 'सिंडिकेट' को लोगों ने अधिक महत्व दिया है।
सर्वे में यह पूछा गया कि क्या मुख्यमंत्री ममता बनर्जी घोटाले में फंसे हुए लोगों को बचाने की कोशिश कर रही हैं, इस सवाल के जवाब में 45.7 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों ने 'हाँ'में जवाब दिया जबकि 35.3 प्रतिशत के आसपास लोगों ने कहा कि ऐसा नहीं है।