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राघव चड्ढा राज्यसभा से निलंबित, संजय सिंह का भी निलंबन बढ़ा

राघव चड्ढा राज्यसभा से निलंबित, संजय सिंह का भी निलंबन बढ़ा

संसद के मानसून सत्र के आख़िरी दिन भी राज्यसभा के सदस्य के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की गई। जानिए, उनपर क्या आरोप हैं और क्या सफ़ाई दी गई।

आप सांसद राघव चड्ढा को राज्यसभा से तब तक के लिए निलंबित कर दिया गया है जब तक कि विशेषाधिकार समिति उनके मामले में फ़ैसला न दे दे। समिति को राज्यसभा में दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव में पांच सांसदों के जाली हस्ताक्षर करने के आरोप पर अपना निष्कर्ष देना है। चार राज्यसभा सांसदों ने दावा किया था कि चड्ढा ने 7 अगस्त को एक प्रस्ताव में उनकी अनुमति के बिना उनका नाम शामिल किया था। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इसकी जांच के लिए विशेषाधिकार समिति को भेज दिया।

राघव चड्ढा को 'विशेषाधिकार के उल्लंघन' के लिए राज्यसभा से निलंबित किया गया है। उनके साथ ही आप नेता संजय सिंह का निलंबन बढ़ा दिया गया है। इस मामले में राज्यसभा सभापति ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। इसके बाद राज्यसभा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। इससे पहले लोकसभा को भी अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है।

उच्च सदन ने सदन के नेता पीयूष गोयल द्वारा राघव चड्डा को निलंबित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया। गोयल ने आप नेता के 'अनैतिक आचरण की आलोचना की और इसे 'नियमों की अपमानजनक अवहेलना' बताया।

पीयूष गोयल ने कहा, 'सभी छह सदस्य परेशान और आहत हैं और न्याय के लिए आसन की ओर देख रहे हैं।' उन्होंने दावा किया कि सरकार ने एक मजबूत मामला बनाया है। आप के एक अन्य सांसद संजय सिंह के निलंबन की अवधि भी तब तक बढ़ा दी गई जब तक कि विशेषाधिकार समिति उनके खिलाफ शिकायतों पर फैसला नहीं कर लेती। गोयल ने कहा, 'संजय सिंह ने अवज्ञा की और सदन नहीं छोड़ा और इस वजह से सदन नहीं चल सक लेकिन उन्होंने कोई पश्चाताप नहीं दिखाया, इसके बजाय वह अपने व्यवहार को उचित ठहराते रहे।'

बता दें कि सांसद सस्मित पात्रा, एस फांगनोन कोन्याक, एम थंबीदुरई और नरहरि अमीन ने चड्ढा पर उनसे पूछे बिना उनका नाम सदन के पैनल में जोड़ने का आरोप लगाया था। इस बीच आप ने बीजेपी पर चड्ढा को 'जानबूझकर फंसाने की कोशिश' करने का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा कि राघव चड्ढा के खिलाफ 'फर्जी हस्ताक्षर' के आरोप 'झूठे और राजनीति से प्रेरित' थे। इसने भाजपा पर पार्टी के खिलाफ बोलने के लिए चड्ढा को निशाना बनाने का आरोप लगाया।

लोकसभा से अधीर रंजन का निलंबन क्यों?

एक दिन पहले ही लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी निलंबित कर दिया गया था। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी के सहयोगी और लोकसभा सचेतक अधीर रंजन चौधरी को मामूली बात पर निचले सदन से निलंबित कर दिया गया। खड़गे का दावा है कि उन्होंने केवल 'नीरव मोदी' कहा था और नीरव का अर्थ 'शांत' है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने और मंत्रियों को परेशान करने के आरोप में अधीर रंजन चौधरी को गुरुवार को लोकसभा से निलंबित कर दिया गया। कांग्रेस ने अपने नेता के खिलाफ कार्रवाई को अविश्वसनीय और अलोकतांत्रिक बताया।

अधीर रंजन चौधरी ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि उनका इरादा पीएम मोदी का अपमान करने का नहीं था। उन्होंने कहा, 'मेरा इरादा किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था। मैंने कुछ भी गलत नहीं कहा है।' उन्होंने कहा, "मोदी जी मणिपुर मुद्दे पर 'नीरव' बैठे हैं, जिसका मतलब है चुप बैठना। 'नीरव' का मतलब है चुप रहना। मेरा इरादा पीएम मोदी का अपमान करना नहीं था।" उन्होंने आगे कहा, 'पीएम मोदी को ऐसा नहीं लगा कि उनका अपमान किया गया है, उनके दरबारियों को ऐसा लगा और उन्होंने मेरे खिलाफ यह प्रस्ताव लाया। मुझे पता चला कि (मामला) विशेषाधिकार समिति को भेज दिया गया है और मुझे तब तक निलंबित कर दिया गया है।'

मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति जगदीप धनखड़ से "लोकतंत्र की रक्षा" करने की अपील की। उन्होंने कहा, '...उन्हें मामूली सी बात पर निलंबित कर दिया गया है... मैं उपराष्ट्रपति और सदन के सभापति से विनती कर रहा हूं कि आपको लोकतंत्र की रक्षा करनी है क्योंकि वह लोक लेखा समिति, व्यापार सलाहकार समिति में हैं और सीबीसी चयन में भी। उन्हें इन सभी संस्थानों से वंचित कर दिया गया है और अगर उन्हें निलंबित किया जाता है, तो यह अच्छा नहीं है।' चौधरी के निलंबन का प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने पेश किया था।

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